मुख्यमंत्री सुक्खू ने हिमाचल को हरित ऊर्जा राज्य बनाने का लक्ष्य दोहराया

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आदर्श हिमाचल ब्यूरों

शिमला। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा है कि प्रदेश सरकार हिमाचल प्रदेश को हरित ऊर्जा राज्य बनाने के संकल्प को साकार करने के लिए निरंतर प्रयासरत है, उन्होंने बताया कि प्रभावी नीतियों और कार्यक्रमों के माध्यम से प्रदेश में पर्यावरण हितैषी विकास को बढ़ावा दिया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने 31 मार्च 2026 तक हिमाचल को हरित ऊर्जा राज्य बनाने का लक्ष्य रखा है, जिसके तहत कुल ऊर्जा खपत का लगभग 90 प्रतिशत नवीकरणीय या हरित ऊर्जा स्रोतों से पूरा किया जाएगा और वर्तमान में प्रदेश की ऊर्जा खपत लगभग 14,000 मिलियन यूनिट है, जिसमें से 12,600 मिलियन यूनिट हरित ऊर्जा से प्राप्त करने का लक्ष्य है।

इस दौरान उन्होंने बताया कि हिमाचल पथ परिवहन निगम द्वारा डीजल बसों को चरणबद्ध तरीके से ई-बसों से बदला जा रहा है, जिससे परिवहन क्षेत्र से होने वाला ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन काफी कम हुआ है। निगम ने 412 करोड़ रुपये की लागत से 297 इलेक्ट्रिक बसों की खरीद के लिए निविदाएं जारी की हैं, साथ ही 124 करोड़ रुपये की लागत से बस अड्डों पर ई-चार्जिंग स्टेशन स्थापित किए जा रहे हैं। वित्त वर्ष 2025-26 में 500 और ई-बसें खरीदी जाएंगी। मुख्यमंत्री ने राजीव गांधी स्वरोजगार स्टार्ट-अप योजना का भी उल्लेख किया, जिसके तहत बेरोजगार युवाओं को ई-टैक्सी खरीद पर 50 प्रतिशत सब्सिडी दी जा रही है। अब तक लगभग 50 ई-टैक्सियों को सरकारी विभागों से जोड़ा गया है, और 59 युवाओं को 4.22 करोड़ रुपये की सब्सिडी वितरित की जा चुकी है। इस योजना से युवाओं को स्वरोजगार और नियमित आय के अवसर मिलेंगे।

प्रदेश सरकार ने ई-वाणिज्यिक वाहनों के पंजीकरण पर रोड टैक्स में 100 प्रतिशत और विशेष रोड टैक्स में 50 प्रतिशत छूट भी दी है। पेट्रोल और डीजल ऑटो रिक्शा को ई-ऑटो रिक्शा से बदलने का भी क्रम जारी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश को ‘लंग्ज ऑफ नॉर्थ इंडिया’ कहा जाता है और राज्य की प्राकृतिक संपदा, पारिस्थितिकीय संतुलन एवं पर्यावरण संरक्षण के प्रयास प्रदेश के लिए महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने वनों के संरक्षण को आर्थिक संसाधन जुटाने के बजाय पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने के लिए जरूरी बताया। हिमाचल सरकार ने केंद्र और 16वें वित्त आयोग के समक्ष अपने पक्ष को मजबूती से रखा है और तकनीकी-वैज्ञानिक मूल्यांकन के आधार पर प्रदेश को सालाना लगभग 90,000 करोड़ रुपये प्राप्त हो सकते हैं। मुख्यमंत्री ने प्रदेश के समग्र विकास में पर्यावरण संरक्षण को सर्वोच्च प्राथमिकता देने का आश्वासन दिया।