शिमला : भारतीय किसान संघ के प्रदेशाध्यक्ष ने विश्व संवाद शिमला में आयोजित प्रैस-वार्ता में कहा कि सरकार लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य को लेकर आये. भारतीय किसान संघ द्वारा भारत सरकार को 11 अगस्त 2021 को दिये ज्ञापन का अभी तक कोई सकारात्मक परिणाम देखने को नहीं मिला है. ऐसे में 08 सितम्बर को देशभर के 525 जिला केंद्रों में एक दिवसीय राष्ट्रव्यापी धरना प्रदर्शन किया जायेगा. भारतीय किसान संघ हिमाचल प्रदेश के अध्यक्ष डॉ. सोमदेव शर्मा, संगठन मत्री हरिराम पंवार और प्रचार प्रमुख जयसिंह ठाकुर ने प्रैस वार्ता में भाग लिया. डॉ0 सोमदेव ने कहा कि भारतीय किसान संघ की प्रबंध समिति की बैठक 07, 08 अगस्त को हरियाणा के झिझौली में आयोजित की गयी थी. इस बैठक में देशभर के अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य, 36 प्रांतों के अध्यक्ष, महामंत्री, संगठन मंत्री और कोषाध्यक्षों के गहन मंथन के बाद सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया था कि किसानों को उनकी उपज का मूल्य नहीं मिलने के कारण गरीब किसान गरीब और कर्जदार होता जा रहा है. जिससे उनका भविष्य अंधकार की गर्त में जा रहा है. डॉ. सोमदेव ने किसानों की आत्महत्याओं और बेरोजगारी पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार कुछ फसलों का समर्थन मूल्य घोषित कर अपने दायित्व से बच नहीं सकती. गरीब किसान को खुले बाजार के भरोसे छोड़ना और उसकी उपज के मूल्यों पर सरकार द्वारा नियंत्रण करना गलत है.
ये तीन है मुख्य बिन्दु
उन्होंने अपनी तीन मुख्य मांगे दोहराते हुए कहा कि किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य ही नही बल्कि लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य मिले.
घोषित मूल्य के बाद उसके आदानों में होने वाली महंगाई का भुगतान के समय समायोजन कर महंगाई के अनुरूप में वास्तविक मूल्य चुकाना होगा.
घोषित मूल्य से कम पर विक्रय को अपराध माना जाये भले ही किसान से उपज चाहे सरकार खरीदे, चाहे मण्डी या कहीं भी बाहर खरीद हो हर खरीद पर घोषित मूल्य पर ही हो.
हिमाचल में सरकारी के साथ निजी व्यवस्था है बहुत जरूरी
डॉ. सोमदेव ने कहा कि हिमाचल में किसानों और बागवानों को लाभान्वित करने के लिए सरकारी व्यवस्था के साथ-साथ निजी व्यवस्था का होना अत्यन्त आवश्यक है. इससे व्यवसायिक प्रतिस्पर्धा के साथ-साथ वस्तु गुणवता में विकास तो होगा ही साथ ही किसानों को इससे बहुत लाभ होगा. उन्होंने सरकार से मांग की सरकार प्रोडक्शन बैल्ट में सीए स्टोरेज और कोल्ड चेन को मजबूत करे. निजी व्यवस्था पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि निजी निवेश हिमाचल में कृषि और बागवानी के आधारभूत ढांचागत व्यवस्था के सुदृढ़ीकरण के लिए लाभकारी साबित होंगे. उन्होंने कहा कि 18 से अधिक निजी कंपनियां हिमाचल में पहले से सक्रिय हैं जिससे किसानों को लाभ मिल रहा है. उन्होंने भाकियु के नेता राकेश टिकैत के दौर पर पूछे गये एक सवाल के जवाब में कहा कि प्रदेश में किसी भी किसान संगठन को किसानों को राजनीतिक सता परिवर्तन के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए.