महात्मा गांधी के शब्दों के अनुसार “मैं प्रार्थना करता हूं कि भारत के हर घर में बच्चों को स्काउट आंदोलन के द्वारा प्रशिक्षित किया जाना चाहिए”
स्काउट आंदोलन की शुरुआत 1907 में गिलवेल इंग्लैंड के रहने वाले एक ब्रिटिश सेना के अधिकारी लॉर्ड बेडेन पॉवेल ने की थी। स्काउटिंग आंदोलन को शुरू करने का मुख्य उद्देश्य व्यस्कों / किशोर युवक एवम युवती की ऊर्जा का सही दिशा में प्रसार करना करना ताकि आने वाले समय में जब वे समाज का हिस्सा बने तो वे समाज उत्थान में अपना भरसक योगदान सुनिश्चित कर सकें।क्योंकि स्काउटिंग प्रषिक्षण के दौरान बालक/बालिका प्रशिक्षु के इच्छाशक्ति अनुसार यथा शक्ति उसे करके सीखने पर बल दिया जाता है।
प्रशिक्षु समूह में मिलकर एक दूसरे से , खेल विधि से ,अपने स्वयं के क्षमता अनुसार सीखते हैं। स्काउटिंग मात्र एक प्रशिक्षण नहीं है, बल्कि शिक्षा का पूरक और यह स्वयं एक शिक्षा है।इसमें शिक्षा के समान प्रारूप , कार्यविधि और प्रक्रिया हैं जैसे कि उद्देश्य, पाठ्यक्रम, शिक्षण सीखने के तरीके इत्यादि।
लेकिन आम तौर पर समाज , शिक्षा का मतलब सिर्फ स्कूल,कॉलेज एवम् विश्वविद्यालय से प्राप्त शिक्षा को समझते हैं, जिससे युवाओं के मानसिक, नैतिक और शारीरिक विकास को सुनिश्चित किया जा सके। स्काउटिंग आन्दोलन व्यवस्थित , ईमानदारी और वैज्ञानिक रूप से जीवन जीने की कला सिखाते हैं; ओर बालक जो भी सीखता है वो खुद अनुभव करके सीखता है ,टीम में मिलजुल सीखता है, अपनी खुद की रफ्तार को पहचानकर के सहजता से खुले वातावरण में जाकर सीखता है।
इस सब के साथ, स्काउटिंग आन्दोलन व्यावहारिक शिक्षा एवम् सामाजिक कार्यकुशलता दोनों का समावेश करके एक परिपक्व नागरिक निर्माण में योगदान दे रहा है और युवाओं को समाज के लिए उपयोगी नागरिक बनाकर समाज उत्थान के लिए समर्पित करती है।
केवल कक्षा कक्ष की शिक्षा व्यावहारिकता का विकास सुनिश्चित करा पाने में सफल नहीं हो पाती है क्योंकि वहां पर सिर्फ दूसरों के द्वारा अर्जित ज्ञान ही शिक्षा का प्रारुप रहता है जबकि स्काउटिंग आन्दोलन के प्रारंभ से ही करो ओर करके सीखो ,टोली विधी से मिलकर सीखो , पर्यावरण/समाज में जाकर सीखो इत्यादि विषयों पर प्रायोगिक शिक्षण एवं प्रशिक्षण और वो भी सहभागिता से , अपनी इच्छनुसार एवम् समयानुसर द्वारा उद्देशों की पूर्ति सुनिश्चित की जाती है।
केवल सामान्य शिक्षा जो कक्षा कक्ष में दी जाती है, युवा पीढ़ी को जीवन की कला नही सीखा पा रही है क्योंकि सिलेबस को निश्चित समय अवधि में पूरा करना ही उसका प्रमुख उद्देश्य रह गया है । सामान्य शिक्षा वयक्तित्व निर्माण के लक्ष्यों को वायव्हारिकता की दृष्टि से पूरा नहीं करा पा रही है ।
इसलिए स्काउटिंग आन्दोलन युवक एवम युवतियों को एक अवसर प्रदान करता है जिससे शिक्षा के साथ साथ सभी उद्देश्यों(व्यक्तिगत, सामाजिक, आर्थिक एवम् आध्यात्मिक ) सशक्तिकरण की पूर्ति सुनिश्चित की जा सके ,और वो भी स्वयं युवा को पता भी नहीं चलता कि कब वो खेल खेल में, मिलजुलकर ,प्रकृति की गोद में रहकर आनंदमय तरीके से सम्पूर्णता को प्राप्त करने में सफल हो गया।
लॉर्ड बैडेन पॉवेल के द्वारा दिए गए चार प्रमुख उद्देश्य –
1. चरित्र और व्यक्तित्व को मजबूत बनाना।
2. क्षमता और प्रतिरोध को मजबूत करना।
3. हस्त कौशल और टीम भावना का विकास
4. धार्मिक भावना का विकास
संस्थापक बेडन पावेल ने कहा था कि प्रत्येक युवा को मुस्कुराहट के साथ सेवा भाव को बढ़ावा देने की आवश्यकता है इसके लिए हर दिन युवा को कम से कम एक अवसर ढूंढ़ना चाहिए ताकि अच्छा कार्य किया जा सके जो और उसका लेखा जोखा भी रखा जाए।ऐसे कार्यों से अन्ततः सामुदायिक सेवा का मार्ग प्रशस्त होता है।
स्काउटिंग का उद्देश्य चरित्र, स्वास्थ्य, हस्तकला और सेवा के विकास के माध्यम से अच्छी नागरिकता को बढ़ावा देना है। स्कॉउटिग एक ऐसा कार्यक्रम है जिसके पाठ्ययक्रम को युवाओं के विभिन्न आयु समूहों के मानसिक एवम् इच्छा को सही दिशा देने के हिसाब से बनाया गया है।
