आपदा राहत और वित्तीय मदद में केंद्र को जिम्मेदार ठहराया: धनी राम शांडिल

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आदर्श हिमाचल ब्यूरों

शिमला| स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. धनी राम शांडिल ने नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर और राज्यसभा सांसद हर्ष महाजन द्वारा केंद्र से पर्याप्त वित्तीय सहायता मिलने के बावजूद हिमाचल सरकार पर धन का सही उपयोग न करने और राज्य के विकास में विफल रहने के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया।मंत्री ने कहा कि प्रदेश में आई भीषण प्राकृतिक आपदाओं के बाद भी केंद्र सरकार ने समय पर पर्याप्त वित्तीय सहायता प्रदान नहीं की, जबकि राज्य के लोगों को इस धनराशि पर अधिकार है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2023 के मानसून में आपदा राहत के लिए केवल 433.70 करोड़ रुपये जारी किए गए, जबकि पिछले तीन वर्षों में प्राकृतिक आपदाओं के कारण 18,000 करोड़ रुपये का अनुमानित नुकसान हुआ।

इस दौरान डॉ. शांडिल ने कहा कि राज्य सरकार ने केंद्रीय टीम द्वारा आपदा आकलन के बाद 9,042 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता का अनुरोध किया था, लेकिन राज्य को यह राशि नहीं मिली। उन्होंने केंद्र सरकार पर कांग्रेस शासित राज्य होने के कारण हिमाचल के साथ सौतेला व्यवहार करने का आरोप भी लगाया। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि राजस्व घाटा अनुदान में कमी और उधार सीमा में कटौती से राज्य की वित्तीय स्थिति और जटिल हुई है, लेकिन राज्य सरकार सीमित संसाधनों के साथ विकास और सुधारों में जुटी है। उन्होंने पूर्व भाजपा सरकार की नीतियों को हिमाचल की वित्तीय स्थिति के लिए जिम्मेदार ठहराया और कहा कि वर्तमान सरकार ने कर्मचारियों की 10,000 करोड़ रुपये की देनदारी और 75,000 करोड़ रुपये के ऋण की विरासत संभाली है।

डॉ. शांडिल ने भाजपा पर वोट बैंक राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा कि वर्ष 2022 के विधानसभा चुनावों में मुफ्त रेवड़िया और विभिन्न सब्सिडी दी गईं, जिन्हें वर्तमान सरकार ने तर्कसंगत बनाया, उन्होंने यह भी कहा कि पिछले तीन वर्षों में कांग्रेस सरकार ने अपनी छह गारंटियों को पूरा किया है। डॉ. शांडिल ने स्पष्ट किया कि वर्ष 2023 और 2025 की आपदा प्रभावित परिवारों को राहत देने में सरकार पूरी तरह सक्षम रही है। उन्होंने कहा कि पूरा क्षतिग्रस्त घर के लिए मुआवजा 1.30 लाख से बढ़ाकर 7 लाख रुपये किया गया, साथ ही अन्य राहत और पुनर्वास गतिविधियों के लिए मुआवजा राशि भी बढ़ाई गई है।उन्होंने कहा कि हिमाचल सरकार ने प्रदेश का सर्वांगीण विकास सुनिश्चित करने के लिए कई ऐतिहासिक और साहसिक कदम उठाए हैं। इसमें शामिल हैं:
सुख-आश्रय योजना: अनाथ बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल के लिए कानून लागू। पुरानी पेंशन योजना: कर्मचारियों के लिए पुनः शुरू। मिनिमम सपोर्ट प्राइस (MSP): गाय और भैंस के दूध, प्राकृतिक खेती के मक्की और गेहूं के लिए लागू। मंत्री ने कहा कि यह कदम ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने और हिमाचल को आत्मनिर्भर राज्य बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण हैं।