तिब्बत मसले को लेकर चीन के दावों को बताया निराधार
आदर्श हिमाचल ब्यूरो
शिमला। धर्मशाला के मैक्लोडगंज स्थित चंद्रदीप की प्रशासन ने तिब्बत की आजादी मैं तिब्बत में मानवाधिकारों के उल्लंघन को लेकर यूरोपियन प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक की। केंद्रीय तिब्बती प्रशासन ने कहा कि चीन पहले से ही वर्तमान दलाई लामा के पुनर्जन्म के लिए अपना उम्मीदवार स्थापित करने की तैयारी कर रहा है अपने आधिकारिक मीडिया के माध्यम से, चीन दुनिया को वर्तमान दलाईलामा के पुनर्जन्म की अपनी पसंद स्थापित करने के अपने दावे के अधिकार की अनिवार्यता की घोषणा कर रहा है।
उन्होंने कहा कि चीन की सरकार के लिए ये और कुछ नहीं बल्कि राजनीतिक शक्ति का दावा करने का मामला है, चीन के पास हालांकि इस बाबत कोई ठोस और पुख्ता प्रमाण नहीं है फिर भी वो अपना बौद्ध समुदाय में अपना दबदबा बरकार रखने के लिये इस तरह के बयानों को दोहराता रहता है…जबकि सच्चाई ये है कि तुलकुस यानी दलाईलामा के पुनर्जन्म की खोज और मान्यता के लिए पारंपरिक तिब्बती प्रथा में, फैसला लेने का अधिकार सिर्फ संबंधित धार्मिक नेताओं को ही रहता है किसी और को इसमें जबरदस्ती हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है…इसलिये चीन का दावा पूरी तरह से निराधार है, उन्होंने कहा कि दलाई लामा के पुनर्जन्म के मामले में दुनिया का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने के लिये चीन लगातार कई मौकों पर भाषणबाजी करता रहा है…जो कि स्पष्ट रूप से उसकी विस्तारवादी और अक्रांताओं वाली रणनीति को दर्शाता है… निर्वासित तिब्बती संसद ने कहा कि यह कहने की जरूरत नहीं है कि केवल यही वो आधार होगा जिसके आधार पर तिब्बत और निर्वासन दोनों में रहने वाले तिब्बतियों के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय समुदाय के पूरे लोग उनके पुनर्जन्म को मान्यता देने के अपने अधिकार का इस्तेमाल करेंगे…बल्कि उसके लिये वही प्रणाली अपनाई जानी चाहिये जो पहले से चली आ रही है…
संसद ने कहा कि हम उस दिन को याद करते हैं जब 1959 में कम्युनिस्ट चीनी सरकार ने तिब्बत की राजधानी ल्हासा में क्रूर सशस्त्र दमन किया था । यह चीन की साजिशों की लंबी फहरिस्त का एक हिस्सा था जिसमें दलाई लामा के जीवन को लेकर भी एक बहुत बड़ी गहरी साजिश थी…जो कि नाकाम रही…और ये वो स्थिति थी जो तिब्बती लोगों के लिए सहन करना असंभव था।
प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि चीन तथाकथित तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में उनके डीएनए के नमूनों को एकत्रित करने का सक्रिय तौर पर प्रयास कर रहा है… कुछ शोधकर्ताओं के अनुसार, चीन लगभग 2013 से इस काम को स्पष्ट रूप से अंजाम दे रहा है। वहीं उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन ह्यूमन राइट्स वॉच की एक रिपोर्ट के मुताबित पांच साल से कम उम्र के तिब्बती बच्चों के डीएनए नमूने इकट्ठे किए जा रहे हैं।
निर्वासित तिब्बती संसद ने यहां इस बात का भी जिक्र करते हुये कहा कि ‘वो इस अवसर पर तिब्बत और निर्वासित दोनों जगहों पर तिब्बती लोगों की ओर से भारत की सरकार और लोगों का आभार व्यक्त करता हूं जिन्होंने हमें पुनर्वास और सहायता की सभी सुविधाएं प्रदान की हैं।