स्काउटिंग आंदोलन के प्रमुख हिस्से जीवन-उन्मुख शिक्षा के लिए कौशल विषयों को बहुत प्रासंगिक बनाते हैं। यहां तक कि कुछ ज्ञान विषय लड़के में नैतिक विकास अनुशासन, आदर्श व्यक्तित्व और आध्यात्मिक विकास (भगवान के प्रति श्रद्धा) की जरूरतों को पूरा करते हैं। जब हम अनुशासन की बात करते हैं, तो हमारा मतलब है कि अनुशासन भीतर से बढ़ता है।
लॉर्ड बेडेन पावेल कहते हैं, “बॉय स्काउट्स का कार्यक्रम युवाओं को प्रखर नवयुवक एवम नवयुवती बनाना है । दुनिया के आधुनिक चलन एवम आवश्यक्ता अनुसार पादयक्रम में युवायों की जरूरतों के आधार पर कुछ नए विषयों को भी पाठयक्रम में शामिल किया जाता है ताकि समयानुसार युवाओं को बेहतरीन कार्यक्रम दिया जा सके।
लॉर्ड बैडेन पॉवेल ठीक ही कहते हैं, “यह स्काउटिंग का पाठ्यक्रम नहीं है, यह विधि है। शिक्षण पद्धति, कुछ भी नहीं है, , लेकिन यह अधिक मार्गदर्शन और परामर्श और कम अनुदेशात्मक है। पेट्रोल सिस्टम एवम समूह में मिलजुलकर खुले वातावरण में जाकर सीखना इसके केंद्रबिंदु हैं।सीखना बहुत उद्देश्यपूर्ण, उपयोगी और लक्ष्य-उन्मुख है।
यह एक सक्रिय प्रक्रिया है और अधिक व्यावहारिक है। यह लड़कों के अनुभव और अंतर्दृष्टि के विकास में मदद करता है। यह नए मानसिक प्रतिमानों का निर्माण करता है। स्काउट ,स्काउट मास्टर के आत्म-उदाहरण और अपने स्वयं के सहकर्मी और मित्र, टोली नेता से कई चीजें सीखते हैं। कर करके सीखना, परीक्षण और त्रुटि विधि द्वारा सीखना और प्ले-वे विधि वास्तव में दिलचस्प है और स्काउट्स इसलिए कभी भी उबाऊ अथवा एकरस महसूस नहीं करते।
स्काउट्स को एस्टिमेशन, पायनियरिंग, फर्स्ट एड, वुड क्राफ्ट, कैम्प – क्राफ्ट (खाना पकाने सहित),हस्तकला, मानचित्र वाचन, प्रकृति अध्ययन, वानिकी, स्टार गेजिंग, धुरीकरण, कम्पास पढ़ना और इसी तरह – बहुत अधिक अलग अलग प्रशिक्षण दिए जाते हैं। ये विषय लड़कों में बौद्धिक, शारीरिक और तकनीकी गुणों को बढ़ाते हैं।
ये युवाओं को उनके ज्ञान, विचारों और भावनाओं को साझा करने , स्वस्थ दृष्टिकोण का विकास करने ,प्रभावी जीवन में योगदान देने एवम उन्हें आदर्शों के अनुसार कार्य करने के लिए प्रेरित करता है।
स्काउट पाठ्यक्रम अद्वितीय है, क्योंकि इसमें नैतिक शिक्षा, सामाजिक शिक्षा, आध्यात्मिक शिक्षा, नागरिकता आदि शामिल हैं, जो सभी स्व-शिक्षा द्वारा प्राप्त की जाती हैं। यहां तक कि रोवर स्काउट्स को भी यौन शिक्षा भी प्रदान की जाती है ताकि वो स्वयं को बेहतर ढंग से समझ सकें।
स्काउट्स सभी के लिए खुली संस्था है , यहां पर प्रत्येक लड़का/लड़की आत्मनिर्भरता के साथ स्व-सहायता का अभ्यास विकसित करता है। कैम्पिंग और हाइकिंग लड़के के अनुभव को अवसर प्रदान करते हैं और प्राकृतिक वातावरण में आसमान के नीचे खुले में रहते , भोजन पकाने और अन्वेषण का आनंद लेते हैं। इस अनुभव के साथ लड़का स्वास्थ्य और खुशी हासिल करता है।
व्यावसायिक पाठ्यक्रमों को छोड़कर, स्कूल और कॉलेज शिक्षा, जो सिर्फ नौकरी उन्मुख है। लेकिन स्काउटिंग व्यावहारिक ज्ञान और उपयोगी कौशल प्रदान करता है, और यह आत्मनिर्भरता, आत्मविश्वास और यहां तक कि लड़कों में स्वरोजगार की भावना विकसित करता है।
लॉर्ड बैडेन पॉवेल ने बॉय स्काउट्स के लिए ‘खुले में जीवन’ की शुरुआत की ताकि हर लड़का आत्म-निर्भरता के साथ स्व-सहायता का अभ्यास विकसित कर सके। कैम्पिंग और हाइकिंग लड़के को कैनवास के नीचे खुले में रहने, प्रकृति के साथ रहने, भोजन पकाने और अन्वेषण का अनुभव करने और आनंद लेने का मौका प्रदान करते हैं। इस अनुभव के साथ लड़का स्वास्थ्य और खुशी हासिल करता है।
यह केवल स्काउटिंग है जो उसे एक बालक / बालिका को संपूर्ण आत्मनिर्भर एवम उपयोगी नागरिक बनाता है।