ओ वी. के. शर्मा, पूर्व उपमहानिरीक्षक (डीआईजीपी) एवं अध्यक्ष, पूर्व अर्द्धसैनिक बल कल्याण संघ द्वारा एक वक्तव्य जारी किया गया है, जिसे मनीर कटोच, हिमाचल प्रदेश राज्य एवं राष्ट्रीय प्रवक्ता द्वारा सार्वजनिक किया गया।
उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर एवं अन्य अभियानों के दौरान बलिदान देने वाले सेना के शहीदों और वीर नारियों को पूर्व अर्द्धसैनिक बलों के सभी पूर्व सैनिक एकजुट होकर नमन करते हैं। उनका साहस, देशभक्ति और सर्वोच्च बलिदान सदैव स्मरणीय है।
हाल ही में कांग्रेस पार्टी द्वारा होटल पीटरहॉफ, शिमला में आयोजित जय हिंद सभा समारोह में इन वीरों को सम्मानित किया गया — यह एक सराहनीय कदम है। किंतु अत्यंत खेद का विषय है कि इस आयोजन में भारत के अर्द्धसैनिक बलों के पूर्व सैनिकों को आमंत्रित नहीं किया गया। यह न केवल एक दुर्भाग्यपूर्ण चूक है, बल्कि यह सशस्त्र बलों के बीच कृत्रिम दूरी उत्पन्न करने का संकेत देती है।
यह स्पष्ट करना आवश्यक है कि सेना और अर्द्धसैनिक बल — दोनों संसद द्वारा पारित अधिनियम के तहत संघ की सशस्त्र सेनाएं घोषित हैं। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान दोनों बलों ने कंधे से कंधा मिलाकर दुश्मन का सामना किया और देश की प्रतिष्ठा को ऊँचा रखा।
हम पूर्व सैनिक किसी नाम या पुरस्कार के भूखे नहीं हैं, परंतु हमारे परिवार यह अनुभव कर रहे हैं कि सरकार हमारी सेवाओं और बलिदानों की अनदेखी कर रही है। यह पीड़ादायक है
हम कांग्रेस पार्टी और राज्य सरकार से अपील करते हैं कि वे इस विभाजनकारी रवैये को समाप्त करें और तुरंत प्रभाव से सुधारात्मक कदम उठाएं। अन्यथा यह स्थिति राजनीतिक दृष्टिकोण से राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस के लिए हानिकारक सिद्ध हो सकती है।