
आदर्श हिमाचल ब्यूरो
शिमला हिंदुजा फाउंडेशन जो एक सदी पुराने हिंदुजा ग्रुप की कल्याणकारी शाखा है मानसिक स्वास्थ्य एवं कल्याण के क्षेत्र में कदम रख रही है। चोपड़ा फाउंडेशन जॉन डब्ल्यू ब्रिक मेंटल हेल्थ फाउंडेशन और सीजी क्रिएटिव्स के साथ मिलकर यह फाउंडेशन नेवर अलोन ग्लोबल मेंटल हेल्थ वर्चुअल सम्मेलन के भीतर तीन घंटे के स्पॉटलाइट इंडिया खंड का सह.प्रायोजन करेगा। स्पॉटलाइट इंडिया के स्टार वक्ताओं में सद्गुरु, अभय देओल व अन्य् शामिल हैं।
इस वर्चुअल समिट को फेसबुक, यूट्यूब और अन्य मीडिया प्लेटफॉर्म पर शुक्रवार 21 मई 2021 को लाइव स्ट्रीम किया जाएगा और प्रतिभागी https://neveralonesummit.live/ के माध्यम से अपने मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण का समर्थन करने के लिए मुफ्त ऑनलाइन टूल का उपयोग कर सकते हैं। हिंदुजा समूह के सह.अध्यक्ष और हिंदुजा फाउंडेशन के ट्रस्टी, गोपीचंद पी. हिंदुजा ने कहा, मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं अपने आप में एक मूक और अचिन्हित महामारी हैं।
अक्सर झूठी मान्यताओं के कारण उनकी गंभीरता से मुंह फेर लिया जाता है जिसके चलते स्थिति बद से बदतर होती जाती है और ऐसे में उनके लिए चिकत्सीय हस्तक्षेप आवश्यक हो जाता है। कुछ समाजों में उस हस्तक्षेप की मांग करना अपने आप में एक चुनौती बन जाता है क्योंकि उन समस्या्ओं को कलंक के रूप में देखा जाता है।
मेरी राय में पीड़ित व्यक्ति में आत्म.सम्मान और विश्वास की भावना पैदा करने के लिए विभिन्न आध्यात्मिक, चिकित्सीय हस्तक्षेपों की आवश्यकता होती है ताकि उन्हें कतई यह न लगे कि वो अकेले हैं। यह शिखर सम्मेलन इस तरह की उच्च संभावनाओं का संपूर्ण एकीकरण प्रस्तुत करता है।चूंकि हमारे देश की प्रकृति इतनी विशाल और जटिल है कि इस शिखर सम्मेलन का यह खंड भारत के गहन संश्लेषण में सामूहिक गहन श्रवण का अनुभव प्रदान करेगा। यह मस्तिष्क के विकास के प्राकृतिक चक्रों और बचपन से वयस्कता तक मानव अनुभव की विविधता और हमारे ग्रह पर इसके प्रभाव का पता लगाने की दृष्टि प्रदान करेगा। नामचीन मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर, वेलनेस स्पेशलिस्ट,मस्तिष्क वैज्ञानिक, कलाकार और संगीतकार वैश्विक दर्शकों के लिए मानसिक और भावनात्मक लचीलेपन को बढ़ावा देने के लिए मानसिक स्वास्थ्य रणनीतियों, समाधानों और उपकरणों को साझा करेंगे और चर्चा के मूल में भारत होगा।
2015 में विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा किए गए एक अध्ययन से पता चलता है कि पांच भारतीयों में से एक अपने जीवनकाल में अवसाद से पीड़ित हो सकता है . यानी कि लगभग 200 मिलियन लोग अपने जीवन काल में अवसाद से पीडि़त हो सकते हैं। मानसिक समस्याओं को कलंक मानने,जागरूकता की कमी और पेशेवर मदद तक सीमित पहुंच के चलते इन पीड़ितों में से केवल 10.12 प्रतिशत मदद मांगने के लिए आगे आ पाते हैं।
द चोपड़ा फाउंडेशन के संस्थापक, प्रबंध निदेशक, डॉ. दीपक चोपड़ा ने कहा, चोपड़ा फाउंडेशन को हिंदुजा फाउंडेशन और देश.दुनिया के दिग्गजों के साथ सहयोग करने की प्रसन्न्ता है ताकि इस वैश्विक महामारी के चलते पल.प्रतिपल खो रही जिंदगियों के चलते पैदा हो रहे मानसिक विकृति को ठीक करने में मदद मिल सके। यदि हम सामूहिक रूप से मदद नहीं करते हैं तो हम मानवता के लिए अपूर्व पीड़ा की दिशा में आगे बढ़ेंगे।