अनुराग सिंह ठाकुर ने न्यूयॉर्क में कहा, ऊर्जा सुरक्षा अब राष्ट्रीय नहीं वैश्विक चुनौती

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आदर्श हिमाचल ब्यूरों

दिल्ली| पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं हमीरपुर लोकसभा क्षेत्र से सांसद अनुराग सिंह ठाकुर ने अमेरिका भारत रणनीतिक साझेदारी मंच द्वारा न्यूयॉर्क में आयोजित “नवीन ऊर्जा समीकरण” विषयक कार्यक्रम में भारत का पक्ष रखते हुए कहा कि ऊर्जा सुरक्षा एक राष्ट्रीय नहीं बल्कि वैश्विक चुनौती है। उन्होंने ऊर्जा, अर्थव्यवस्था और पर्यावरण के बीच संतुलन बनाए रखना आवश्यक बताया है। अनुराग सिंह ठाकुर ने कहा कि भारत ने कार्बन उत्सर्जन को लेकर अपनी स्पष्ट नीति घोषित की है और विकसित देशों से 2050 तक अपने कार्बन उत्सर्जन को पूरी तरह समाप्त करने का आग्रह किया है। उन्होंने ऊर्जा को हर व्यक्ति का मूल अधिकार बताते हुए कहा कि भारत ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में आत्मनिर्भरता और क्षमता निर्माण पर विशेष ध्यान दिया है। इसके तहत, राष्ट्रीय महत्वपूर्ण खनिज मिशन के तहत 2024-25 से 2030-31 तक 1,200 अन्वेषण परियोजनाएं शुरू की जाएंगी, जिनका लक्ष्य 30 महत्वपूर्ण खनिजों की खोज है। उन्होंने जलवायु परिवर्तन को वैश्विक त्रासदी बताते हुए ऊर्जा सहयोग को सफलता की कहानी करार दिया। भारत के डेटा केंद्रों की बिजली खपत में बढ़ोतरी पर उन्होंने चिंता जताई और बताया कि 2030 तक ये केंद्र देश की कुल बिजली खपत का 2.6 प्रतिशत हिस्सा ले लेंगे।

इस दौरान अनुराग सिंह ठाकुर ने कहा कि भारत ने 2030 तक 500 गीगावाट गैर जीवाश्म ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य रखा है और वर्तमान में नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता 227 गीगावाट तक पहुंच चुकी है। उन्होंने बताया कि जून 2025 तक भारत की कुल स्थापित बिजली क्षमता 476 गीगावाट हो गई है, जिसमें 50 प्रतिशत से अधिक क्षमता गैर जीवाश्म स्रोतों से है, भारत नवीकरणीय ऊर्जा और पवन ऊर्जा दोनों में विश्व के शीर्ष चार देशों में है। उन्होंने बताया कि भारत की सौर ऊर्जा क्षमता में जुलाई 2025 तक 4,000 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जिससे भारत दुनिया में तीसरे स्थान पर पहुंच गया है। देश में 2.8 करोड़ से अधिक घरों का विद्युतीकरण किया गया है और प्रति व्यक्ति बिजली की खपत में 45.8 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। वहीं बिजली की कमी 2013-14 के 4.2 प्रतिशत से घटकर 2024-25 में केवल 0.1 प्रतिशत रह गई है। अनुराग सिंह ठाकुर ने कार्यक्रम में कहा कि आर्थिक विकास के साथ पर्यावरण संरक्षण भी जरूरी है और ऊर्जा के क्षेत्र में वैश्विक सहयोग से एक स्वच्छ, हरित और सतत भविष्य सुनिश्चित किया जा सकता है।