आदर्श हिमाचल ब्यूरो
नई दिल्ली: बढ़ती आर्थिकी और शक्ति ने आज भारत को वैश्विक राजनीति में मुख्य स्थान पर पहुंचा दिया है जहां एक दूरी के राष्ट्र अमेरिका से दूसरी दूरी के राष्ट्र चीन और रूस तक सब भारत को पक्ष में रखना चाहते हैं पिछले दिनों अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाईडन ने भी प्रधानमंत्री मोदी से वर्चुअल मीटिंग की और यह तब हुआ जब भारत के विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री टू प्लस टू मीटिंग के लिए अमेरिका पहुंचे थे।
जहां पश्चिमी देशों और रूस के बीच चल रहे तनाव के बीच में भी भारत रूस से तेल खरीदने और पश्चिमी देशों के साथ सामंजस्य बिठाने में सफल रहा है तो वही भारत की महत्वता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जर्मनी में होने जा रहे हैं g7 सम्मेलन में भारत भी शिरकत करेगा और मोदी कार्यकाल में यह चौथी बार है जब लगातार भारत g7 में स्थाई सदस्य ना होने के बावजूद अतिथि सदस्य के तौर पर शिरकत करेगा।
G7 में शिरकत करना भारत के लिए क्यों है महत्वपूर्ण
G7 ग्रुप सात बड़ी आर्थिक और वैश्विक शक्तियों का ग्रुप है इसमें अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, इंग्लैंड, जापान, इटली और कनाडा शामिल है यहां गौरतलब है कि यह देश दुनिया की सबसे बड़ी आर्थिक शक्तियां है और दिलचस्प बात है कि शक्तियों का पूरे विश्व की केवल 10% जनसंख्या पर अधिकार है परंतु विश्व की 40 फ़ीसदी अर्थव्यवस्था इन्हीं 7 देशों के हाथों में है ऐसे में इस ग्रुप का हिस्सा होना अपने आप में महत्वपूर्ण हो जाता है
ब्लूमबर्ग की खबर के बाद जर्मनी ने किया खबर का खंडन
प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल के दौरान वैश्विक स्तर पर भारत की स्थिति बेहद मजबूत हुई है इस बात को नकारा नहीं जा सकता और g7 की बैठक में भारत को पिछले 4 बैठकों से लगातार बुलाया जा रहा है मगर इस बार रूस की निंदा ना करने और तेल खरीदने के मामले में पश्चिम भारत से चिढ़ा हुआ है ऐसे प्रख्यात न्यूज़ एजेंसी ब्लूमबर्ग ने रिपोर्ट किया था इस बार के g7 बैठक में रूस के मुद्दे पर जर्मनी भारत को बुलाने से किनारा करने वाला है और इतिहास गवाह रहा है कि इस तरह की ब्लूंबर की रिपोर्ट ज्यादातर सही साबित होती है मगर हुआ इससे उलट और जर्मनी ने इस बात का खंडन करते हुए भारत को जिससे उनकी मीटिंग में एक बार पुनः आमंत्रित किया है।
अब यह यूटर्न है या अमेरिका के दबाव में जर्मनी का फैसला मगर भारत के ऐसे समय में टथस्त रहने से चिड़ा हुआ जर्मनी g7 बैठक में भारत को बुलाने पर मजबूर नजर आता है जो भारत के लिए निसंदेह अच्छी खबर है। कई देश इस बात की भी वकालत कर चुके हैं कि भारत-ऑस्ट्रेलिया और साउथ कोरिया जैसे देशों को मिलाकर जी 7 का विस्तार किया जाए एल। भारत एक मजबूत देश के तौर पर उभर रहा है और विश्व राजनीति में अपनी पैठ बनाने में शहर हो रहा है। मगर अब भी भारत को आवश्यकता है अंदरुनी तौर पर और ज्यादा मजबूत होने की तथा आर्थिक और सैन्य शक्ति के तौर पर और ज्यादा विकसित होने की ताकि भारत एक महाशक्ति के तौर पर ऊंचे मुकाम हासिल कर सके।