रोहड़ू: बुधवार को शिमला जिला के रोहडू में हिमाचल बागवानी विभाग की ओर से सेब की सघन खेती की जानकारी और विकास को केंद्र में रखते हुए एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस मौके पर बागवानी विभाग से रोहड़ू के बागवानी विकास अधिकारी (HDO रोहड़ू) डॉ. कुशल मेहता ने युवाओं को बागवानी में सघन खेती में अवसर और वैज्ञानिक तौर तरीकों से पौधरोपण यानी प्लांटेशन के तकनीकों से अवगत कराया। इस मौके पर बागवानी विभाग से डिप्टी डायरेक्टर के पद से सेवानिवृत्त डॉक्टर नरेश कुमार मेहता ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और युवाओं से बागवानी संबंधित जानकारियां साझा की।
दरअसल प्रदेश बागवानी विभाग की ओर से ATMA प्रोजेक्ट के आधीन विश्व बैंक द्वारा अनुमोदित “प्राकृतिक खेती खुशहाल बागवान” कार्यक्रम के अधीन “फार्म स्कूल” की दूसरी कक्षा का आयोजन अचीवर फार्मर मोहित शर्मा के सघन खेती HDP सेब के बगीचे में एक जानकारी कार्यक्रम का आयोजन किया गया और पौधरोपण संबंधित विशेष पहलुओं से युवाओं को अवगत कराया गया।
ग्राफ्टिंग यूनियन का ध्यान रखें बागवान, भूमि टेंपरेचर का ख्याल रखना जरूरी: कुशल मेहता
फार्म स्कूल के अधीन यह सघन खेती और सेब की दिशा में आधुनिक और वैज्ञानिक तौर तरीकों से खेती की जानकारी रोहडू क्षेत्र के युवाओं के साथ साझा की गई हालांकि इस कार्यक्रम में जुब्बल और छुहारा क्षेत्र के युवाओं ने भी भाग लिया। इस दौरान डॉक्टर कुशल मेहता ने उन महत्वपूर्ण बातों को साझा किया जिन्हें प्लांटेशन के दौरान अनिवार्य रूप से ध्यान रखना अति आवश्यक है।
बगीचे में प्रैक्टिकल रूप से पौधा रोपण करते हुए कुशल मेहता ने जानकारी साझा करते हुए कहा कि ग्राफ्टिंग यूनियन को जमीन से तकरीबन 6 से 9 इंच ऊपर रखना अनिवार्य है तो वही जमीन के टेंपरेचर का भी विशेष ख्याल रखना जरूरी कदम है। कुशल मेहता ने बताया प्लांटेशन के दौरान ख्याल रखिए की जमीन का टेंपरेचर 10 डिग्री से ऊपर हो।
प्लांटेशन के दौरान रूट ट्रीटमेंट करना बेहद आवश्यक: कुशल मेहता
युवाओं को प्लांटेशन के बारे में जानकारी देते हुए डॉक्टर कुशल मेहता ने कहा कि प्लांटेशन के दौरान रूट ट्रीटमेंट करना बेहद जरूरी स्टेप है, प्लांटेशन से पूर्व हाइड्रोजन पेरोक्साइड अथवा ह्यूमी जैल के प्रयोग से जोड़ों को जोड़ों को सैनिटाइज करना एक अहम स्टेप है। जिसको फॉलो करते हुए जड़ों के आसपास माईकोराइजा के उपयोग से पहले चरण में पौधे के विकास को गति दी जा सकती है। इस दौरान कुशल मेहता ने पौधरोपण के पहले कुछ समय में न्यूट्रिशन और पानी का विशेष ध्यान रखने को बेहद अहम भूमिका निभाने वाला बताया।
पौधे को सूखे से बजाएं, नमी को रिटेन रखने के लिए उठाएं कदम: मेहता
