आदर्श हिमाचल ब्यूरो
हमीरपुर । महिला एवं बाल विकास विभाग ने राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला लंबलू और परोल में छात्राओं के लिए तनाव प्रबंधन कार्यशालाएं आयोजित कीं।
इस अवसर पर छात्राओं का मार्गदर्शन करते हुए टौणी देवी की बाल विकास परियोजना अधिकारी सुकन्या कुमारी ने कहा कि किशोरावस्था मानव जीवन का सर्वाधिक ऊर्जावान, उत्पादक एवं प्रतिस्पर्धी कालखंड होता है। यह अत्यधिक ऊर्जा एवं प्रतिस्पर्धा किशोरों से अपने व्यवहार में कुशलता और धैर्य की भी अपेक्षा रखती है क्योंकि अपने आसपास के बदलते परिवेश से सामंजस्य स्थापित करते हुए हमारा शरीर तनाव के रूप में अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करता है।
सीडीपीओ ने बताया कि तनाव वास्तव में हमारी वह शारीरिक और मानसिक दशा है जो हमें किसी परिस्थिति विशेष का सामना करने के लिए क्रियाशील बनाती है। यह क्रियाशीलता यदि हमें समस्याओं का सकारात्मकता से सामना करने के लिए प्रेरित करती है, हमें रचनात्मक बनाती है या हमें कुशलताओं का उपयोग करने का अवसर प्रदान करती है, तो यह जीवन में प्रगति के नए मार्ग प्रशस्त करने में भी सहायक होती है। सुकन्या कुमारी ने कहा कि सकारात्मक तनाव हमें ऊर्जा से परिपूर्ण कर सामान्य स्थिति में असंभव दिखने वाले कार्य को संभव करने में मदद करता है। नकारात्मकता की स्थिति में यह क्रियाशीलता शारीरिक और मानसिक स्थिति का ह्रास कर विकास को अवरुद्ध कर देती है।
इस अवसर पर मनोविज्ञानी शीतल वर्मा ने कहा कि तनाव प्रबंधन कार्यशालाओं का उद्देश्य तनाव की अति क्रियाशीलता को उचित प्रबंधन के द्वारा सकारात्मकता में बदल कर युवाओं की ऊर्जा का सदुपयोग करना है।
समय प्रबंधन, कार्य प्राथमिकता, प्रभावी संचार, सकारात्मक सोच जैसे कौशलों का विकास कर किशोरों को उनकी ऊर्जा का सदुपयोग करने के लिए प्रेरित किया जा सकता है। उन्होंने योग, ध्यान, श्वास प्रबंधन, स्व-सम्मोहन जैसी तकनीकों के माध्यम से किशोरियों को तनाव मुक्ति के उपाय सिखाते हुए इन उपायों को दैनिक जीवन का अभिन्न अंग बनाने का आह्वान किया। उन्होंने किशोरियों को खेलकूद, संगीत एवं सामाजिक रूप से उत्पादक कार्यों में भी अपनी अभिरुचि बढ़ाने के लिए प्रेरित किया। इन कार्यक्रमों में लगभग 150 छात्राओं ने भाग लिया।