आर. हिमांशु | उत्तर प्रदेश
लखनऊ। परिवहन निगम (रोडवेज) मुख्यालय में प्रभारी डिपो (सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक) की ट्रांसफर-पोस्टिंग के खेल, चारबाग और कैसरबाग डिपो में डीजल चोरी की जांच रिपोर्ट तैयार होने के बावजूद सामने नहीं ला जा रही। माना जा रहा है कि इसमें अफसर फंस रहे हैं। इसलिए वे खुद को बचाने के लिए जांच को दबवाने में लगे हैं।
इस बात को इससे भी बल मिल रहा है कि जांच में फंस रहे कर्मचारी अफसरों की साठगांठ की पोल खोलने की धमकी दे रहे हैं। ट्रांसफर-पोस्टिंग के खेल के मामले में तत्कालीन प्रबंध निदेशक राजशेखर ने सात दिन के अंदर बड़े बाबू अकील की जांच रिपोर्ट मांगी थी।
यह जांच 20 दिन बाद पूरी हुई। लेकिन उसके बाद भी इसे दबा दिया गया। यानी जिम्मेदार अफसरों ने अकील के मामले की रिपोर्ट नहीं पेश की। सूत्रों के अनुसार, खुलासा होते ही अफसरों की मिलीभगत का खेल सामने आ जाएगा। वहीं, जांच रिपोर्ट दबाने का मामला डीजल चोरी का है।
कैसरबाग डिपो के सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक गौरव वर्मा डीजल चोरी के मामला सात महीने से दबाए बैठे रहे। पर, इसी बीच चारबाग में डीजल चोरी का मामला सामने आ गया।
जिस बड़े बाबू पर गंभीर आरोप…उसे दे दी कमान
बड़े बाबू (अनुभाग अधिकारी) अकील अहमद पर गंभीर आरोप के बावजूद परिवहन निगम के बड़े अफसर उस पर मेहरबान हैं। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अब अकील ही अफसरों के खिलाफ आने वाली भ्रष्टाचार की शिकायतों की सुनवाई करता है।
जबकि बड़े बाबू की ट्रांसफर पोस्टिंग में खेल करके डिपो प्रभारी बनवाने का ऑडियो वायरल होने के बाद तत्कालीन प्रबंध निदेशक डॉ. राजशेखर ने तत्काल प्रभाव से उसे स्थापना प्रकोष्ठ से हटाने के निर्देश दिए थे। लेकिन मुख्य प्रधान प्रबंधक प्रशासन ने अकील को अफसरों के अनुशासनिक प्रकोष्ठ का अनुभाग अधिकारी बना दिया। इस प्रकोष्ठ के मुखिया मुख्य प्रधान प्रबंधक प्रशासन ही हैं।