आदर्श हिमाचल ब्यूरों
मोहाली। फोर्टिस अस्पताल, मोहाली में हाल ही में दो गंभीर रोगियों को न्यूरो-मॉड्यूलेशन तकनीकों से जीवनदायिनी राहत मिली है| एक ओर जहां 64 वर्षीय पार्किंसंस पीड़ित मरीज को डीप ब्रेन स्टिमुलेशन (DBS) से राहत मिली, वहीं 70 वर्षीय डिप्रेशन से ग्रस्त महिला को वेगल नर्व स्टिमुलेशन (VNS) सर्जरी से नया जीवन मिला है। पार्किंसंस से पीड़ित मरीज को हाथ, बाजू और सिर में कंपकंपी, बोलने में कठिनाई, शरीर में अकड़न और समन्वय की समस्याओं जैसी गंभीर दिक्कतें हो रही थीं। लंबे समय तक दवाइयों के असरहीन रहने के बाद उन्होंने फोर्टिस मोहाली के वरिष्ठ न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. निशित सावल से संपर्क किया। डॉ. सावल के नेतृत्व में न्यूरो-मॉड्यूलेशन टीम ने स्थिति का मूल्यांकन कर डीप ब्रेन स्टिमुलेशन सर्जरी का निर्णय लिया गया। डीबीएस एक आधुनिक न्यूरोसर्जिकल प्रक्रिया है जिसमें मस्तिष्क में अत्यंत सूक्ष्म इलेक्ट्रोड प्रत्यारोपित किए जाते हैं, जो विद्युत आवेग उत्पन्न कर मोटर लक्षणों को नियंत्रित करते हैं। सर्जरी के बाद मरीज के लक्षणों में उल्लेखनीय सुधार देखा गया और अब वह सामान्य जीवन जी रहे हैं।
इसी दौरान डॉ. सावल ने कहा, “डीबीएस तकनीक ने पार्किंसंस के इलाज में क्रांतिकारी बदलाव लाया है। यह कांपने, चलने में कठिनाई और अन्य मोटर लक्षणों को कम करता है, साथ ही दवा की निर्भरता भी घटाता है। दूसरे मामले में, 70 वर्षीय महिला मरीज, जो लगभग तीन दशकों से डिप्रेशन से जूझ रही थीं और जिन पर किसी भी दवा का असर नहीं हो रहा था, उन्हें वेगल नर्व स्टिमुलेशन (VNS) सर्जरी से राहत मिली। यह एक सूक्ष्म सर्जरी है जिसमें छाती में एक छोटा इलेक्ट्रोड लगाया जाता है, जो वेगस नर्व को उद्दीप्त करता है और मस्तिष्क के मूड सेंटर को प्रभावित करता है। डॉ. सावल के मार्गदर्शन में यह प्रक्रिया सफलतापूर्वक पूरी की गई और सर्जरी के बाद मरीज की मानसिक स्थिति में उल्लेखनीय सुधार देखा गया। उन्होंने फिर से अपना सामान्य जीवन शुरू कर दिया है। फोर्टिस अस्पताल, मोहाली उत्तर भारत (एनसीआर क्षेत्र के बाहर) का एकमात्र ऐसा अस्पताल है, जो 24×7 डीप ब्रेन स्टिमुलेशन की सुविधा प्रदान करता है। इसके साथ ही, यह एफडीए-अनुमोदित वीएनएस सर्जरी करने वाला भी उत्तर भारत का अकेला केंद्र है, जो डिप्रेशन, मिर्गी और अन्य न्यूरो-संबंधित समस्याओं के लिए बेहद प्रभावशाली मानी जाती है। इन दोनों सफल सर्जरी मामलों ने यह साबित किया है कि उन्नत न्यूरो-मॉड्यूलेशन तकनीकों के माध्यम से जटिल और दीर्घकालिक बीमारियों में भी नई उम्मीद की किरण जगाई जा सकती है।