लाल सिंह ठाकुर
मंडी। जिला मंडी के सराज विधानसभा क्षेत्र के ऊपरी इलाकों में इन दिनों दुनिया की सबसे महंगी सब्जी जिसे पहाड़ी मशरूम या गुच्छी के नाम से भी जाना जाता है मिलना शुरू हो गई है। एक और जहां यह लोगों की अच्छी कमाई का साधन बन जाता है, वही दूसरी और यह बहुत सारी औषधीय गुणों से भरी हुई है । खास बात ये है कि इसकी कीमत आसमान पर ही बनी रहती हैं और कीमत भी इतनी अधिक की इसकी तुलना आप सोने से कर सकते हैं। बेहद दुर्लभ लेकिन स्वाद और औषधीय गुणों से भरी इस सब्जी को स्पंज मशरूम भी कहा जाता है। वहीं इसे छतरी, टटमोर, डुंघरू के नाम से भी जाना जाता है। एक किलो गुच्छी खरीदने के लिए आपको 25 से 30 हजार रुपये तक खर्च करने पड़ सकते हैं। ये कीमत 5-6 ग्राम सोने के बराबर हैं। यह सब्जी हिमाचल प्रदेश, कश्मीर और हिमालय के ऊंचे हिस्सों में मिलती है।
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प्राकृतिक रूप से जंगलों में मिलने वाली गुच्छी फरवरी से अप्रैल के बीच ही मिलती है। बड़ी कंपनियां और होटल इसे हाथों हाथ खरीदने के लिए तैयार रहते हैं, इसलिए स्थानीय लोग सीजन के शुरू होने के साथ जंगलों में ही डेरा डालकर गुच्छी इकट्ठी करते हैं। कंपनियां इन लोगों को प्रति किलो गुच्छी के लिए 10-15 हजार रुपये देते हैं। हालांकि बाजार में आते आते इनकी कीमत 25 हजार रुपये प्रति किलो के पार पहुंच जाती है।
गुच्छी की मांग भारत में ही नहीं अमेरिका, यूरोप, फांस, इटली और दुनिया के कई अन्य देशों में है। काफी स्वादिष्ट इस सब्जी में विटामिन बी और डी के अलावा सी और के भी प्रचुर मात्रा में होता है। ये दिल की सेहत के लिए काफी फायदेमंद मानी जाती है। इस सब्जी की इस्तेमाल आमतौर पर सर्दियों में किया जाता है।
गुच्छी निम्न ऊंचाई पर सफेद रंग की पाई जाती है जबकि देवदार एवं अन्य ऊंचाई वाले वन क्षेत्र में इसका रंग डार्क हो जाता है। पहाड़ी ग्रामीण लोगों में मान्यता है कि गुच्छियां बादलों के गर्जन के साथ निकलती है। सर्दियां खत्म होते ही गुच्छियां हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड कश्मीर और हिमालय के अन्य ऊंचे हिस्सों में होती है। गुच्छी में विटामिन बी, डी, सी व अन्य विटामिन की भरपूर मात्रा होती है। इसके नियमित सेवन से दिल की बीमारी नहीं होती।