आदर्श हिमाचल ब्यूरो
शिमला। जिला परिषद सदस्य बल्देयां वार्ड रीना कुमारी ने आज जारी एक प्रेस बयान में सरकार से सभी निर्वाचित पंचायती राज जनप्रतिनिधियों को फ्रंटलाइन वर्कर्स का दर्जा देने की मांग की है ।उन्होंने कहा कि वे वर्तमान महामारी के दौरान कोविड -19 रोगियों की सेवाओं में अपना पूरा समय समर्पित कर रहे हैं। रीना कुमारी कहा कि सरकार को ऐसे सभी निर्वाचित प्रधानों, उप प्रधानों, जिला परिषद सदस्यों, बीडीसी सदस्यों और वार्ड सदस्यों के टीकाकरण को प्राथमिकता देनी चाहिए, जो पूरे राज्य में मौजूदा महामारी के दौरान लोगों को हर तरह की मदद प्रदान करने में अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं।
भले वो 45 व्रष से कम उमृ के हो । अन्य डॉक्टर, पैरामेडिक्स, स्वास्थ्य कार्यकर्ता, नर्स, पुलिसकर्मी, बैंक, डाक और अन्य आवश्यक वस्तु प्रदान कर रहे फ्रंटलाइन कार्यकर्ता की तरह। हालाँकि कहा की यह जनप्रतिनिधियों की जिम्मेवारी भी बनती है।। उन्होंने कहा कि हम इसे मानवता और उस शुद्ध समाज के लिए करते हुए गर्व महसूस करते हैं जिसका हम प्रतिनिधित्व करते है। रीना कुमारी कहा कि सीएचसी जलोग का उदाहरण देते हुए ग्रामीण क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं की खराब स्थिति के लिए भी सरकार पर हमला किया, जो डॉक्टरों और कर्मचारियों की पोस्टिंग न होने के कारण बंद रहता है, जबकि कोविड महामारी क्षेत्र में अपने पैर पसार रही है। यह सीएचसी आसपास की 10 से अधिक पंचायतों की स्वास्थ्य जरूरतों को पूरा करता है, लेकिन कर्मचारियों और आवश्यक चिकित्सा उपकरणों की कमी के कारण यह जालोग में अन्य इमारतों के बीच खड़ा सफेद हाथी साबित हो रहा है।
उन्होंने कहा कि बल्देयां वार्ड में पीएचसी धरोगडा , गुलथानी और अन्य स्वास्थ्य उप केंद्रों की स्थिति भी बहुत अच्छी नहीं है और यह सब क्षेत्र में बहुत सारी स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर रहा है। 108 एम्बुलेंस की पर्याप्त सुविधा नहीं होने से भी ग्रामीण क्षेत्रों में पहले से ही ध्वस्त स्वास्थ्य व्यवस्था पर संकट गहरा गया है। सरकार को आवश्यक चिकित्सा उपकरणों से लैस पर्याप्त चिकित्सा कर्मचारियों को उनके द्वारा मांगे गए क्षेत्र में तैनात करने के लिए तत्काल और आवश्यक कार्रवाई करनी चाहिए। रीना कुमारी ने कहा कि गांवों में संभावित कोविड सकारात्मक रोगियों के लिए परीक्षण बढ़ाने की भी मांग की क्योंकि अधिकांश लोग तेज बुखार से बीमार हैं और अस्पताल में भर्ती होने या संगरोध में रखने के डर से परीक्षण से बचते हैं जो न केवल उनके जीवन को खतरे में डाल रहा है बल्कि अन्य लोगों के जीवन को भी खतरे में डाल रहा है।











