2018 में नप कॉंग्रेस अध्यक्ष के खिलाफ दो दिन में दे दिया था फैसला
भाविता जोशी। सोलन
नगर परिषद बद्दी किसी न किसी मामले को लेकर लंबे समय से विवादों में चल रही है ओर या विवाद सुर्खियों में है। जब से नप बद्दी में भाजपा काबिज हुई है तब से कुछ ही माह बाद नप की मासिक बैठकें होनी बंद हो गई। जिससे नगर परिषद बद्दी में विकास कार्य भी ठप है और इसका खामियाजा जनता की भुगतना पड़ रहा है। पहले कांग्रेसी पार्षदों ने नप अधिकारी और जेई की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए और नप में मनमानी पर मोर्चा खोला।
जिसके बाद 8 महीनों तक नप की कोई मासिक बैठक नहीं हुई, जिससे विकास कार्य ठप होना शुरू हो गए। नप की बैठकें न होने के दौरान ऑफ लाईन टैंडर लगाकर मनमर्जी से काम किए गए, जिस पर भी सवाल उठे। इन ऑफ़ लाईन टैडरों पर कांग्रेसी पार्षदों ने चहेते ठेकेदारों को रेबडिय़ां बांटने और इन टैंडरों में भ्रष्टाचार होने का आरोप जड़ा। अभी कुछ दिन पहले कार्यकारी अधिकारी और जेई को बदला गया और पार्षदों ने मासिक बैठक में हिस्सा लेना शुरू किया। उसके बाद भाजपा के अपने ही पार्षद ने नप अध्यक्षा की कार्यप्रणाली को कटघरे में खड़ा कर दिया और आरोप लगाया कि अध्यक्षा रबड़ स्टैंप बनकर रह गई है। उनका पति नप की कार्यप्रणाली में दखलअंदाजी कर मनमर्जी कर रहा है।
2 फरवरी को भाजपा पार्षद ने 4 कांग्रेसी पार्षदों के साथ मिलकर डीसी सोलन को नप अध्यक्षा व उपाध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव दाखिल कर दिया। लेकिन हैरानी इस बात की है कि लगभग 12 दिन बाद भी डीसी सोलन ने अविश्वास प्रस्ताव पर कोई फैसला नहीं सुनाया।
अविश्वास प्रस्ताव दाखिल करने वाले पार्षद सुरजीत चौधरी, मोहन लाल, जस्सी राम, तरसेम चंद व अजमेर कौर का कहना है कि डीसी सोलन सत्ता के दबाब में काम कर रही हैं। उनपर दबाब बनाया जा रहा है कि इस अविश्वास प्रस्ताव को लटका दिया जाए। सुरजीत चौधरी समेत पांचों पार्षदों का कहना है कि अगर दो दिन के भीतर डीसी सोलन ने कोई संज्ञान नहीं लिया तो पांचों पार्षद डीसी सोलन कार्यालय के बाहर आमरण अनशन पर बैठ जाएंगे।
सुरजीत चौधरी ने कहा कि गगरेट और सरकाघाट नगर परिषद में भी अविश्वास प्रस्ताव दाखिल किए गए। जहां पर जिलाधीशों ने 3 दिन में ही फैसला सुनाते हुए वोटिंग के लिए निर्देश दे दिए। तो जिलाधीश सोलन पर ऐसा क्या दबाव है कि 12 दिन से वह अविश्वास प्रस्ताव पर कोई फैसला नहीं ले पाई। सुरजीत चौधरी ने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव दाखिल करने वाले पार्षदों पर विभिन्न तरह के दबाव बनाए जा रहे हैं। ओच्दे हथकंडे अपनाते हुए उनके परिवारों के निजी कामों पर अटैक किया जा रहा है ताकि वह अविश्वास प्रस्ताव वापिस ले लें।
सुरजीत चौधरी ने कहा कि वर्ष 2018 में नप अध्यक्ष चौधरी मदन लाल के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव दाखिल किया गया था जिस पर तीसरे की दिन फैसला लेते हुए चुनाव करवाने के आदेश जारी कर दिए गए थे और उन्हें कुर्सी से हटना पड़ा था। लेकिन अब भाजपा सत्ता का दुरूपयोग कर लोकतंत्र की हत्या करने पर तुल गई है। अगर नप बद्दी में अविश्वास प्रस्ताव पर संज्ञान नहीं लिया गया तो पांचों पार्षद जहां आमरण अनशन पर बैठेंगे वहीं कांग्रेस डीसी सोलन का घेराव करेगी।
नप बद्दी के पूर्व अध्यक्ष एंव प्रदेश कांग्रेस सचिव चौधरी मदन लाल ने कहा कि नप अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव दाखिल होने के चलते नप बद्दी में भाजपा अल्पमत में आ चुकी है। ऐसे में जिलाधीश सोलन को नप अध्यक्षा व उपाध्यक्ष को बहुमत साबित करने के आदेश जारी करने चाहिए क्योंकि यह एक लोकतांत्रिक क्रिया है।
अल्पमत में आने के बाद नप अध्यक्षा व उपाध्यक्ष को कुर्सी पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है। कुर्सी पर बने रहने के लिए इन्हें बहुमत सबित करना ही पड़ेगा। 12 दिन के बाद भी अगर डीसी सोलन कोई आदेश नहीं जारी कर रही तो यह साफतौर पर जाहिर होता है कि उन पर सत्ता का दबाव है। अगर दो दिन के भीतर कोई फैसला नहीं लिया गया तो एक प्रतिनिधिमंडल डीसी सोलन से मिलेगा और विरोध प्रकट किया जाएगा।
प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष एंव दून के पूर्व विधायक राम कुमार चौधरी ने कहा कि भाजपा का हमेशा ही दोहरा चरित्र और दोहरे मापदंड रहे हैं। वर्ष 2018 में भी भाजपा की सरकार थी, तब नगर परिषद में अविश्वास प्रस्ताव पर 3 दिन में फैसला लेकर वोटिंग करवाने का समय दे दिया गया था। अब जब नप में भाजपा के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव दाखिल हुआ है तो 12 दिन से डीसी सोलन कोई फैसला नहीं सुना रहीं। जिससे साफ तौर पर जाहिर होता है कि उन पर सत्ता का दबाब है और सरेआम लोकतंत्र की हत्या करने पर भाजपा उतारू है। अगर दो दिन में कोई फैसला नहीं आता तो प्रदेश कांग्रेस डीसी सोलन का घेराव करेगी और पुतला फूंका जाएगा।
उधर पता चला कि इस संदर्भ में डीसी कार्यालय से शहरी विकास विभाग के उच्चाधिकारियों से पत्राचार कर फाईनल ओपनियन मांगा गया है। वहीं एक पार्षद की सदस्यता को लेकर भी कानूनी पत्र जाना जा रहा है।