आदर्श हिमाचल ब्यूरों
शिमला । ग्राम पंचायत बागथन के एक गाँव में हाल ही में हुए एक विवाह समारोह के दौरान ग्रामीणों ने एक साहसिक और ऐतिहासिक कदम उठाया। परंपरागत रूप से ‘उच्च जाति’ कहे जाने वाले ठाकुर समुदाय के लोग इस बार एक SC परिवार के घर विवाह समारोह में शामिल हुए। वर्षों से गाँव में ऐसी परंपरा रही थी कि ‘ऊँची जातियों’ के लिए भोजन अलग से बनता था।
लेकिन इस बार ग्रामीणों ने इस भेदभावपूर्ण परंपरा का विरोध किया।
उन्होंने एकमत से निर्णय लिया कि अब जाति के आधार पर अलग खाना बनाने की कोई व्यवस्था नहीं की जाएगी। खाना बनाने के लिए SC समुदाय के भाईयों को आमंत्रित किया गया, और सभी को एकसमान भोजन परोसा गया।
यहाँ तक कि पंडित के लिए भी खाना अलग नहीं बनाया गया। सभी के लिए भोजन एक ही स्थान पर, समान रूप से तैयार किया गया — चाहे वह ठाकुर हो, दलित हो या पंडित।
हालांकि, ठाकुर समुदाय के कुछ लोगों ने इस व्यवस्था को अपना अपमान समझा और भोजन नहीं किया, जबकि पंडित भी बार-बार गृहस्वामी और परिवार को नीचा दिखाने वाली बातें कहता रहा, जिसका ग्रामवासियों ने खुलकर विरोध किया।
ग्रामवासियों ने उसे समझाया कि उसे भोजन करने के लिए आमंत्रित किया गया है, लेकिन खाना बनवाने का अधिकार अब जातिगत श्रेष्ठता के आधार पर नहीं दिया जाएगा।
यह कदम मानवाधिकार और संविधान द्वारा दिए गए समानता के अधिकार को मज़बूती देता है।
इससे समाज के SC वर्ग को एक सकारात्मक और सम्मानजनक संदेश गया है कि बदलाव संभव है, अगर समाज जागरूक हो और अन्याय के खिलाफ खड़ा हो।
*हमारा मानना है कि गाँव का हर युवा और बुजुर्ग इस परिवर्तन के लिए जागरूक होना चाहिए।*
*जातिगत भेदभाव मानवता का अपमान है, और अब वक्त है कि हम सब मिलकर इसे जड़ से मिटाएँ।*