आदर्श हिमाचल की विशेष रिपोर्ट
बेलेम की नमी भरी हवा में इस बार कुछ अलग था। आदिवासी ढोल की थाप, ट्रेड वार्ताओं की धीमी गूँज, अचानक रुकी प्लेनरी मीटिंगें और एक नई तरह की बहुपक्षीय राजनीति। COP30 कई मायनों में अभूतपूर्व साबित हुआ और फिर भी, दुनिया के तमाम तनावों के बीच, ब्राज़ील की प्रेसीडेंसी एक ऐसा पैकेज निकालने में सफल रही जिस पर सभी 194 देशों ने सहमति जताई है। इसे बेलेम पॉलिटिकल पैकेज कहा जा रहा है।
एक मुश्किल साल में बनी नई मल्टीपोलर सहमति
साल 2025 में दुनिया की राजनीति वैसे ही अशांत थी, ऊपर से अमेरिका का पेरिस समझौते से दोबारा बाहर निकलना। इसके बावजूद 194 देशों का एक साथ आकर जलवायु कार्रवाई को आगे बढ़ाना दिखाता है कि जलवायु नेतृत्व अब देशों के लिए सिर्फ नैतिक मुद्दा नहीं, बल्कि आर्थिक सुरक्षा का रास्ता भी बन चुका है। यही कारण है कि COP30 में एक नए तरह की “cooperative multilateralism” उभरी, जहाँ बड़े और छोटे देश बराबरी से मेज पर बैठे दिखे।
कौन-कौन से बड़े फैसले हुए
प्रेसीडेंसी इसे एक “Implementation COP” बनाना चाहती थी और पैकेज देखकर लगता है कि उन्होंने अपने लक्ष्य को काफी हद तक साध लिया।
1. ग्लोबल इम्प्लीमेंटेशन एक्सिलरेटर शुरू
अगले दो साल में देशों की जलवायु योजनाओं और 1.5°C लक्ष्य के बीच के अंतर को पाटने के लिए एक तेज़ ट्रैक शुरू किया गया है। इसमें COP28 में हुए Fossil Fuel Transition वाले वादों को भी मजबूत ढंग से आगे बढ़ाया जाएगा।
2. जस्ट ट्रांज़िशन मैकेनिज़्म
पहली बार, देशों ने एक ऐसे ढाँचे पर सहमति दी है जो तकनीकी सहायता, क्षमता निर्माण और सहयोग सुनिश्चित करेगा ताकि ऊर्जा परिवर्तन किसी के लिए नुकसानदेह न बने।
3. दो बड़े रोडमैप
ब्राज़ील ने दो अहम रोडमैप लॉन्च किए हैं
• जीवाश्म ईंधन से चरणबद्ध तरीके से बाहर निकलने का रोडमैप
• 2030 तक वैश्विक स्तर पर वनों की कटाई रोकने और पलटने का रोडमैप
इन दोनों को 80 से 90 देशों का समर्थन मिला, जो वाकई एक दुर्लभ सहमति है।
पैसे की राजनीति: आखिर वित्त पर क्या निकला
जलवायु वित्त पर बातचीत हमेशा की तरह कठिन रही, पर इस बार कुछ ठोस नतीजे दिखे।
• 2035 तक एडाप्टेशन फाइनेंस को तीन गुना करने पर सहमति
• $300 बिलियन के नए जलवायु वित्त लक्ष्य के लिए दो साल की कार्ययोजना
• $135 मिलियन एडाप्टेशन फंड के लिए
• $300 मिलियन बेलें हेल्थ एक्शन प्लान के लिए
• और कम से कम $1.3 ट्रिलियन सालाना जलवायु वित्त जुटाने का लक्ष्य
एनर्जी ट्रांजिशन स्पीड मोड में
COP30 में यह साफ़ दिखा कि दुनिया की ऊर्जा कहानी बदल रही है।
• दक्षिण कोरिया ने कोयले से जल्दी बाहर निकलने का एलान किया
• 80 से ज़्यादा देशों ने Fossil Fuel Transition रोडमैप का समर्थन किया
• ग्रिड, स्टोरेज और क्लीन एनर्जी में 2030 तक 1 ट्रिलियन डॉलर से बड़ा निवेश दिखा
• मीथेन कटौती के लिए 590 मिलियन डॉलर जुटे
वन और आदिवासी नेतृत्व: COP30 की आत्मा
बेलेम की भूमि खुद अमेज़न की धड़कन है और इस COP में यह clearly महसूस हुआ।
• 90 देशों ने वैश्विक deforestation रोडमैप को समर्थन दिया
• 6.5 बिलियन डॉलर का Tropical Forests Forever Facility
• 900 से ज़्यादा आदिवासी प्रतिनिधि ब्लू ज़ोन में मौजूद रहे, जो अब तक का रिकॉर्ड है
• 10 नई आदिवासी भूमि औपचारिक रूप से मान्यता प्राप्त हुई
• 15 देशों ने 160 मिलियन हेक्टेयर भूमि अधिकारों को सुरक्षित करने की प्रतिबद्धता दी
सूचना की सच्चाई पर बड़ी जीत
गलत जानकारी और ग्रीनवॉश COP का बड़ा मुद्दा बने हुए थे। इस बार 18 सरकारों ने ‘Information Integrity Declaration’ पर हस्ताक्षर किए। पहली बार EU ने अपनी NDC में क्लाइमेट डिसइन्फॉर्मेशन से लड़ने की प्रतिज्ञा जोड़ी है। इसे लोग “COP of Truth” कह रहे हैं।
ट्रेड पर नई शुरुआत
ब्राज़ील ने जलवायु और व्यापार को जोड़ने वाला नया फ़ोरम लॉन्च किया है, जो एक तरह से भविष्य की वैश्विक क्लाइमेट ट्रेड डिप्लोमेसी की नींव है। साथ ही 20 प्रतिशत वैश्विक उत्सर्जन वाले देश अब एक ग्लोबल कार्बन मार्केट कोलिशन में शामिल हो गए हैं।
तो COP30 ने दुनिया को कहाँ छोड़ा
बेलेम से निकलती कहानी साफ़ है।
दुनिया पहले से कहीं ज्यादा विभाजित है, पर जलवायु कार्रवाई पर बनी यह सहमति दिखाती है कि साझा संकट साझा समाधान मांगता है।
इस COP को लोग कई वजहों से याद रखेंगे।
आदिवासी आवाज़ों की अभूतपूर्व मौजूदगी, स्वास्थ्य को जलवायु नीति के केंद्र में लाने की शुरुआत, ट्रेड का जलवायु diplomacy में आधिकारिक प्रवेश, और fossil fuel transition पर इतना बड़ा वैश्विक समर्थन।
बेलेम की हवा भले भारी हो, पर उसमें उम्मीद भी घुली हुई है।
सवाल अब यह है कि दुनिया इन वादों को जमीन पर उतारने की राजनीति कब और कैसे गढ़ती है।
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