आदर्श हिमाचल ब्यूरो
शिमला। तमाम सरकारी दावों के बावजूद प्रदेश में कई एचआरटीसी के डिपो किसी न किसी परेशानी से दो-चार हैं। इसी तरह रोहड़ू डिपो में भी कई परेशानियां काम में बाधा बन रही है। इस डिपो में कुल 127 बसें हैं। इनमें 34 नई बसें और 27 बसें जेआरयूएनस वाली है। डिपो में 40 बसें लाख ऐसी हैं जो 7 लाख 25 हजार किलोमीटर से अधिक चल चुकी हैंष न बसों की रनिंग कास्ट भी अधिक आती हैं। डिपो में BS2 की बसें अधिक हैं जबकि BS4 से BS6 की बसें बेहतर मानी जाती है।
रोहड़ू बस डिपो की सबसे बड़ी और पुरानी समस्या है यहां की वर्कशाप। वर्कशाप की हालत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां वर्कशाप की छत भी नही है। इस कारण बारिश, बर्फ या तेज धूप नैकेनिकों को ऐसे ही खुलें में बसों को ठीक करने का काम करना पड़ता है। यहां से दो बार वर्कशाप की मरम्मत का एस्टीमेट बनाकर विभागाधिकारी रोहड़ू को भेजा जा चुका है। लेकिन आज तक समस्या ज्यो की त्यों बनी हुई है इसे अलावा यहां काम करने वाले कर्मचारियों के लिए पीने के पानी की समस्या भी जस की तस बनी हुई है। यहां पीने का पानी उपलब्ध न होने के कारण कर्मचारियों को समस्या का सामना करना पड़ रहा है। साथ ही यहां गाड़ी धोने तक के लिए पानी उपलब्ध नही हो पाता है।
रोहड़ू डिपो के जूनियर टैक्निशियन अधिकारी ने आदर्श हिमाचल को बताया कि एचआरटीसी वर्कशाप के साथ ही नया हैंडपंप लगाने के बाद वर्कशाप के हैंडपंप में पानी आना कम हो गया है। उन्होंने कहा कि इसे अलावा उनके सामने यहां सबसे बड़ी समस्या वर्कशाप को लेकर है। वर्कशाप के मरम्मत कार्य का एस्टीमेट बो बाद संबंधित विभाग को भेजने के बाद भी आज तक समस्या का समाधान नही हो पाया है। उन्होंने कहा कि बारिश के मौसम में बिना छत के काम करना बेहद मुश्किल हो जाता है इसके अलावा यहां कर्मचारियों के लिए पीने के पानी की समस्या भी है। अधिकारी ने बताया कि रोहड़ू डिपो में 2006 से लेकर 2012 तक कुल 127 बसें हैं। यहां पर चिड़गांव सहित 31 डेली वर्कर और 55 कर्मचारी अपनी सेवाएं दे रहे हैं। वहीं सुरेंद्र शर्मा ने बताया कि पानी को लेकर जलशक्ति विभाग को शिकायत के बावजूद अभी तक विभाग ने कोई संज्ञान नही लिया है।