हिमाचल में कांगड़ा बना मनरेगा का रोल मॉडल, 71 प्रतिशत कार्यदिवस महिलाओं द्वारा सृजित

सेक्योर साफ्टवेयर तकनीक से बनी पारदर्शिता, मनरेगा  जॉब कार्ड के सत्यापन की पहल

0
141

आदर्श हिमाचल ब्यूरो 
कांगड़ा। कोरोना के संकट काल में पूरे हिमाचल के लिए कांगड़ा मनरेगा के कार्यन्वयन में रोल मॉडल बनकर उभरा है। ग्रामीण विकास और आर्थिक सशक्तिकरण का पर्याय बन चुके मनरेगा में गांव की सड़क, पानी एवं मूलभूत सुविधाओं से जुड़ी समस्याओं का समाधान संभव हो पाया है।
मनरेगा में महिलाओं को रोजगार उपलब्ध करवाने, मजदूरी का समय पर भुगतान करने, कार्य दिवस सेक्योर साफ्टवेयर तकनीक का उपयोग करने, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन, सिंचाई सम्बन्धित कार्य करने, मनरेगा जॉब कार्ड का सत्यापन करने की पहल में कांगड़ा जिला पूरे प्रदेश भर में अव्वल आंका गया है।
वर्ष 2020-21 में जुलाई माह के अंत तक 1304819 मजदूरी दिवस के सृजन के लक्ष्य को पूरा कर काँगड़ा में अभी तक कुल 1359690 मजदूरी दिवस सृजित हो चुके हैं । इसमें से 71 प्रतिशत कार्य दिवस महिलाओं द्वारा सृजित किए गए हैं । इन कार्यदिवसों के एवज में मजदूरों को 26.38 करोड़ की राशि भुगतान की जा चुकी है जिसमें से अधिकतम लाभ महिलाओं को मिला है। इसके अलावा 13.13 करोड़ की राशि मटीरीयल भुगतान के रूप में जा चुकी है। मनरेगा में अभी तक 65551 परिवारों को रोजगार मिला है, जिसमें 15661 परिवार अनुसूचित जाति से एवं 4409 परिवार अनुसूचित जनजाति से हैं।
यह भी पढ़ें: जिले में बनी 213 किलोमीटर नई सड़कें: विधानसभा उपाध्यक्ष
हिमाचल प्रदेश में कुल 897 दिव्यांग लोगों को मनरेगा रोजगार मिला है, जिसमें से सर्वाधिक काँगड़ा जिला में 381 दिव्यांग व्यक्तियों को रोजगार मिला है । मजदूरी का भुगतान मस्टर रोल क्लोज होने के 8 दिन में सुनिश्चित किया जा रहा है। काँगड़ा में समय पर मजदूरी भुगतान का 97.56 प्रतिशत है जो प्रदेश के औसत 92.86 प्रतिशत से बेहतर है। इस तरह जिला काँगड़ा में कार्यदिवस सृजन और मजदूरी भुगतान में सामाजिक न्याय के पहलुओं का ख्याल रखा जा रहा है।
मनरेगा के अंतर्गत सरकारी आवास योजनाओं का लाभ ले रहे लाभार्थियों को 95 कार्यदिवस का लाभ दिया जा सकता है। इस वर्ष हिमाचल प्रदेश में आवास योजनाओं में सृजित 1425 कार्यदिवसों में काँगड़ा में सर्वाधिक 861 कार्यदिवस सृजित किए गए हैं । मनरेगा के अंतर्गत इस वर्ष प्रदेश में  स्वीकृत 123 शौचालयों में से 113 का निर्माण जिला काँगड़ा में शुरू किया गया है ।
मनरेगा योजना में एस्टिमट बनाते समय सरकारी धन के दुरुपयोग की सम्भावनाओं को कम करने के लिए सरकार ने वर्ष 2018 में सेक्योरे सॉफ्ट्वेर को लागू किया गया था। सेक्योर सॉफ्ट्वेर में एस्टिमेट बनाने के लिए तकनीकी स्टाफ की जवाबदेही तय हो जाती है और साथ ही पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता आती है । किसी भी कार्य के लिए सरकार द्वारा निर्धारित तकनीकी रेट्स को सॉफ्ट्वेर अपने आप उठाता है और उसमें किसी प्रकार की छेड़छाड़ नहीं की जा सकती है । पूरे प्रदेश में सेक्योर सॉफ्ट्वेर के माध्यम से चल रहे 43562 कार्यों में से काँगड़ा जिले में सर्वाधिक 14190 काम सेक्योर सॉफ्ट्वेर के माध्यम से चलाए गए हैं और सरकारी धन के दुरुपयोग को घटाने के लिए सेक्योर सॉफ्ट्वेर के उपयोग पर बल दिया जा रहा है।
