कोविड-19 से डाॅक्टरों के लिए सबसे ज्यादा खतरा…. कोरोना के दौर में दंत चिकित्सा हुई बेहद मुश्किल

आदर्श हिमाचल ब्यूरो

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शिमला। दांतों की सुरक्षा के लिए एहतियातन दिन में दो बार ब्रश करना चाहिए। चिपचिपी चीजों जैसे चॉकलेट आदि से दूर रहना चाहिए। गुनगुने पानी में नमक डालकर कुल्ला करना फायदेमंद हो सकता है। बुखारए खांसी या जुकाम है तो चिकित्सक को पहले से ही बता दें । यही छोटी-छोटी सावधानियां बरतकर हम खुद सुरक्षित रहने के साथ ही दूसरों को भी सुरक्षित रख सकते हैं

दंत चिकित्सा से पूर्व क्या बरतें सावधानी
. क्लीनिक में आने वालों का तापमान मापें
. भीड़ से बचने के लिए मरीजों का टाइम स्लॉट तय करें
. चेकअप फिलिंग के दौरान पीपीई किट पहनें
. इंट्रा ओरल एक्स.रे से बचें
. एयरोसाल कम से कम करने की तरकीब निकालें
. थ्री वे सिरिंज का इस्तेमाल कम से कम करें
मरीजों के इलाज में दंत चिकित्सकों के सामने सबसे बड़ा खतरा है।
सीनियर डाॅक्टर सर्जन दीपक चैहान का कहना हैं कि कोरोना के मरीजों की लार में वायरस की मौजूदगी करीब 90ः तक हो सकती है। मुंह की समस्या पूरे शरीर को प्रभावित कर सकती है। इसलिए कोरोना काल में लोगों को अधिक सतर्कता बरतनी चाहिए।

दांतों की सुरक्षा के लिए एहतियातन दिन में दो बार ब्रश करना चाहिए। गुनगुने पानी में नमक डालकर कुल्ला करना फायदेमंद रहेगा। ब्रश से पहले हाथों को साबुन से अच्छी तरह से धो लें। ब्रश को भी धोकर ही इस्तेमाल करें। इसे बंद करके रखें। डाक्टर के पास जाना जरूरी हो तो मास्क लगाकर जाएं। दो गज की दूरी बनाकर रखें। बुखारए खांसी या जुकाम है तो डाक्टर को पहले ही बता दें। यही छोटी-छोटी सावधानियां बरतकर हम खुद सुरक्षित रहने के साथ ही दूसरों को भी सुरक्षित रख सकते हैं । जरूरी ना हो तो डेंटल ट्रीटमेंट से बचेंरू कि इस वक्त अगर किसी तरह की डेंटल इमरजेंसी जैसे दांत में दर्दए सूजन या फ्रैक्चर आदि ना हो तो रूटीन चेकअप आदि के लिए डेंटल क्लीनिक जाने से परहेज करें।
डाॅ चैहान का कहना है कि लोगों में यह भी एक धारणा है कि दांतों की सफाई से कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने में मदद मिलती हैं जबकि ऐसा नहीं है। इस वक्त स्केलिंग से परहेज करना चाहिए। इस प्रक्रिया में हवा और पानी के कारण ओरोसोल पैदा होत है। और यह मरीज के वायरस को ट्रीटमेंट रूम में फैला सकता है। ऐसे में मुंह और नाक से निकलने वाले ड्रापलेस से भी कोरोना फैलने की संभावना होती है।
इस दौरान डॉक्टर और मरीज का काफी नजदीक से संपर्क होता है। विशेष तरह से डेंटल प्रक्रिया में हवा और पानी के प्रेशर के कारण की चुनौतियां आती हैं। यह प्रेशर मरीज के वायरस को ट्रीटमेंट रूम में फैला सकता है। ऐसे में मरीज और डॉक्टर दोनों को क्रास इंफेक्शन का खतरा बढ़ सकता है। अगर ट्रीटमेंट टाला जाता हैं तो गहन इलाज की भी जरूरत पड़ सकती है। कई बच्चे विशेष रूप से इलाज की उम्र को पार कर सकते हैं और उन्हें बड़े हो कर इलाज की जरूरत होगी।