धोखाध़ड़ी: यूटोपिया लर्निंग सेंटर ने चार लोगों के खिलाफ छोटा शिमला थाना में दर्ज करवाया मामला

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सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीर

दो अध्यापकों व दो कर्मचारियों ने चुराया संस्थान का महत्वपूर्ण डाटा, छात्रों को भी बहलाया-फुसलाया

आदर्श हिमाचल ब्यूरो  

शिमला। छोटा शिमला स्थित यूटोपिया लर्निंग सेंटर ने अपने दो अध्यापकों व दो कर्मचारियों पर धोखाधड़ी का आरोप लगा मामला दर्ज करवाया है। इसकी शिकायत सेंटर के मालिक कपिल जैन ने शुक्रवार को छोटा शिमला थाने में दर्ज करवाई है। उनका आरोप है कि आरोपी न सिर्फ एडवांस सैलरी ले गए बल्कि सेंटर के महत्वपूर्ण डाटा के साथ यहां पढ़ने वाले कुछ बच्चों को भी गुमराह करके अपने साथ ले गए। बच्चों को बिना सेंटर व उनके अभिभावकों की अनुमति केसाथ ले जाया गया है। कुछ बच्चों के अभिभावक जब संस्थान पंहुचे तब उन्हें इस बात की जानकारी मिली।

 कपिल जैन ने पुलिस को दी अपनी शिकायत में  बताया है कि वे छोटा शिमला में यूटोपिया लर्निंग रिसोर्सेज के नाम से वर्ष 1997 से कोचिंग संस्थान चला रहे हैं। संस्थान प्रमुख प्रवेश परीक्षाओं जैसे NEET, IIT-JEE, I.A.S., H.A.S., बैंकिंग, SSC, GATE आदि के लिए कोचिंग प्रदान कर रहा है। संस्थान में कई अधिकारी कार्यरत हैं। एनईईटी और आईआईटी के लिए विज्ञान के छात्रों को कोचिंग देने के लिए मेरे द्वारा संस्थान में हेमराज (जीव विज्ञान संकाय) और कंचन (रसायन विज्ञान संकाय) नामक दो शिक्षक भी नियुक्त किए गए थे।

उनके साथ एक प्रबंधकीय कर्मचारी सन्नी सिंघा जो हमारी संस्था में मेडिकल और इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा में प्रवेश के लिए विभिन्न छात्रों से हमारे संस्थान के नाम पर संपर्क करते थे। इसके अलावा मेरे पास एक कर्मचारी पारुल चतरा भी थी जो यहां कॉलिंगडेटा संग्रह और डेटा हैंडलिंग और प्रवेश आदि के लिए छात्रों के साथ बातचीत करती । वह भी7 सितंबर2021 को अपना वेतन प्राप्त करने परवापस नहीं लौटी।

उसने हमारा डेटा अवैध रूप से लिया है। हमें पता चला कि वह किसी अन्य संस्थान के लिए उस डेटा का दुरुपयोग कर रही है,  इसके अलावा उपरोक्त सभी व्यक्तियोंकंचन कुमारहेम राजसनी सिंघा और पारुल ने मूल्यवान डेटा चुरा लिया है। इस डेटा में संस्थान में पढ़ रहे छात्रों का विवरणजैसा कि साथ ही क्रैश कोर्स और साल भर के कार्यक्रमों (ड्रॉपर कोर्स) से संबंधित डेटा भी शामिल हैं, जो कि किसी भी संस्थान के लिए महत्वपूर्ण है

 इस प्रकार उपरोक्त चारों व्यक्तियों ने आपराधिक विश्वासघात, संपत्ति का बेईमानी से हेराफेरी (डेटा), धोखाधड़ी और चोरी की है। मैं अपने कार्यालय (संस्थान) पहुंचा और कार्यालय के साथ-साथ डेटा की गहन जांच के बाद मुझे उपरोक्त व्यक्तियों द्वारा किए गए कामों का पता चला। हेमराज और कंचन इन दोनों अध्यापकों ने  मेरे संस्थान में दाखिला ले पढ़ रहे छात्रों को गुमराह किया और उन्हें अपने साथ किसी अन्य संस्थान में ले गए।

इन चारों ने न केवल मुझे व संस्थान को आर्थिक नुकसान पहुंचाया है बल्कि अपने व्यक्तिगत लाभ और धन सृजन के इरादे से मेरी व संस्थान की प्रतिष्ठा को भी नुकसान पहुंचाया है। हेम राज, कंचन और सनी सिंघा अपने साथ मोटी रकम एडवांस में लेकर फरार हो गए हैं। मेरे इन चारों कर्मचारियों ने छात्रों के भविष्य और संस्था की प्रतिष्ठा की कीमत पर अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए एक साजिश रची है। उन्होंने छात्रों के भविष्य और करियर को दांव पर लगा दिया है। तीनों कर्मचारियों का पता नहीं चल सका है। उन्होंने उनके सभी दस्तावेज और व्यक्तिगत रिकॉर्ड भी छीन लिए हैं। पारुल चतरा शिमला के संजौली में कहीं काम कर रही हैं। ये चारों कर्मचारी अपने व्यक्तिगत दस्तावेज और रिकॉर्ड ऑफिस से चुरा कर ले गए हैं ताकि इन पर घर के पते पर कोई कानूनी कार्यवाही न की जा सके।

     ऐसे अध्यापकों और कर्मचारियों को जो अपनी नौकरी व कमीशन के लालच में बच्चों को बहला फुसला कर एक संस्थान से दूसरे संस्थान में ले जाते हैं, किसी भी संस्थान के मालिक को इन्हें अपने संस्थान में नहीं रखना चाहिए। अन्य संस्थानों को दूसरे संस्थानों में पढ़ने वाले बच्चों को अपने यहां बिना मां बाप की जानकारी व मर्जी के एडमिशन नहीं देनी चाहिए। यदि कोई संस्थान ऐसे अध्यापकों को, जो दूसरे संस्थान के बच्चों की पढ़ाई और उनके भविष्य को अधूरा छोड़ कर आए अध्यापकों और कर्मचारियों को, अपने लालच वश, नौकरी पर रखता है तो उस संस्थान के मालिक को भी इस षड्यंत्र में शामिल मानकर, पुलिस को उन पर भी कानूनी कार्यवाही और मुकदमा दर्ज करना चाहिए। अध्यापकों द्वारा बच्चों को बहला फुसला कर एक संस्थान से दूसरे संस्थान में ले जाना एक जुर्म करार देना चाहिए क्योंकि कल वे इसी तरह लालच में आकर बच्चों को किसी अन्य गलत जगहों पर भी ले जा सकते हैं। सरकार और हाई कोर्ट इस बात का संज्ञान ले और इस घटना गंभीरता से कार्यवाही करे क्योंकि ये मामला शिक्षा एवम  विद्यार्थियों के भविष्य से जुड़ा है। इस समय किसी भी संस्थान द्वारा उपरोक्त चारों कर्मचारियों को अपने यहां नौकरी देना या कोई अन्य जिम्मेवारी देना एक अनैतिक जुर्म माना जाना चाहिए।