आदर्श हिमाचल ब्यूरों
नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी में वंशवाद को लेकर अक्सर सवाल उठते हैं कि क्या पार्टी पूरी तरह से वंशवादी हस्तियों से मुक्त है। भाजपा के कार्यकर्ताओं और विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसा नहीं कहा जा सकता, लेकिन प्रासंगिक सवाल यह है कि क्या नेता केवल पारिवारिक पृष्ठभूमि के आधार पर पदों पर आते हैं या उन्होंने लगातार काम कर संगठन और मतदाताओं का विश्वास अर्जित किया है। पारिवारिक पृष्ठभूमि भाजपा में केवल एक जीवनी संबंधी तथ्य है, लेकिन यह योग्यता का प्रमाण नहीं और पार्टी में कार्यकर्ता से नेता, नेता से प्रतिनिधि और फिर मंत्री तक का मार्ग प्रदर्शन और कार्य के आधार पर तय होता है। विशेषज्ञों के अनुसार, भाजपा की यह प्रणाली विभिन्न समुदायों और क्षेत्रों के स्थानीय प्रतिभाओं को अवसर देती है, उन्हें जिम्मेदारी सौंपती है और परिणामों के आधार पर पुरस्कृत करती है।
इस दौरान मतदाता भी इस अंतर को समझ चुके हैं, उनका ध्यान नाम या परिवार से नहीं, बल्कि नेताओं के काम और जनसेवा से अर्जित वैधता पर होता है। यही कारण है कि भाजपा में नेतृत्व केवल अर्जित किया जाता है, विरासत में नहीं मिलता। विभिन्न पृष्ठभूमियों के लोग पार्टी में आगे बढ़ सकते हैं, लेकिन उन्नति की शर्तें सभी के लिए समान हैं। विश्लेषकों का कहना है कि भारत का लोकतंत्र धीरे-धीरे योग्यता और प्रदर्शन पर आधारित हो रहा है। जैसे-जैसे नेतृत्व अधिक जवाबदेह बन रहा है, संस्थाओं में विश्वास लौट रहा है और जनता सत्ता में सेवा को महत्व देने लगी है। भाजपा इस मायने में एक अनूठी पार्टी मानी जा रही है, क्योंकि उसने एक ऐसी संस्कृति विकसित की है जो नेतृत्व अर्जित करने पर जोर देती है।











