आदर्श हिमाचल ब्यूरो
हमीरपुर। प्रदेश भर में कीमती जमीनों के बेनामी सौदों की चर्चा बच्चे की जुबान पर है। लेकिन सत्ता को कारोबार का जरिया बना चुकी प्रदेश सरकार इस मामले पर पूरी तरह मौन व मूक बनी हुई है। यह गंभीर आरोप राज्य कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं विधायक एवं विधायक राजेंद्र राणा ने लगाया है। राणा ने कहा कि मामला धर्मशाला क्रिकेट स्टेडियम के आसपास खरीदी गई 38 कनाल भूमि का हो, या फिर तपोवन विधानसभा के आसपास खरीदी भूमि का हो, या कांगड़ा के नूरपुर में खरीदी गई हजारों कनाल भूमि का हो।
सबके आरोप सत्तासीन पार्टी के दिग्गज नेताओं पर लगे हैं। इसी तरह मंडी से लेकर नाहन तक प्रदेश के सभी जिलों में भारी मात्रा में बेनामी जमीनों की खरीद-फरोख्त हुई है और इन सब जमीनों की खरीद ने सत्तासीन पार्टी के नेताओं के दामन को दागदार किया है। धर्मशाला क्रिकेट स्टेडियम के पास 75 लाख रुपए से खरीदी गई भूमि को काठगढ़ के मामूली किसान ने खरीदा है। जबकि हकीकत यह है कि करोड़ों रुपए की इस खरीद में सत्ता पक्ष से जुड़े बड़े दिग्गजों की भूमिका अब किसी से छुपी नहीं है।
उन्होंने चुनौती देते हुए कहा है कि अगर वास्तव में ही यह 38 कनाल जमीन उस मामूली किसान ने खरीदी है जिस किसान के नाम यह जमीन की गई है तो उस जमीन का दो गुना मुल्य चुकाने को वह तैयार हैं। सरकार इस मामले की गहनता से जांच करवाए। राणा ने कहा कि इन जमीनों की खरीद-फरोख्त में राजस्व विभाग को स्टांप ड्यूटी में भी लाखों रुपए का चूना लगाया गया है। क्योंकि भूमि के इन बेनामी सौदों की कीमत सर्कल रेट से कहीं ज्यादा है। बेनामी भूमि के बेखौफ चले इस खेल में सत्ता संरक्षित भ्रष्टाचार कमोवेश पूरे प्रदेश में किया गया है। हालांकि हाल ही में कांगड़ा में हजारों कनाल भूमि खरीदने के आरोप कांगड़ा के एक मंत्री पर लगे हैं। और उसके बाद इस मामले पर विजिलेंस की जांच भी चली थी। अब सरकार को प्रदेश की जनता को यह बताना होगा कि इस जांच का क्या हुआ। इस जांच में किन-किन लोगों की संलिप्तता पाई गई और इस जांच पर क्या कार्रवाई सरकार ने अमल में लाई है।
राणा ने कहा कि सरकार की अब तक की नीति यह रही है कि ऐसी जांचों में अपने लोगों को सरकार नोटिस का फंडा अपनाती है, जबकि आम आदमी के लिए ऐसे मामलों में कार्रवाई का डंडा दिखाती है। अब सवाल यह उठता है कि अपनों को नोटिस को फंडा और जनता को कार्रवाई का डंडा। यह दोहरे मापदंड इस प्रदेश में क्यों चल रहे हैं? क्या जनता व सरकार के नुमाईंदों को राजस्व विभाग ने अलग-अलग मापदंड तय कर रखे हैं? इस पर स्थिति सपष्ट करे और अगर ऐसा नहीं है तो प्रदेश में बेनामी सौदों पर सरकार कार्रवाई करके जनता को यह बताए कि कानून सबके लिए सामान है अन्यथा जनता यह भरोसा कर बैठी है कि बीजेपी के राज में सत्ता से जुड़े लोगों के लिए अलग कानून है, जबकि जनता के लिए अलग कानून है। राणा ने कहा कि सत्ता की इस मनमानी का मामला आने वाले चुनाव में घोषणा पत्र में उठाया जाएगा और कांग्रेस की सरकार बनने के बाद सरकार इन मामलों पर सख्त कार्रवाई अमल में लाएगी।