रायसीना डायलॉग 2022 में विदेश मंत्री जयशंकर ने पश्चिम को फिर दिखाया आईना

नई दिल्ली: साल 2022 के लिए “रायसिना डायलॉग” की शुरुआत राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 25 अप्रैल से शुरू हो चुकी है। इस वर्ष के रायसीना डायलॉग की अध्यक्षता यूरोपियन कमीशन की अध्यक्षा उर्सुला वॉन डेर लेयन कर रही है। दिलचस्प बात यह भी है कि यूरोपियन यूनियन का वास्तविक मुखिया यूरोपियन कमीशन का अध्यक्ष ही माना जाता है, ऐसे में विश्व के एक बड़े ब्लॉक का प्रतिनिधित्व इस वक्त भारत में मौजूद है, तो इसके अलावा 90 विभिन्न देशों के 210 प्रतिनिधि भी इस संभाल सत्र में हिस्सा ले रहे हैं। मगर इस संवाद सत्र में उर्सुला वॉन की उपस्थिति से ज्यादा सुर्खियां भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बटोरी। सत्र के दौरान यूक्रेन रूस युद्ध का मुद्दा फिर उठा और पश्चिमी देशों के प्रतिनिधियों ने रूल बेस्ड ऑर्डर को कायम रखने की बात कही इस पर बोलते हुए एस जयशंकर ने हाल ही में अफगानिस्तान में तालिबान के द्वारा चुनी हुई सरकार के तख्तापलट के मुद्दे को भी उठाया और पश्चिम के दोहरे मापदंडों को उजागर किया जिसको भारतीय और विदेशी मीडिया हाउस ने भी प्रमुखता से छपा।

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रायसीना डायलॉग में एस जयशंकर का कथन दरअसल कोई शुरुआत नहीं है भारत पिछले कुछ समय से उग्र रूप से अपनी बातें विश्व के सामने रखता आ रहा है कुछ वर्ष पहले भारत की छवि एक ऐसे राष्ट्र के रूप में थी जो विश्व को सुनता था मगर अब यह छवि बदलने लगी है और भारत खुलकर पश्चिम के दोहरे मापदंडों की आलोचना कर रहा है। कुछ रोज पहले भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह 2+2 मुलाकात के लिए अमेरिका दौरे पर थे जहां एस जयशंकर में भारत में मानव अधिकारों के हनन के सवाल पर करारा जवाब देते हुए अमेरिका में मानव अधिकारों के हनन को जगजाहिर कर दिया जिसके बाद अमेरिका के विदेश सेक्रेटरी को कहना पड़ा कि “भारत और अमेरिका एक दूसरे से सीखते आए हैं” कुछ सालों पहले तक अमेरिका की धरती पर जाकर अमेरिका को नसीहत देने का साहस शायद ही किसी भारतीय मंत्री ने किया हो…मगर आज समीकरण बदल रहे हैं और भारत ताकत के रूप में विकसित हो रहा है। और इसके पीछे कहीं न कहीं वजह है भारत की पश्चिम को जरूरत।