नरेंद्र बरागटा हुए बेनकाब, विकास में तीन वर्ष से लगा ग्रहण- कांग्रेस

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आदर्श हिमाचल ब्यूरो

शिमला। मंत्री पद की दौड़ में पिछड़ने और तीन वर्ष के निराशाजनक कार्यकाल का का ठीकरा नरेन्दर बरागटा अपनी सरकार और संगठन पर फोड़ कर जनता का ध्यान भटकाने की कोशिश कर रहे हैं। यह बात ब्लॉक कांग्रेस कमेटी जुब्बल-नावर-कोटखाई के अध्यक्ष मोतीलाल डेरटा, ओपी रान्टा,   लायक राम औस्टा, रमेश चौहान, जोगिंदर चौहान, मोतीलाल सिथटा, भीम सिंह झौहटा, देवेंदर नेगी, भोपाल शर्मा, कमलेश ठाकुर, राविन्दर चौहान,मुनीलाल नरसेट,कौशल मुंगटा और  राहुल शांटा ने सयुक्त ब्यान जारी करते हुए कही।

उन्होंने कहा कि नरेंद्र बरागटा हर चुनाव में विधायक नहीं बल्कि मंत्री बनने के लिए जुब्बल नावर कोटखाई की जनता से वोट मांगते रहे और अब इस बार महत्वाकांक्षा पूरी नही हो पाई तो बौखलाहट को छुपाने के लिए दोषारोपण कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि बरागटा पहले पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल की गणेश परिक्रमा और स्तुतिगान के लिए जाने जाते थे। 2017 के बाद मुख्यमंत्री जयराम के  आवास में खूब नाटियां डालकर मुख्यमंत्री को ख़ुश करने में लगे रहे लेकिन अंत मे उन्हें निराशा ही हाथ लगी।

उन्होंने कहा कि जुब्बल-नावर-कोटखाई में विकास कार्य पूरी तरह ठप्प पड़े हैं और विधायक स्वयं ही सरकार और संगठन में घुटन महसूस कर रहे हैं ऐसे में क्या नरेन्दर बरागटा मुख्य संचेतक के  पद पर  मात्र लाभ लेने के लिए बने हुए है? यदि ऐसा हैं तो नरेन्दर बरागटा को मुख्य संचेतक के पद से तुरंत त्यागपत्र दे देना चाहिए। उन्होंने कहा कि वैसे भी मुख्य संचेतक का पद असवैधानिक हैं।  2017 के चुनाव में गुड़िया कांड पर खूब  राजीनीति कर सत्ता हासिल की और अब तीन वर्ष बीत जाने के पश्चात विधायक  गुड़िया कांड का अलाप रट रहे हैं। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि पूर्व कार्यकाल में भी विधायक को बिना बजट पत्थर लगाने का रिकॉर्ड  हासिल हैं और अब पूर्व कांग्रेस कार्यकाल के चले हुए कामों का झूठा श्रेय लेने के लिए तरह-2 के हथकंडे अपना रहे हैं। क्षेत्र की जनता को मालूम हैं कि युद्धस्तर पर चले हुए ठियोग-हाटकोटी सड़क निर्माण को रदद् करवाने में  किसने षडयंत्र रचा तथा सेब बाहुलीय क्षेत्रों के लिए स्वीकृत सीए स्टोर रदद्  करवाने में किसका हाथ रहा।

उन्होंने विधायक से पूछा कि कांग्रेस सरकार के द्वारा स्थापित गुम्मा की गता फैक्टरी को किसने कबाड़ के भाव मे बेचा? इतना ही नही विधायक द्वारा पूर्व कांग्रेस कार्यकाल में खोले गए स्वास्थ्य संस्थानों को बंद करवा कर फिर से खोलने का ड्रामा किया गया और सड़कों की डीपीआर तक रोकी गई जिसको स्वीकृत करने के लिए जनता को न्यायालय का दरवाज़ा खटखटाना पड़ा। उन्होंने कहा कि बागवानी मंत्री रहते हुए नरेंदर बरागटा को जुब्बल नावर कोटखाई में बागवानी कॉलेज खोलने की आवश्यकता महसूस नहीं हुई  जबकि उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल को खुश करने के लिए बागवानी कॉलेज हमीरपुर के नेरी में खोल दिया था जबकि वहाँ पर बाग़वानी  नही की जाती हैं।

आज जब  सरकार और संगठन में विधायक की कोई बात नहीं सुनता तो अब सेब बाहुलीय क्षेत्र में बागवानी विश्वविद्यालय को खोलने की मांग हास्यास्पद हैं। अधिकारियों और कर्मचारियों को राजनीतिक द्वेष के चलते स्थानीय विधायक द्वारा प्रताड़ित किया गया।  पिछले 3 वर्षो के कार्यकाल में एसडीएम, तहसीलदार व 6 बार बीडीओ के तबादले  कर एक नया रिकॉर्ड स्थापित किया हैं, जबकि बरागटा भूल गए कि उन्होंने अपने संकल्प पत्र में कर्मचारियों को प्रताड़ित न करने का वादा किया था।

कांग्रेस नेताओं ने कहा कि पूर्व मुख्य संसदीय सचिव सबको साथ लेकर चलने में विश्वास रखते हैं और उनके कार्यकाल में सर्वाधिक निगमों-बोर्डो के अध्यक्ष और निदेशक जुब्बल-नावर-कोटखाई विधानसभा क्षेत्र से संबंध रखते थे। रोहित ठाकुर ने सबको साथ लेकर जुब्बल-नावर-कोटखाई में रिकॉर्ड तोड़ विकास करवाया इसके विपरीत  नरेन्दर बरागटा  टिक्कर क्षेत्र के एक नौजवान की हिमुण्डा निदेशक के पद  पर नियुक्ति तक नही पचा पाएं और एक हफ़्ते के भीतर ही नियुक्ति रदद् करवा दी। उन्होंने कहा कि नरेन्दर बरागटा पंचायत चुनाव नजदीक आते देख अपनी नाकामियों को छुपाने का प्रयास कर रहें हैं।

जनता सब जानती है कि जुब्बल-नावर- कोटखाई की बजाय शिमला में मास्क वहां के संगठन को कितना मजबूत बनाने के लिए बांटे गए थे? इसी तरह जुब्बल-नावर-कोटखाई के संगठन चुनाव में अपने घर और परिवार को पार्टी बनाकर अब संगठन में कमी के लिए नेतृत्व पर दोष मढ़  रहे हैं।  विधायक अपने चुनाव क्षेत्र को लावारिस छोड़कर पिछले  तीन साल में अपनी प्रोमोशन की चिंता में ही लगे रहे।