कुशल मेहता ने जानकारी देते हुए कहा कि पौधे के लिए नमी को बरकरार रखना भी बेहद आवश्यक है। मेहता ने बताया कि जमीन में तकरीबन 30% नमी बनाए रखना पौधे के विकास के लिए बेहद आवश्यक है। हालांकि इस दौरान बेहद ज्यादा पानी के इस्तेमाल से जमीन में अधिक गीलापन करने से भी बचने की सलाह दी। जमीन में उपयुक्त नमी का अंदाजा मिट्टी को हाथ में पकड़ कर उसका गेंदे आकार बनाकर लगाया जा सकता है। यदि मिट्टी की गेंद बन जाती है तो नमी उपयुक्त है और अगर गेंद बिखर रही है तो जमीन में पानी की कमी है। तो वही अगर मिट्टी हाथों में चिपक रही है तो जमीन में अधिक गीलापन है जिस से परहेज करना भी आवश्यक है।
पूरे स्टेप्स फॉलो करें तो मोटलीटी रेट रहेगा कम: मोहित शर्मा
फार्म स्कूल का आयोजन रोहडू के प्रगतिशील बागवान और सघन खेती की दिशा में नए आयाम छू रहे मोहित शर्मा के बगीचे में हुआ जहां एक्सपर्ट्स ने सघन खेती और प्लांटेशन की जानकारी दी तो वहीं इस दिशा में काम कर चुके मोहित शर्मा ने भी अपने तजुर्बे के आधार पर पौधों को फेलियर से कैसे बचना है इसकी जानकारी साझा की।
मोहित शर्मा ने बताया कि हॉर्टिकल्चर विभाग के द्वारा सूचित किए गए चरणों का सही ढंग से पालन करना बगीचे में मोटिलिटी रेट को बेहद कम करने में कारगर सिद्ध होगा। मोहित शर्मा पिछले वर्षों से प्लांटेशन कर रहे हैं और लोगों को सुझाव भी दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि अक्सर इन चरणों को कैजुअल ही लिया जाता है परंतु इनका सही ढंग से पालन करना बेहद जरूरी है।
पौधों को डिहाइड्रेशन से बचाएं और सैनिटाइजेशन भी बेहद जरूरी: मोहित शर्मा
नव पौधारोपण के दौरान पहला और महत्वपूर्ण स्टेप डिहाइड्रेट पौधों को उपयुक्त पानी देना है और इसके लिए पौधे लगाने से पूर्व लगभग 72 घंटों के लिए पौधों को पानी में रखना बेहद जरूरी चरण है।
दूसरा और महत्वपूर्ण चरण पौधे की जड़ों का सैनिटाइजेशन है जिसमें हाइड्रोजन पेरोक्साइड के उपयोग से जोड़ों को रोग रहित किया जा सकता है और पौधे को लगाने से पूर्व यह अहम चरण है हालांकि यहां पर मोहित ने इस बात का ध्यान रखने की भी आवश्यकता जताई कि जमीन की तैयारी के दौरान भी पराक्साइड या किसी फंगीसाइड के उपयोग से जमीन का सैनिटाइजेशन भी उतना ही महत्वपूर्ण है।
तीसरे चरण में मोहित शर्मा ने डॉक्टर कुशाल मेहता की बातों को दोहराते हुए ग्राफ्टिंग यूनियन का ध्यान और जड़ों के पास मईकोराईजा के साथ साथ कंपोस्ट और सड़े हुए गोबर जैसे फार्म यार्ड मैनुअर का इस्तेमाल पौधे को प्री स्टेज में उपयोगी तत्व और आवश्यक न्यूट्रिशन उपलब्ध कराएगा जो पौधे के विकास में बेहद अहम योगदान दे सकता है।
बात हिमाचल बागवानी विभाग रोहड़ू में कार्यरत बागवानी विकास अधिकारी कुशल मेहता की हो या आधुनिक और वैज्ञानिक तौर तरीकों से सघन खेती कर रहे युवा बागवान मोहित शर्मा की कुल बातों का जमा जोड़ ये है कि वैज्ञानिक तौर तरीकों से बागवानी को नए आयाम दिए जा सकते हैं और बागवानी को एक उभरते प्रोफेशन के तौर पर देखा जा सकता है। हिमाचल प्रदेश की आर्थिकी में बागवानी का एक बड़ा हिस्सा है और इसे नकारा नहीं जा सकता पूरे देश में रोजगार की समस्या भी एक अहम मुद्दा है जिस को हल करने की दिशा में में यह नव और विकसित ढंग की बागवानी बेहद महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकती है।