राजगढ़: ग्राम सभा की बैठक में छाया बीपीएल चयन का मुददा, तीस पंचायतों में कोरम हुआ पूरा

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आदर्श हिमाचल ब्यूरो

राजगढ़। राजगढ़ विकास खंड की तीस पंचायतों में बीते कल ग्रामसभा की बैठक आयोजन किया गया । जिसमें विशेषकर बीपीएल चयन का मुददा काफी चर्चा का विषय रहा । ग्राम सभा की बैठकों में लोगों ने बढ़चढ़ कर भाग लिया चूंकि कोरोना के संकट काल के कारण ग्राम सभा की बैठकंे बीते डेढ वर्षों से नहीं हो पाई थी । और सभी पंचायतों में कोरम पूरा होने की रिर्पोट प्राप्त हुई है । जिसकी पुष्टि बीडीओ राजगढ़ अरविंद गुलेरिया ने की है । ग्राम सभा में उपस्थित लोगों को प्रधानों द्वारा स्वच्छता की शपथ भी दिलाई गई ।

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यशवंतनगर की करगानू पंचायत के प्रधान विद्यानंद  ने बताया कि ग्राम सभा में बैठक में कोरम पूरा था । सभा में  विभिन्न विकास कार्यों पर विस्तार से चर्चा की गई । इसी प्रकार ग्राम पंचायत कोठिया जाजर में ग्राम सभा की बैठक की अध्यक्षता प्रधान अरूणदेव विशिष्ट और उप प्रधान पवन तोमर ने की । पवन तोमर ने बताया कि सरकार द्वारा कोठिया जाजर पंचायत के लिए केवल बीपीएल की सीमा केवल 27 निर्धारित की गई है जोकि नाकाफी है । बताया कि ग्रामसभा में नए 27 बीपीएल परिवारों का चयन किया गया । इसके बावजूद भी काफी पात्र परिवार तय सीमा होने के कारण शामिल नहीं किए जा सके । हालांकि बैठक काफी वर्षों से बीपीएल का लाभ उठा रहे सभी परिवारों को बाहर किया गया । पवन तोमर के अनुसार आबादी के आधार पर बीपीएल की संख्या भी सरकार को बढ़ा देनी चाहिए ।

खंड विकास अधिकारी राजगढ़ ने विशेष बातचीत में बताया कि  सरकार द्वारा ग्राम सभा की बैठक में बीपीएल की विशेष तौर पर समीक्षा करने के आदेश दिए गए हैं । बताया कि  निदेशक ग्रामीण विकास हिप्र द्वारा जारी पत्र में बीपीएल परिवार के चयन के माप दण्डों का संशोधन किया गया है । नए नियमों के अनुसार बीपीएल परिवार के पास 2 हैक्टेयर से अधिक भूमि अथवा एक हैक्टेयर सिंचित भूमि नहीं होनी चाहिए। लाभार्थी के पास आधुनिक शहरी प्रकार का पक्का मकान तथा चौपाहिया वाहन जैसे कार, मोटर, ट्रक टेªक्टर, बस इत्यादि नहीं होना  चाहिए । बीपीएल लाभार्थी के परिवार की आय सभी साधनों से 2500 रूपये प्रतिमाह से अधिक नहीं होनी चाहिए । तथा परिवार का कोई सदस्य सरकारी अथवा गैर सरकारी नौकरी में नियमित तौर से कार्य नहीं कर रहा हो । इत्यादि शर्तें रखी गई है जोकि नवनिर्वाचित पंचायतों के लिए गले की फांस बन गई है क्योंकि सरकार की इन नियमों को कोई भी परिवार पूरा नहीं कर पाता ।

अधिकांश परिवारों के पास अपने पक्के मकान है । बता दें कि पूर्व पंचायत पदाधिकारियों द्वारा  बीपीएल में संपन परिवारों को  शामिल किए जाने  बारे हर गली में चर्चा बनी हुई है । और संपन परिवारों को बीपीएल की सूची से बाहर निकालना नवनिर्वाचित पंचायतों के लिए कठिन हो गया है क्योंकि ग्राम सभा में संपन परिवारों का दबदबा रहता है । यहां तक की ग्राम सभा में सरकार के संशोधित आदेशों को पढ़ कर भी सुनाया गया । इसके बावजूद भी कोई भी संपन परिवार बीपीएल से हटना नहीं चाहता है । सबसे अहम बात यह है  बीपीएल में शामिल संपन परिवारों द्वारा दिए गए  घोषणा पत्र की कभी पंचायत ने किसी  एजेंसी से जांच नहीे करवाई गई ।