आदर्श हिमाचल ब्यूरो
शिमला। शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज की अध्यक्षता में आज यहां स्वर्णिम हिमाचल प्रदेश दृष्टि पत्र-2017 के कार्यान्वयन के लिए गठित मंत्रिमण्डल की उप-समिति की बैठक आयोजित की गई। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार इस दृष्टि पत्र के कार्यान्वयन के लिए प्रतिबद्ध है। शहरी विकास विभाग से संबंधित दृष्टि पत्र के मुद्दों पर सुरेश भारद्वाज ने कहा कि शहरी विकास विभाग द्वारा ट्यूलिप योजना का कार्यान्वय किया जा रहा है, जिसके तहत चयनित विद्यार्थियों को इंटर्नशिप करवाई जा रही है। उन्होंने सभी सरकारी विभागों और जन प्रतिनिधि कार्यालयों में विद्यार्थियों फैलोशिप और इंटर्नशिप करवाने के लिए एक योजना तैयार करने के निर्देश दिए ताकि राष्ट्र निर्माण और विकास नियोजन प्रक्रिया में युवाओं की भागीदारी सुनिश्चित की जा सके।
उन्होंने विभाग को शहरी स्थानीय निकायों में कचरे के निष्पादन के लिए योजना तैयार करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि प्रदेश में जैविक, अजैविक एवं घरेलू हानिकारक कचरे को अलग-अलग कर निष्पादन की प्रणाली तैयार की गई है। प्रदेश में 47 स्थानीय निकायों में जैविक कचरा निष्पादन केन्द्र बनाए जा चुके हैं।
उद्योग मंत्री बिक्रम सिंह ने उद्योग विभाग से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करते हुए कहा कि हिमाचल प्रदेश ईज़ आॅफ डूइंग बिजनेस के तहत देश में सातवें स्थान पर है, जो प्रदेश में व्यापार करने के लिए उपयुक्त परिस्थितियों तथा सुविधाओं की उपलब्धता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में निवेश को बढ़ावा देने के लिए धर्मशाला मेें 7 व 8 नवम्बर, 2019 को आयोजित ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट के दौरान 96,721 करोड़ रुपये निवेश के 703 समझौता ज्ञापन हस्ताक्षरित किए गए। कुल 36 देशों के 200 प्रतिनिधियों ने इस मीट में भाग लिया। 13,656 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का पहला ग्राउंड बे्रकिंग समारोह भी आयोजित किया गया। प्रदेश मंे उद्योग स्थापित करने के लिए लैंड बैंक भी स्थापित किया गया है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में अवैध खनन की जांच व रोकथाम के लिए प्रदेश सरकार ने उड़न दस्ते का गठन किया है। प्रदेश में अवैध खनन पर अंकुश लगाने के लिए जुर्माना राशि को भी बढ़ाया गया है। स्टार्ट-अप योजना के तहत प्रदेश में 11 इन्क्यूबेशन केन्द्रों को स्थापित किया गया है। प्रदेश सरकार ने योजना के तहत 10 करोड़ रुपये के वेंचर कैपिटल फण्ड का प्रावधान किया है।
ग्रामीण विकास विभाग से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करते हुए सुरेश भारद्वाज ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में ग्रामीण विकास से ही प्रदेश का विकास संभव है। उन्होंने प्रदेश में मनरेगा के तहत मजदूरी के पारदर्शी और अविलम्ब भुगतान के लिए इलैक्ट्राॅनिक वित्तीय प्रबन्ध प्रणाली ई-एफएमएस के सफल क्रियान्वयन पर सन्तोष जाहिर किया। उन्होंने कहा कि प्रदेश में प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के तहत गत चार वर्षों में 11,935 परिवारों को आवास स्वीकृत किए गए हैं, जिनमें से 7787 आवास निर्मित किए गए हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत वर्ष 2018-19 से लेकर 2020-21 तक 3931 आवास निर्मित किए जा चुके हैं। वित्तीय वर्ष 2019-20 से दोनों योजनाओं के अन्तर्गत 1.50 लाख रुपये प्रति इकाई सहायता राशि प्रदान की जा रही है।
शहरी विकास मंत्री ने कहा कि आईआरडीपी एवं बीपीएल चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से अधिसूचना जारी की गई है। वर्तमान में प्रदेश मंे कुल 2,58,852 चयनित बीपीएल परिवार हैं। हर गांव एवं पालगरी को सड़कों से जोड़ने के उद्देश्य से मनरेगा के अन्तर्गत ग्रामीण सड़कों का निर्माण किया जा रहा है, जिसके तहत गत तीन वर्षों में 1059 सड़क कार्य पूर्ण किए गए। उन्होंने कहा कि मनरेगा के अन्तर्गत प्रत्येक पंचायत में शमशान घाट निर्माण के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
इस अवसर पर अतिरिक्त मुख्य सचिव उद्योग राम सुभग सिंह, सचिव शहरी विकास रजनीश, सचिव सामान्य प्रशासन देवेश कुमार, सचिव ग्रामीण विकास संदीप भटनागर, सचिव आवास अक्षय सूद तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।