आदर्श हिमाचल ब्यूरो
शिमला: गुरुवार को सदन में नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री और मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर में तीखी नोकझोंक हो गई। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि कांग्रेस कर्मचारियों को सरकार के खिलाफ भड़का रही है। मुकेश अग्निहोत्री को राजनीतिक भूख है। वहीं नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि सरकार कर्मचारियों का दमन कर रही है। इसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इसके बाद विधानसभा को पांच मिनट के लिए स्थगित कर दिया गया।
विधानसभा अध्यक्ष के सदन को स्थगित करने के तुरंत बाद कांग्रेस नारे बाजी करते हुए बाहर निकल गई।
मुख्यमंत्री ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि केंद्र से तत्कालीन वीरभद्र सरकार को ओपीएस का ऑप्शन भेजा गया था और तब हिमाचल देश का पहला राज्य था जिसने ये ऑप्शन स्वीकार किया था। उन्होंने कहा कि ओपीएस की मांग कर्मचारी लंबे समय से कर रहे हैं। हमारी सरकार ने कर्मचारियों के विभिन्न वर्गों की समस्याओं को सुनकर उनका हल निकाला है।
आज भी आंदोलनरत कर्मचारियों के पास पहले उन्होंने चीफ सेक्रेटी को भेजा और फिर सरकार में वरिष्ठ मंत्री सुरेश भारद्वाज को भेजा ताकि कर्मचारियों का कोई प्रतिनिधिमंडल उनके साथ आकर मुझसे बात करें लेकिन आंदोलन को खत्म करना होगा क्योंकि इस से कर्मचारी तो परेशान हो रहे हैं लेकिन आम जनता भी परेशान हो रही है। कहा किआंदोलन कोई रास्ता नही है।
वहीं सदन में ओपीएस मामले में तनातनी के बाद बाहर आये नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि कर्मचारियों के प्रति सरकार का रवैया बिल्कुल मानवीय नही है।
अपनी बात रखने शिमला आ रब कर्मचारियों को जगह जगह रोकने के लिए सरकार ने पूरी फोर्स लगा दी है। उन्होंने कहा कि हिमाचल को बनाने में कण कर्मचारियों की अहम भूमिका है।
मुख्यमंत्री के आरोप पर उ होने कहा कि इस सरकार से प्रदेश सम्भल नही रहा है और विपक्ष पर आरोप लगा रहे है। ऐलान, बयान, घोषणाओं और शिलान्यास वाली सरकार के पास कुछ भी नही बचा है फिर भी कर्मचारियों की बात तो सुनी ही जा सकती है
माकपा के एकमात्र विधायक राकेश सिंघा ने सरकार को चेताया कि उनकका रवैया कर्मचारियों के प्रति ठीक नही है। अभी भी समय ही कि सरकार में बैठे संवेदनशील लोग आंदोलन कर रहे कर्मचारियों की बात सुनें। सरकार डरा कर कर्मचारियों को रोक नही सकती। अपनी बात कहना इन कर्मचारियों का लोकतांत्रिक अधिकार है। तानाशाह सरकारों को जनता सत्ता से बाहर उखाड़ फेंकती है। उदाहरण पूर्व की भाजपा की शांता सरकार है।