मनरेगा के अंतर्गत एक महतवपूर्ण परिमाण है प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन से सम्बंधित किए जाने वाले काम। प्रदेश में पूर्ण हुए 7350 ऐसे कामों में से सर्वाधिक 1964 कार्य काँगड़ा में पूरे हुए हैं और इस वर्ग में चले रहे 35494 कार्यों में से भी सर्वाधिक 9039 कार्य काँगड़ा में चल रहे हैं । काँगड़ा का बहुत सारा कृषियोग्य क्षेत्र बारिश पर निर्भर है। इस वर्ष में मनरेगा के अंतर्गत सिंचाई से सम्बंधित चालू कार्यों में प्रदेश में मनरेगा के कुल खर्चे का 13.47 प्रतिशत खर्च हुआ है वहीं काँगड़ा जिला में यह खर्च 27.77 प्रतिशत है, सिंचाई सम्बंधित कार्यों में प्रदेश में 35.03 करोड़ के कुल खर्चे में से  12.09 करोड़ अकेले काँगड़ा में खर्च हुआ है, इसके अतिरिक्त मनरेगा योजना में अन्य विभागों की स्कीमों के साथ कन्वर्जेन्स करने पर बल दिया जा रहा है । जहां वर्ष 2019-20 में कन्वर्जेन्स कार्यों पर खर्च की गई राशि 3.27 करोड़ थी वहीं वर्ष 2020-21 में जिला काँगड़ा में अभी तक 2.31 करोड़ की राशि कन्वर्जेन्स के कार्यों पर व्यय की जा चुकी है जिसमें बागवानी विभाग का शिवा प्रोजेक्ट भी शामिल है ।
यह भी पढ़ें: राजभवन में नागा रेजिमेंट के कारगिल युद्ध नायकों को राज्यपाल ने किया सम्मानित 
एडीसी कांगड़ा राघव शर्मा ने कहा कि जिला काँगड़ा में ही इसी वर्ष कृषि, बागवानी और पशु पालन से जुड़े कार्यों की स्वीकृति से जुड़ी प्रक्रिया को ‘मनरेगा समग्र’ के अंतर्गत सरल किया गया है और 2786  व्यक्तिगत कार्य चले हुए हैं । जिला काँगड़ा ने सभी मनरेगा जॉब कार्ड के सत्यापन और अद्यतन की प्रक्रिया आरम्भ करने में भी सबसे पहले कदम उठाया है। मनरेगा के अंतर्गत काँगड़ा प्रदेश का अग्रणी जिला बनकर उभर रहा है।
उपायुक्त कांगड़ा राकेश कुमार प्रजापति ने कहा कि कोविड-19 से उत्पन्न परिस्थिति में जहां रोजगार के अवसर कम होने से बड़ी संख्या में प्रदेश से बाहर के लोग में वापिस आये हैं। ऐसे स्थिति में मनरेगा के माध्यम से बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार उपलब्ध करवाने में सफलता मिली है। उन्होंने कहा कि काँगड़ा में मनरेगा के अंतर्गत कार्यदिवस सृजित करने के लक्ष्य के साथ ही प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन एवं कन्वर्जेन्स कार्यों को बढ़ावा देना, शौचालय निर्माण, सिंचाई के कार्यों, आवास योजना के लाभार्थियों एवं सर्वाधिक महिलाओं और दिव्यांगों को मनरेगा से जोड़कर सामाजिक न्याय से जुड़े पहलुओं का भी ध्यान रखा जा रहा है ।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here