अब भाजपा ने राजस्थान में सियासी उठापटक के लिए गहलोत को ही बना डाला 'मुजरिम'

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार
आपने फिल्मों में या निजी तौर पर कोर्ट-कचहरी में जज को यह कहते हुए सुना होगा, ‘तमाम गवाहों के बयान सुनने के बाद अदालत इस नतीजे पर पहुंची है कि मुजरिम उस वारदात में शामिल था’… राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के भाजपा और सचिन पायलट पर लगाए गए आरोपों के 7 दिनों बाद मुख्यमंत्री गहलोत को ही उल्टा मुजरिम बनाते हुए कटघरे में खड़ा कर दिया है । यानी भाजपा के अनुसार राजस्थान में मचे सियासी घमासान का असली गुनाहगार गहलोत ही हैं ।
आपको बता दें कि अपनी सरकार गिराने के लिए गहलोत सचिन पायलट और भाजपा पर मिलीभगत करने के आरोप लगा रहे हैं । सीएम गहलोत के आरोपों से भाजपा की देशभर में जबरदस्त किरकिरी हुई है । पायलट का अपने समर्थक विधायकों के साथ दिल्ली में डेरा जमाए रहने का समीकरण भाजपा के खिलाफ ही गया है, हालांकि भाजपा के कई शीर्ष नेता अशोक गहलोत की सरकार गिराने की साजिश में शामिल न होने का इनकार करते रहे हैं, लेकिन राजस्थान में गहलोत का सिंहासन भाजपा के शह के बिना हिल नहीं सकता था ?
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अपने ऊपर लगे गहलोत के गंभीर आरोपों को हटाने के लिए भारतीय जनता पार्टी कई दिनों से ऐसा मुद्दा तलाश रही थी जो कि देशवासियों साथ गहलोत पर भी ‘ब्रह्मास्त्र’ का काम कर जाए और राजस्थान सियासी दंगल में अपनी छवि में थोड़ा सुधार आ जाए । भाजपा के तेज तर्रार प्रवक्ता डॉ संबित पात्रा ने शनिवार को राजस्थान की राजनीति में अपनी एंट्री कर ली । बोलने में माहिर पात्रा ने अब राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर फोन टैपिंग की वैधानिकता पर ही सवाल उठा कर सियासत को गर्म करने की कोशिश कर दी है ।
इस फोन टैपिंग के मामले में भाजपा और संबित पात्रा की दोहरी खुशी तब और बढ़ गई जब बसपा प्रमुख मायावती ने भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर फोन टैपिंग के मामले में सवाल उठाते हुए घेरने की कोशिश की है ।
बसपा प्रमुख मायावती को भी गहलोत को घेरने का अब मिला मौका—
आपको बताना चाहेंगे कि पिछले वर्ष सितंबर में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जादूगरी दिखाते हुए बसपा के छह विधायकों को कांग्रेस में विलय करा लिया था । इसके बाद राजस्थान में मुख्यमंत्री गहलोत की विधानसभा में स्थित और मजबूत हो गई थी । तभी से बसपा प्रमुख मायावती अशोक गहलोत से तिलमिलाई हुई बैठी थी । हालांकि उस समय भी बसपा प्रमुख ने गहलोत पर अपने विधायकों को तोड़ने के कई आरोप लगाए थे । अब भाजपा के हमले के बाद मायावती को गहलोत पर हमला करने का मौका मिल गया है । बसपा प्रमुख ने राजस्थान सरकार पर फोन टैपिंग को असंवैधानिक करार दिया है । बसपा प्रमुख मायावती ने ट्वीट में कहा कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पहले दलबदल कानून का खुला उल्लंघन किया। बसपा के साथ लगातार दूसरी बार धोखेबाजी की और हमारी पार्टी के विधायकों को कांग्रेस में शामिल कराया। अब फोन टेप कराके मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक और गैर-कानूनी और असंवैधानिक काम किया है। यही नहीं मायावती ने तो यहां तक कह दिया कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लगना चाहिए ।

फोन टैपिंग के लेकर संविधान विशेषज्ञों से राय लेने में जुटी भाजपा—

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हमारे देश की राजनीति में यह पहला मौका नहीं है जब फोन टैपिंग क्यों लेकर सियासत गरमाई हो । पिछले साल कर्नाटक और छत्तीसगढ़ में फोन टैपिंग के आरोप लगे थे । अब भाजपा इसी को आगे बढ़ाते हुए संविधान विशेषज्ञों से राय लेने में जुटी हुई है कि सरकार को किसी व्यक्ति के फोन टैप करने की इजाजत देता है ?
गौरतलब हैै कि पिछले दिनों राजस्थान में तीन ऑडियो टैप सार्वजनिक हुए और इनमें कथित तौर पर दो व्यक्ति सरकार को गिराने के लिए विधायकों को पैसे देने की बात कहते सुने गए।कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला के मुताबिक एक ऑडियो में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और कांग्रेस के भंवरलाल शर्मा की आवाजें हैं।
इसके बाद राजस्थान सरकार ने केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और सचिन पायलट गुट के विधायक भंवरलाल शर्मा पर एफआईआर दर्ज करवाई थी । हालांकि, शर्मा और शेखावत, दोनों ही इन आरोपों को खारिज कर चुके हैं। सही मायने में भाजपा अब इस मामले को तूल देने में लगी हुई है कि राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार फोन टैपिंग कराना संवैधानिक नहीं था ।
भाजपा यह हथकंडा राजस्थान सरकार पर इसलिए भी मढ़ रही है क्योंकि इस फोन टैपिंग में उसके खुद ही केंद्रीय मंत्री शेखावत का नाम राजस्थान सरकार के द्वारा बताया जा रहा है ।