राहुल गांधी की सदस्यता रद्द करने पर भड़के कुलदीप राठौर

बोले....  लोकतंत्र की की गई हत्या, राहुल गांधी से डरी है केंद्र सरकार 

बोले….  लोकतंत्र की की गई हत्या, राहुल गांधी से डरी है केंद्र सरकार 
आदर्श हिमाचल ब्यूरो
शिमला। सूरत कोर्ट द्वारा कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी  को दो साल की सजा सुनाने के बाद लोकसभा सचिवालय द्वारा उनकी सदस्यता रद्द कर दी गई। जिस पर कांग्रेस भड़क गई है और भाजपा पर सोची समझी साजिश के तहत उनकी सदस्यता रद्द करने के आरोप लगाए जा रहे हैं। कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता कुलदीप सिंह राठौर  ने भी इसको लेकर भाजपा पर निशाना साधा और इस उनकी सदस्यता रद्द करने के फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया। उन्होंने कहा कि देश के  लोकतंत्र में ऐसा पहली बार हुआ है। अभी तक फैसला सूरत कोर्ट ने सुनाया है और इसमें कानून की लंबी प्रक्रिया है उन्हें अपील करने का समय भी दिया गया था और हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट जाने के रास्ते भी अभी खुले थे, लेकिन लोकसभा सचिवालय द्वारा जल्दबाजी में उनकी सदस्यता रद्द करने का फैसला लिया गया है।
एआईसीसी प्रवक्ता कुलदीप सिंह राठौर ने कहा कि राहुल गांधी से केंद्र की मोदी सरकार डर गई है। जिस तरह से राहुल गांधी ने 4000 किलोमीटर की पैदल यात्रा कन्याकुमारी से कश्मीर तक की है, उससे देश में अलग माहौल बन गया है और वह जनता की लड़ाई लड़ रहे हैं। उनकी पदयात्रा में लाखों की संख्या में लोग जुड़े जिसे भाजपा की जमीन खिसकनी शुरू हो गई है । इसके अलावा अडानी प्रकरण को लेकर कांग्रेस  जेपीसी का गठन करने की लगातार मांग कर रहा है, लेकिन उसका गठन नहीं कर रहे हैं और सोची-समझी रणनीति के तहत राहुल गांधी की घेराबंदी शुरू की गई।
 राठौर ने कहा कि राहुल गांधी द्वारा भाजपा सरकार की अधिनायकवादी शासन के खिलाफ राहुल गांधी खड़े हुए हैं। पहले उन्हें लोकसभा में बोलने का मौका नहीं देगा और अब उनकी सदस्यता को रद्द कर दिया गया है जो कि लोकतंत्र के इतिहास में काले अक्षरों में लिखा जाएगा।  उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के इस  फैसले से याफ है कि  2024 की इबारत  लिखा जा रहा है । सत्ता में बैठे  लोगों को लग रहा है कि उनके पैरों के नीचे से जमीन खिसक रही है लेकिन इससे कांग्रेस डरने वाली नहीं है देश की जनता और कांग्रेस राहुल गांधी के साथ खड़ी है और जिस तरह से उनके साथ केंद्र सरकार बर्ताव कर रही है वह देश की जनता सहन करने वाली नहीं है और इसका जवाब भी जनता उन्हें आने वाले समय में देगी। केंद्र सरकार को ये फैसला महंगा पड़ने वाला है।
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