शिमला नागरिक सभा ने स्मार्ट मीटर लगाने, पानी, बिजली, प्रॉपर्टी टैक्स, कूड़ा उठाने की फीस में वृद्धि करने के विरोध में किया जोरदार प्रदर्शन

आदर्श हिमाचल ब्यूरो
शिमला। जिला शिमला नागरिक सभा ने स्मार्ट मीटर लगाने, पानी, बिजली, प्रॉपर्टी टैक्स, कूड़ा उठाने की फीस में वृद्धि करने के विरोध में उपायुक्त कार्यालय शिमला पर जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शन में संयोजक संजय चौहान, सह संयोजक विजेंद्र मेहरा, प्रेम गौतम, जगमोहन ठाकुर, समरहिल के पार्षद वीरेंद्र ठाकुर, बालक राम, डॉ राजेन्द्र चौहान, डॉ विजय कौशल, कपिल शर्मा, अमित ठाकुर, रंजीव कुठियाला, विनोद बिरसांटा, अनिल ठाकुर, रामप्रकाश, दिनित देंटा, कमल, अखिल, संतोष, सन्नी सिक्टा, सरिता, उपेंद्र, दलीप, शांति, बबलू, प्रवीण, ओमप्रकाश, सन्नी, दीप राम आदि शामिल रहे। नागरिक सभा ने नगर निगम शिमला, एसजेपीएनएल प्रबन्धन, विद्युत नियामक आयोग व प्रदेश सरकार को चेतावनी दी है कि अगर पानी बिजली कूड़ा व प्रोपर्टी टैक्स में बढ़ोतरी की गई तो नागरिक सभा इसके खिलाफ आंदोलनरत होगी।

नागरिक सभा संयोजक विजेंद्र मेहरा व सह संयोजक विजेंद्र मेहरा ने कहा है कि नवउदारवादी निजीकरण व व्यापारीकरण की नीतियों के कारण जनता की बुनियादी सुविधाओं पर हमला हो रहा है। जनता को उनकी मूलभूत सुविधाओं से वंचित किया जा रहा है। सेवा क्षेत्र को बर्बाद करने की साज़िश चल रही है। जनता को मुफ्त एवम अनिवार्य सेवाएं प्राप्त करने के बजाए जनता से सभी सेवाओं की एवज में ठगी की जा रही है। विश्व बैंक की शर्तों व खर्चों की भरपाई की आड़ में इन सेवाओं की कीमत में हर वर्ष दस प्रतिशत की बढ़ोतरी करना एक फैशन बन चुका है। जनता के आय के साधन सीमित हैं व ऑक्सफेम की रिपोर्ट के अनुसार जनता के आय के साधनों में बढ़ोतरी के बजाए स्थगन अथवा कमी हो रही है परन्तु बिना तर्क के हर वर्ष शिमला शहर में बुनियादी सुविधाओं के रेट में दस प्रतिशत या अधिक की बढ़ोतरी हो रही है। बुनियादी सुविधाओं की दरों में दस प्रतिशत की वृद्धि की नीति वर्ष 2017 में तत्कालीन भाजपा सरकार व भाजपा शासित नगर निगम शिमला ने लाई थी।
यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि कांग्रेस की वर्तमान सरकार व कांग्रेस शासित नगर निगम शिमला भी भाजपा की उसी नीति को लागू कर रही है। नगर निगम शिमला व एसजेपीएनएल अपनी नकारा कार्यप्रणाली को सुधारने के बजाए जनता पर आर्थिक बोझ लाद रही है। इनकी लचर कार्यप्रणाली के कारण अभी तक कूड़े की साढ़े ग्यारह करोड़, प्रोपर्टी टैक्स की ग्यारह करोड़ व पानी की इक्कीस करोड़ रुपये की वसूली प्रभावशाली लोगों व सरकारी विभागों से बकाया है परन्तु नियम कायदे कानून की पालना करने वाली आम जनता पर हर वर्ष बेवजह आर्थिक बोझ लादा जा रहा है जिसे कतई सहन नहीं किया जाएगा।
उन्होंने मांग की है कि जनता के हितों की रक्षा के मध्यनज़र बिजली व पानी का निजीकरण बंद किया जाए। प्रदेश में बिजली के स्मार्ट मीटर लगाना बंद किया जाए क्योंकि इस से बिजली आम जनता की पहुंच से बाहर हो जाएगी। वास्तव में बिजली का स्मार्ट मीटर कार्पोरेट घरानों को फायदा देने का एक महाघोटाला है। प्रॉपर्टी टैक्स की दरों में 8 प्रतिशत की वृद्धि वापिस ली जाए क्योंकि यह तार्किक नहीं है। नागरिकों की सुविधाओं में बढ़ोतरी किये बिना व भवनों के नियमितीकरण के बगैर इस का कोई तुक ही नहीं बनता है। कूड़ा उठाने की फ़ीस में की जा रही प्रति वर्ष 10 प्रतिशत की वृद्धि की नीति वापिस ली जाए। यह फीस पिछले सात वर्षों में चार गुणा बढ़ चुकी है जोकि जनता विरोधी कार्य है। शिमला शहर में पानी के निजीकरण के लिए बनाई एसजेपीएनएल कम्पनी को बंद किया जाए व पानी की आपूर्ति का कार्य पूर्ववत नगर निगम शिमला द्वारा किया जाए।
पानी की दरों में प्रति वर्ष दस प्रतिशत की वृद्धि को वापिस लिया जाए। मोदी सरकार की नीति के अनुसार शहरी सुधारों के नाम पर जनता पर टैक्स का बोझ डालना बंद किया जाए। नगर निगम शिमला में रिक्त पदों पर नियमित भर्ती की जाए। नगर निगम शिमला में ठेका व आउटसोर्स भर्ती बंद की जाए। सरकार प्रदेश में बिजली (संशोधन) बिल, 2022 को लागू करने का निर्णय वापिस ले।
Ads