टीबी उन्मूलन में पंचायतों की महत्वपूर्ण भूमिका, टीबी रोगियों के अनाथों को दी गई 150 संवेदनशीलता किट 

राज्यपाल ने उपायुक्त कार्यालय से टीबी जागरूकता रथ को हरी झंडी दिखाकर किया रवाना

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राज्यपाल ने उपायुक्त कार्यालय से टीबी जागरूकता रथ को हरी झंडी दिखाकर किया रवाना
आदर्श हिमाचल ब्यूरो
शिमला। राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने राज्य में तपेदिक (टीबी) उन्मूलन के लिए बहु-क्षेत्रीय भागीदारी पर जोर दिया है। वे  धर्मशाला में इस संबंध में आयोजित कार्यशाला की अध्यक्षता कर रहे थे. उन्होंने कहा कि हालांकि राज्य में इस बीमारी के प्रति लोगों में पर्याप्त जागरूकता है, लेकिन हिमाचल को वर्ष 2024 तक टीबी मुक्त राज्य बनाने के लिए और अधिक जागरूकता की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि टीबी से पीड़ित मरीजों की पहचान करने और साथ ही उनका इलाज सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी पंचायतों को लेनी चाहिए, जिसके निश्चित रूप से वांछित परिणाम सामने आएंगे। रोगों को दूर करने के लिए दृढ़ इच्छा शक्ति होनी चाहिए जो अपने आप में सर्वोत्तम चिकित्सा है। आगे चलकर इस बीमारी को समाज से पूरी तरह से खत्म करने में जनभागीदारी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। उन्होंने कहा कि चूंकि भारत कोविड महामारी से बाहर आ चुका है और टीबी इतनी बड़ी बीमारी नहीं है जिस पर काबू न पाया जा सके।
राज्यपाल ने कांगड़ा जिले में निक्षय मित्र द्वारा टीबी रोगियों को गोद लेने के अभियान की सराहना की और आशा व्यक्त की कि वे उन्हें अपने परिवार के सदस्यों के रूप में मानेंगे और उनके प्रति सहानुभूति रखेंगे।
उन्होंने ने प्रदेश में व्याप्त नशाखोरी पर चिंता जताते हुए कहा कि हमें मिलकर इस सामाजिक कुरीति से लड़ना है।
उन्होंने मरीजों को फूड बास्केट और सेंसिटिविटी किट भी बांटे। इससे पूर्व राज्यपाल ने उपायुक्त कार्यालय से टीबी जागरूकता रथ को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया और स्वास्थ्य विभाग द्वारा लगाई गई प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया।
इससेक्त कांगड़ा निपुन जिंदल ने टीबी रोगियों को दी जा रही सुविधाओं के साथ-साथ मरीजों को उपचार की सुविधाओं के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि जिला रेडक्रॉस सोसायटी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है और अब तक लगभग तीन हजार निक्षय किट टीबी रोगियों को वितरित की जा चुकी है और इसके अलावा टीबी रोगियों के अनाथों को 150 संवेदनशीलता किट भी प्रदान की गई हैं।
टीबी अधिकारी डॉ. आरके सूद ने राज्य से टीबी उन्मूलन के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण पहल और रणनीतियों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि जिले में 311 निक्षय मित्र हैं और उन्होंने क्षेत्र में 1089 टीबी रोगियों को गोद लिया है।