शिमला: मौसम में हो रहे तेजी से बदलाव और पारीस्थितिकीय असंतुलन के चलते फल बागीचों पर माईट का प्रभाव भी असमान्य रूप से बढ़ा है। फल उत्पादन पर इसके गंभीर परिणाम देखने को मिल रहे है जिसके कारण बागवानों को उनके उत्पाद का उचित मूल्य नहीं मिल पाता है। इन माईट की पहचान और रोकथाम को वैज्ञानिक तरीके से कर बागवान अपने बागीचे का रखरखाव सुनिश्चित बना सकते हैं।
इस चुनौती के समाधान के लिए शिमला जिले के किसानों के लिए डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्योनिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी के क्षेत्रीय बागवानी अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र, मशोबरा में एक प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। तीन दिवसीय इस प्रशिक्षण शिविर में जिले के करीब 40 किसानों ने माईट प्रबंधन पर वैज्ञानिकों से जानकारी हासिल की। यह प्रशिक्षण शिविर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा प्रायोजित अखिल भारतीय नेटवर्क परियोजना के अन्तर्गत आयोजित किया गया था।
परियोजना की प्रमुख अन्वेषक व शिविर का संचालन कर रही कीट वैज्ञानिक डॉ. संगीता शर्मा ने बताया कि मशोबरा केंद्र में विभिन्न विषयों को लेकर इस तरह के प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन समय-समय पर किया जाता है ताकि बागवान हर चुनौती का सामना करने के लिए सक्षम हो सके। उन्होंने कहा कि इस शिविर में फल बागीचों तथा पॉली हाउस में उगने वाले पौधों की माईट की पहचान, लक्षण तथा प्रबंधन के बारे में बागवानों को विस्तृत जानकारी दी गई। तकनीकी जानकारी प्राप्त करने के लिए बागवान काफी उत्सुक थे।
केंद्र के सह निदेशक डॉ दिनेश ठाकुर ने बागवानों से फल उत्पादन से संबंधित आधुनिक तरीकों को अपनाने का आह्वान किया।
फल वैज्ञानिक डॉ नीना चौहान और रोग विशेषज्ञ डॉ ऊषा शर्मा ने भी बागवानों को जानकारी उपलब्ध करवाई।
बाद में, बागवानों को माईट की प्रयोगशाला, पालीहाउस तथा नर्सरी का भ्रमण भी करवाया गया। बागवानों को फल उत्पादन से संबंधित पाठ्य सामग्री भी उपलब्ध करवाई गई।