सीमाओं के पार नृत्य: शिमला में विशेष प्रदर्शन ने सबका ध्यान खींचा

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आदर्श हिमाचल ब्यूरों 

शिमला। हिमाचल प्रदेश  70वें वार्षिक अखिल भारतीय नाटक और नृत्य प्रतियोगिता के तीसरे दिन ने शिमला के काली बाड़ी ऑडिटोरियम और गेयटी थिएटर में भारत की समृद्ध प्रदर्शन कला का जीवंत उत्सव मनाया।

 

काली बाड़ी ऑडिटोरियम में 100 से अधिक नृत्य प्रस्तुतियों ने मंच को ऊर्जा और रचनात्मकता से भर दिया, जिसमें शास्त्रीय, अर्ध-शास्त्रीय, लोक और समकालीन शैलियों की विविधता दिखाई गई। दर्शकों ने इंदौर के द्रुपद डांस अकादमी, नई दिल्ली के अमरपाली कला पीठ, श्री भरथलाया कंचीपुरम तमिलनाडु, झनकार भारतनत्यम अकादमी गुजरात, देहरादून के शिवालय द परफॉर्मिंग आर्ट्स अकादमी और गुजरात के नाट्यालया स्कूल ऑफ क्लासिकल डांस द्वारा प्रस्तुत आकर्षक प्रदर्शनों के लिए जोरदार तालियाँ बजाईं।

 

इस सत्र की मुख्य अतिथि डॉ. गंगा, रिपन अस्पताल की ब्लड बैंक की प्रमुख थीं। उन्होंने सांस्कृतिक संरक्षण और सामाजिक उत्थान में प्रदर्शन कला के महत्व पर प्रकाश डाला।

विशेष रूप से सक्षम कलाकारों की भागीदारी ने मंच पर अनुग्रह और भावना लाई। पश्चिम बंगाल की अंगिरा मुखर्जी ने एक भावुक प्रदर्शन दिया जिसने सभी उपस्थित लोगों के दिलों को छू लिया। उनकी भागीदारी ने यह शक्तिशाली संदेश दिया कि कला सभी बाधाओं को पार करती है और सभी की होती है।

गैयटी थिएटर में विभिन्न शैलियों में 10 प्रभावशाली नाटक प्रस्तुत किए गए। इस सत्र के मुख्य अतिथि श्री विनोद कुमार ने दर्शकों को संबोधित करते हुए कहा कि कलाकारों ने समाज को दर्पण की तरह दिखाने और परिवर्तन का साधन बनाने में अपनी प्रतिबद्धता दिखाई है।

देशभर के नाट्य समूहों ने, जैसे उदयपुर के सेंट एंथनी सीनियर सेकेंडरी स्कूल, प्रयागराज के मध्याम साहित्यिक सामाजिक सांस्कृतिक संस्था और अन्य ने मजबूत स्क्रिप्ट्स के साथ अर्थपूर्ण संदेश प्रस्तुत किए।

जैसे-जैसे दिन 3 समाप्त हुआ, प्रतिभागियों का उत्साह और दर्शकों की सराहना ने उत्साह को बनाए रखा। यह महोत्सव केवल मनोरंजन नहीं करता बल्कि प्रेरणा भी देता है, जो कला की एकता और परिवर्तनकारी शक्ति को उजागर करता है।