हाटकोटी/जुब्बल: शनिवार को शिमला जिला के जुब्बल क्षेत्र में हाटकोटी के साथ लगते अणु फार्म में क्लोनल रूटस्टॉक और नर्सरी के प्रोपेगेशन और रखरखाव को ध्यान में रखते हुए युवा भाग वनों के लिए एक प्रयोग ए कक्षा का आयोजन किया गया इसमें बागवानी विकास अधिकारी रोहड़ू डॉ कुशल मेहता ने युवाओं को नर्सरी तैयार करने और उनके रखरखाव के विषय में महत्वपूर्ण और वैज्ञानिक तौर तरीकों से रूबरू करवाया। इस मौके पर फार्म में कार्यरत कुशल व्यक्ति के द्वारा युवाओं को ग्राफ्टिंग और बडिंग के गुर भी सिखाए गए। ऊपरी शिमला क्षेत्र के लोगों में बागवानी प्रमुख व्यवसाय में है, ऐसे में युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ने और बागवानी को व्यवसाय के तौर पर विकसित करने की दिशा में बागवानी विभाग की ओर से पहल की जा रही है और इसमें बागवानी विकास अधिकारी रोहड़ू डॉक्टर कुशल मेहता ने अग्रणी नेता के तौर पर भूमिका निभाई है। इस प्रयोगीक कक्षा के दौरान नर्सरी तैयार करने और पौधे के रखरखाव के महत्वपूर्ण बिंदुओं पर बात की गई।
6 से 9 इंच पर की ग्राफ्टिंग यूनियन तीन आंखें मिट्टी में रहना बेहतर: डॉ. कुशल मेहता
नर्सरी तैयार करने पर हुई इस प्रयोगी कक्षा के दौरान डॉक्टर कुशल मेहता ने बेहद महत्वपूर्ण बिंदुओं पर जानकारी साझा की उन्होंने युवाओं को बताया कि नर्सरी में वैरायटी तैयार करने में इन महत्वपूर्ण बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। डॉक्टर मेहता ने बताया कि रूटस्टॉक क्लोनल हो या सीडलिंग इस बात का विशेष ध्यान रखें कि डिलीशियस वैरायटी में ग्राफ्टिंग यूनियन तकरीबन जमीन से 6 इंच ऊपर रखें और गाला स्ट्रेन में 9 इंच का गैप रखना सबसे उत्तम माना गया है। मगर यहां दिलचस्प बात यह है की आखिरी जड़ से ऊपर तीन आंखें मिट्टी में दबाई जाएं तो आंखें भी रूट जोन में तब्दील हो जाएंगी जो पौधे के विकास में अहम योगदान निभा सकती हैं इसके अलावा अगर इस दौरान इन आंखों के पास घाव लगाकर इन्हें रूट हार्मोन से लिप्त किया जाए तो पौधे में जड़ों का क्षेत्र बढ़ने और उसके विकास की स्थिति में कई गुना वृद्धि हो जाती है। अतिरिक्त डॉ मेहता ने स्थान मौसम और मिट्टी को समझने और उसके हिसाब से प्रैक्टिस करने पर विशेष बल दिया इसके अलावा उन्होंने नर्सरी तैयार कर रहे युवाओं को नर्सरी मैं वैरायटी के मैनेजमेंट के गुरु भी साझा किए। डॉ मेहता ने युवाओं को वैरायटी के मिक्स होने और बदल जाने जैसी परिस्थितियों से बचने के महत्वपूर्ण चरणों के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी।
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डॉ. मेहता ने प्रोपेगेशन की तकनीक और पौधे के रखरखाव के महत्वपूर्ण बिंदु किए साझा
पौधरोपण के बाद पौधे का रखरखाव सबसे अहम चरण है जिस पर डॉ मेहता ने विस्तार से बात की। इसके अलावा इस दौरान डॉ मेहता ने क्लोनल तरीके से रूटस्टॉक तैयार करने की महत्वपूर्ण बिंदुओं पर जानकारी साझा की। डॉक्टर मेहता ने यहां विदेशों में क्लोनल तरीके से रूटस्टॉक तैयार करने के प्रत्येक चरण के बारे में विस्तार से बताया।
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