जुब्बल कोटखाई के विधायक रोहित ठाकुर ने प्रदेश सरकार पर उठाए सवाल, बोले प्रदेश में स्वास्थ्य और शिक्षा व्यवस्था चरमराई

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जुब्बल-कोटखाई: वर्तमान भाजपा सरकार के कार्यकाल में प्रदेश में स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र की दुर्गति हुई हैं। यह बात जुब्बल नावर कोटखाई के विधायक रोहित ठाकुर ने प्रेस को ज़ारी एक ब्यान में कही। रोहित ठाकुर ने कहा कि प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग में कुल 22060 सृजित पदों में 7100 पद रिक्त चल रहें हैं। उन्होंने कहा कि जुब्बल-नावर-कोटखाई के 34 स्वास्थ्य उप केंद्रों से कुल 67 स्वीकृत पदों में मात्र 18 पद भरें गए हैं जबकि 49 पद रिक्त चल रहें हैं जबकि 8 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बिना डॉक्टर के चल रहे हैं और यही स्थिति पूरे प्रदेश में हैं। रोहित ठाकुर ने कहा कि आयुर्वेदिक स्वास्थ्य संस्थानों की स्थिति इससे भी बदतर हैं। जुब्बल नावर कोटखाई में पिछले पांच वर्षो में 27 आयुर्वेदिक स्वास्थ्य संस्थानों में चिकित्सा अधिकारियों के 27 स्वीकृत पदों में मात्र 9 पद भरें हैं जबकि 18 पद रिक्त चल रहें हैं। उन्होंने कहा कि इन आंकड़ों से पता चलता हैं कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाएं पूरी तरह से चरमा गई हैं और सरकार पदों को भरने में बिल्कुल भी गंभीर नही हैं। रोहित ठाकुर ने कहा कि शिक्षा विभाग में शिक्षकों के पद रिक्त होने से अभिभावकों को बच्चों के भविष्य की चिंता सता रही हैं। रोहित ठाकुर ने कहा कि शिक्षा विभाग में कुल 11083 पद ख़ाली पड़े हैं जिसमें 2248 रिक्त पद लेक्चरर के शामिल हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में प्रारंभिक शिक्षा विभाग की प्राथमिक पाठशालाओं में ही जेबीटी के लगभग 4009 पद रिक्त हैं। प्रदेश में 2057 स्कूल सिर्फ़ एक शिक्षक के सहारे चल रहे हैं जो सरकार की उदासीनता का जीता जागता प्रमाण हैं। जुब्बल-नावर-कोटखाई की प्राथमिक, माध्यमिक, उच्च व वरिष्ठ माध्यमिक पाठशालाओं में शिक्षकों के 506 पद रिक्त चल रहें हैं। रोहित ठाकुर ने कहा कि प्रदेश के 150 कॉलेजों में 100 से अधिक कॉलेज ऐसे हैं जो बिना प्रिंसिपल के चल रहे हैं। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य व शिक्षा विभाग की ये अधिकतर रिक्तियाँ जिला शिमला की तरह प्रदेश के अन्य पहाड़ी और दुर्गम क्षेत्रों में हैं। रोहित ठाकुर ने अंत में कहा कि कल्याणकारी राज्य में स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे मूलभूत आवश्यकताओं के ढांचे को मज़बूत करना सरकार की जिम्मेवारी और जनता का अधिकार हैं लेक़िन भाजपा सरकार अपने कार्यकाल में इसके प्रति बिल्कुल भी गम्भीर नही रही।