आदर्श हिमाचल ब्यूरो
शिमला। सेब सीज़न के दौरान सेब के दाम गिरने के मुद्दे को लेकर राष्ट्रीय लोकनीति पार्टी ने बुधबार को पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ एक बैठक की और बागवानों के साथ वेबिनार भी किया, बैठक में सेब सीज़न की वर्तमान स्थिति सहित बागवानों के सभी मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की गई।
गौरतलब है कि इस सेब सीज़न में शिमला के भट्ठा कुफर और पराली मंडी से विगत दिनों बागवानों का पैसा लेकर महाराष्ट्र और बिहार के खरीददार फरार हो गए हैं। इससे पहले दिल्ली, चंडीगढ़, गुजरात और चेनई के लदानी भी बागवानों के करोड़ों रूपए लेकर फरार है। 2020 सेब सीज़न के एक दर्ज़न से ज़्यादा लदानियों को ढूंढ़कर सीआईडी ने नोटिस थमा दिए हैं।
इस वर्ष भी आढ़ती और लदानी बागवानों के पूरे पैसे नहीं दे रहे है और कई मंडियों के आढ़तियों ने तय 15 दिन में बागवानों का पैसा नहीं लौटाया है जिससे इस वर्ष भी बागवानों को पैसे डूबने का डर सता रहा है।
राष्ट्रीय लोकनीति पार्टी का मानना है सरकार और APMC की लचर व्यवस्था और कुछ बड़े व्यापारियों के साथ मिलीभगत के कारण बागवानों को प्रतिवर्ष इस अव्यवस्था से दो चार होना पड़ता है। यदि सरकार APMC कानून के प्रावधान लागू करते हुए इन सभी के लाइसेंस बनवाती, इनसे बैंक गारंटी रखवाती और जिस दिन माल बिक्री होता है उसी दिन पेमेंट करवाती तो आज ये दिन देखने को नहीं मिलते। सरकारी एजेंसियां एचपीएम्सी और हिमफैड सेब खरीदने के बाद सालों तक बागवानों को पेमेंट नहीं करती, इसलिए छोटे बागवान जिन्हें आजीविका चलने की लिए पैसे की तत्काल ज़रूरत होती है वो अपना कम गुणवत्ता वाला सेब मार्किट में ले जाने को मज़बूर होते है, जो मंडी में रेट कम होने का कारण बनते हैं। इसके अलावा सरकार सेब पर लागत का दोगुना MSP देती तो भी आज किसान को अपना सेब बेचने के लिए दर-दर नहीं भटकना पड़ता।
सरकार द्वारा बागवानों को सुविधा और कोल्डस्टोरेज के लिए करोड़ो रूपए की सब्सिडी दी गई थी जिसे सरकार ने चुनिंदा व्यापारियों को बाँट दी। सरकार बताएं क़ि इन सब्सिडी का प्रदेश के बागवानों को क्या लाभ मिला। इस धन का यदि सही उपयोग होता और पंचायत स्तर पर छोटे कोल्डस्टोर बनते, जहाँ बागवान अपना सेब रखकर ऑफ़ सीज़न में बेचकर अच्छे दाम ले सकते थे। सेब प्रोसेसिंग प्लांट को लेकर भी सरकार का लचर रवैया उसकी करनी और कथनी के भेद को साफ ज़ाहिर करता है। आज यदि प्रोसेसिंग प्लांट बने होते तो सी ग्रेड एप्पल मार्किट न बिक कर प्रोसेसिंग में जाता।
पार्टी ने बैठक में तय किया कि मुख्यमंत्री को दिए गए पांच सूत्री ज्ञापन की अवधि 13 सितंबर को पूरी हो रही है। अगर सरकार द्वारा इस गंभीर विषय पर कोई सकारात्मक कार्रवाई नहीं की गई तो पार्टी 13 सितंबर से आंदोलन करेगी और दिखाएगी कि प्रदेश लोकशाही से चलेगा राजशाही से नहीं।