आदर्श हिमाचल ब्यूरों
शिमला: हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु 58 वर्ष से बढ़ाकर 59 वर्ष करने के प्रस्ताव को लेकर प्रदेशभर के लाखों शिक्षित और शोधरत युवाओं में भारी आक्रोश है। हिमाचल प्रदेश यूथ फोरम (HPYF) ने इस प्रस्ताव को युवाओं के अधिकारों और भविष्य के खिलाफ बताया है और इसे तुरंत वापस लेने की मांग की है।
यूथ फोरम के अनुसार, यह प्रस्ताव न केवल रोजगार के अवसरों को सीमित करेगा, बल्कि सरकारी विभागों में पहले से ही जमे वरिष्ठ कर्मचारियों को और अधिक समय तक रोके रखेगा, जिससे नई नियुक्तियों का रास्ता बंद हो जाएगा।प्रदेश के सभी जिलों से आए शोधार्थियों और उच्च शिक्षित युवाओं ने इस प्रस्ताव के विरुद्ध अपने विचार व्यक्त किए हैं:
प्रमुख आपत्तियाँ और युवाओं की आवाज़:
1. रोजगार के अवसर कम होंगे – उदय सिंह (सोलन), भौतिक विज्ञान के शोधार्थी, कहते हैं कि सहायक प्रोफेसर पदों के लिए हजारों युवा वर्षों से प्रतीक्षा कर रहे हैं।
2. शैक्षणिक क्षेत्र में ठहराव – आशीष शर्मा (ऊना) बताते हैं कि सेवानिवृत्त शिक्षक अनुबंध पर फिर से नियुक्त हो जाते हैं। अब आयु बढ़ाने से अन्य योग्य उम्मीदवारों को मौका नहीं मिलेगा।
3. प्रतियोगी परीक्षाओं में देरी – ओशिन (मंडी) का कहना है कि कम रिक्तियों के चलते PSC, SLET जैसी परीक्षाएँ अनियमित हो गई हैं, जिससे युवा उम्र सीमा पार कर रहे हैं।
4. योग्य उम्मीदवारों की बढ़ती भीड़ – प्रियंका ठाकुर (चंबा), जो NET पास कर चुकी हैं, अभी तक बेरोजगार हैं और कहती हैं कि रिक्त पदों की गति बेहद धीमी है।
5. शैक्षणिक संसाधनों की बर्बादी – मुस्कान और सुरव (हमीरपुर) का मानना है कि शिक्षित युवाओं को कम वेतन वाले निजी क्षेत्रों में काम करना पड़ रहा है।
6. अनिश्चित भविष्य – दिनेश (शिमला) बताते हैं कि वह 30 की उम्र पार कर चुके हैं और अभी तक किसी भी सरकारी इंटरव्यू तक नहीं पहुंच पाए।
7. कार्यबल का असंतुलन – यश और योगेश (शिमला), HPU के शोधार्थी, कहते हैं कि आयु बढ़ने से कार्यबल वृद्ध होता जाएगा और नवाचार प्रभावित होगा।
8. प्रतिभा का पलायन – पूजा (सिरमौर) बताती हैं कि नौकरी की कमी के चलते युवा चंडीगढ़ और दिल्ली जैसे महानगरों की ओर पलायन कर रहे हैं।
9. मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव – रोहित ठाकुर (लाहौल-स्पीति) चिंता व्यक्त करते हैं कि बेरोजगारी के चलते युवाओं में डिप्रेशन और चिंता के मामले बढ़ रहे हैं।
10. सामाजिक असंतोष – मुस्कान सोनी (कुल्लू) चेतावनी देती हैं कि यदि युवाओं की मांगों को नजरअंदाज किया गया तो प्रदेश में बड़े आंदोलन हो सकते हैं।
11. प्रमोशन की देरी – शिखा (बिलासपुर), जो गेस्ट फैकल्टी हैं, कहती हैं कि आयु बढ़ाने से पदोन्नति की प्रक्रिया भी धीमी हो जाएगी।
12. वित्तीय तर्क गलत – देव नेगी (किन्नौर) कहते हैं कि वित्तीय संकट को GPF रोककर या पेंशन कॉम्युटेशन टालकर सुलझाया जा सकता है, न कि युवा रोजगार रोककर।
13. राज्य पर बढ़ता वित्तीय बोझ – सुनील (कांगड़ा) बताते हैं कि वरिष्ठ कर्मचारी अधिक वेतन लेते हैं, जबकि नए कर्मचारियों की नियुक्ति से राज्य का व्यय घटेगा।
14. नई सोच की कमी – जुल्फी और सोनू (कांगड़ा) कहते हैं कि युवा नई शिक्षा नीति (NEP 2020) और डिजिटल दुनिया के लिए अधिक सक्षम हैं।
15. अनुबंधित शिक्षकों का दर्द – प्रियंका और अंचल (कांगड़ा) कहती हैं कि सेवानिवृत्ति में देरी से नियमितीकरण की उम्मीदें समाप्त हो रही हैं।
16. शिक्षा की गुणवत्ता पर असर – शिखा (बिलासपुर) के अनुसार, नई पीढ़ी के शिक्षक अधिक दक्ष और तकनीकी रूप से सुसज्जित हैं।
17. पारिवारिक और आर्थिक तनाव – दिनेश (शिमला) कहते हैं कि बेरोजगारी के चलते पूरे परिवार पर आर्थिक बोझ पड़ता है।
18. सामाजिक ताने-बाने पर असर – सुनील (कांगड़ा) का मानना है कि नौकरी न मिलने से विवाह, सामाजिक स्थिरता और आत्मविश्वास पर बुरा असर पड़ता है।
19. नई पीढ़ी का हतोत्साहन – मुस्कान (हमीरपुर) कहती हैं कि शिक्षा के प्रति रुचि कम हो रही है क्योंकि नौकरी मिलने की संभावना नहीं है।
20. ग्रामीण युवाओं के सपनों पर कुठाराघात – अंचल (कांगड़ा) कहती हैं कि दूरदराज़ के क्षेत्रों में सरकारी नौकरी ही सम्मानजनक विकल्प है, जो इस नीति से बंद हो जाएगा।
एकजुट विरोध – राज्यभर से एक स्वर
हिमाचल प्रदेश के हर जिले – किन्नौर, कांगड़ा, लाहौल-स्पीति, सिरमौर, चंबा, मंडी, कुल्लू, बिलासपुर, शिमला – से ये आवाजें स्पष्ट संदेश देती हैं: “युवा शक्ति के साथ धोखा न करें।”
यूथ फोरम की माँगें
1. सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने का प्रस्ताव तुरंत वापस लिया जाए।
2. राज्यभर में शिक्षक, क्लर्क, व अन्य सरकारी पदों पर बड़े स्तर पर नियुक्तियाँ हों।
3. वित्तीय प्रबंधन पेंशन लाभों में बदलाव से किया जाए, न कि युवा रोजगार रोककर।
4. शोध एवं फेलोशिप के अवसरों का विस्तार हो ताकि ब्रेन ड्रेन रोका जा सके।
अंतिम चेतावनी
यदि सरकार ने यह प्रस्ताव पारित किया, तो हिमाचल प्रदेश यूथ फोरम राज्यभर में शांतिपूर्ण प्रदर्शन, डिजिटल अभियान और जन-आंदोलन शुरू करेगा। हमारे भविष्य से समझौता नहीं किया जा सकता।