सराहनीय पहल: कोविड में अपने माँ-बाप को खो चुके बच्चों को सौ फीसदी छात्रवृति प्रदान करेगी बाहरा यूनिवर्सिटी: नागेंद्र पाराशर

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कहा, देश की शीर्ष सौ यूनिवर्सिटीज में बाहरा को शामिल करवाना लक्ष्य, अगले शैक्षणिक सत्र से होंगे विशेष पाठ्यक्रम शुरू

आदर्श हिमाचल ब्यूरो

शिमला। प्रतिष्ठित बाहरा यूनिवर्सिटी ने एक सराहनीय पहल करते हुए कोविड काल मे अपने माँ-बाप को खो चुके बच्चों के लिए एकबड़ी घोषणा की है। ऐसे बच्चों को यूनिवर्सिटी सौ फीसदी छात्रवृत्ति प्रदान करेगी। ये जानकारी बुधवार को शिमला के होटल हॉलिडे होम में आयोजित एक पत्रकार वार्ता के दौरान बाहरा यूनिवर्सिटी के वाईस चांसलर प्रो.डॉ. बी.एस. नागेंद्र पाराशर ने दी।

उन्होंने कहा कि संस्थान ऐसे बच्चों से सहानुभूति रखता है जिन्होंने कोविड काल मे अपने माँ बाप या दोनों में किसी एक को भी खोया हैं। यही कारण है कि संस्थान ने ऐसे बच्चों की पढ़ाई में कोई बाधा न आये, उन्हें छात्रवृति देने का फैसला किया है। पाराशर ने आगे जानकारी देते हुए बताया कि जिन बच्चों के माँ और बाप दोनों कोविड काल में असमय मौत के मुंह में चले गए, उन्हें संस्थान सौ फीसदी छात्रवृति प्रदान करेगा और जिन बच्चों ने अपनी माँ या पिता दोनों में से किसी एक को खोया है, उन्हें पचास फीसदी छात्रवृत्ति प्रदान की जाएगी।

डॉ पाराशर ने कहा कि उनका लक्ष्य है कि बाहरा यूनिवर्सिटी को जल्द देश की सौ शीर्ष यूनिवर्सिटीज के शामिल किया जाए। प्रो.डॉ. बी.एस. नागेंद्र पाराशर ने हाल ही में बाहरा यूनिवर्सिटी को जॉइन किया है। डॉ. पाराशर को देश के विशिष्ट संस्थानों जैसे बिट्स पिलानी, केएल यूनिवर्सिटी, प्रेसीडेंसी यूनिवर्सिटी बैंगलोर, जीएमआर फाउंडेशन में विभिन्न स्तरों पर काम करने का 30 से अधिक वर्षों का अनुभव है।

पत्रकार वार्ता के दौरान डॉ. पराशर ने उद्योग अकादमिक जुड़ाव पर जोर दिया और छात्रों को इस से कैसे लाभान्वित किया जा सकता है, इस बारे में बात की। उन्होंने यह भी कहा कि एक कर्मचारी होने के लिए यह हमारी अंतर्निहित शिक्षा है लेकिन वर्तमान युग को देश भर में बेरोजगारी को मिटाने के लिए कर्मचारियों की तुलना में नियोक्ताओं की आवश्यकता है।

डॉ. पाराशर ने विश्वविद्यालय द्वारा अपनाए गए सीडीआईओ मॉडल को भी साझा किया जिसके द्वारा छात्र अपने उद्यमिता कौशल को विकसित कर सकते हैं और एक उद्यमी बनने के करीब पहुंच सकते हैं।उन्होंने राज्य के ग्रामीण समुदाय को ध्यान में रखते हुए अगले शैक्षणिक सत्र से विशेष पाठ्यक्रम शुरू करने पर भी जोर दिया। रेशम उत्पादन, बागवानी, कृषि, मछली पालन आदि जैसे पाठ्यक्रम पेश किए जाएंगे जो सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि से राज्य को सीधे लाभ पहुंचा सकते हैं।

डॉ पराशर ने इस बात पर बल दिया कि छात्रों को मात्र एक ही क्षेत्र में आगे बढ़ता नहीं देखना चाहते हैं बल्कि वह चाहते हैं कि उनका हर छात्र हर क्षेत्र में अग्रणी हो। उन्होंने कहा कि इसके लिए टीचर्स के लिए विशेष ट्रेनिंग शुरू करने का निर्णय लिया गया है लेकिन कोरोना के कारण अभी शुरू नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि जल्द ही सरकार के निर्देशानुसार विवि के खुलते ही इस संबंध में उठाएंगे।

उन्होंने कहा कि वह सिर्फ जॉब सीकर ही नहीं बल्कि अपने छात्रों को जॉब प्रोवाइडर बनाने का लक्ष्य रखते हैं। उन्होंने कहा कि उनका ध्यान प्रदेश के पिछड़े इलाकों में संभावनाओं की खोज करना है ताकि उनका सही व उचित निष्पादन किया जा सके।

अनुराग अवस्थी निदेशक एडमिशन एंड मार्केटिंग बाहरा विश्वविद्यालय ने यह भी कहा कि विश्वविद्यालय ने पहले ही दुनिया भर में वर्तमान कोविड परिदृश्य और वित्तीय मुद्रास्फीति को ध्यान में रखते हुए विभिन्न प्रकार की छात्रवृत्ति की घोषणा की है।

वहीं बाहरा यूनिवर्सिटी के पीआरओ गौरव बाली ने कहा कि ग्रुप चेयरमैन गुरविंदर सिंह बहरा और वीसी विश्वविद्यालय के उचित मार्गदर्शन में नई ऊंचाइयों को प्राप्त करने जा रहा है। उन्होंने कहा कि पत्रकार वार्ता का मुख्य उद्देश्य संस्थान की आगामी योजनाओंको।अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचना हैं, ताकि नए सत्र में दाखिला लेने के इच्छुक छात्र-छात्राएं यूनिवर्सिटी की विभिन्न छात्रवृत्ति योजनाओं का लाभ उठा सकें।