विशेष जानकारी
भगवान विष्णु के पांचवें अवतार वामन देव को समर्पित वामन द्वादशी हिंदू धर्म के लिए एक महत्वपूर्ण पर्व है। इस दिन भगवान विष्णु के वामन स्वरूप की उपासना करना जातक को मनोवांछित फल प्रदान करता है।
चलिए जानते हैं वामन द्वादशी के बारे में
1. वामन द्वादशी कब है ?
2. वामन द्वादशी कैसे मनाई जाती है।
3. वामन द्वादशी व्रत का महत्व।
4. वामन द्वादशी से जुड़ी पौराणिक कथा।
5. वामन अवतार और बलि प्रसंग।
6. वामन द्वादशी के दिन अवश्य करें ये उपाय
. वामन द्वादशी कब है
साल 2023 में वामन द्वादशी चैत्र मास के शुक्ल पक्ष में मनाई जाएगी। इसके अनुसार ये पर्व 2 अप्रैल, रविवार को पड़ रहा है। आपको बता दें कि वामन द्वादशी चैत्र शुक्ल पक्ष के साथ-साथ भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी को भी मनाई जाती है।
वामन द्वादशी कैसे मनाई जाती है?
वामन द्वादशी के अवसर पर मंदिरों में विशेष पूजा अर्चना की जाती है। इस दिन भगवान विष्णु के वामन अवतार का ध्यान किया जाता है एवं उनकी लीलाओं का पाठ या श्रवण किया जाता है। इस दिन भगवान वामन की कथा भी सुनी जाती है। इस पर्व पर वामन देव का पंचोपचार या षोडषोपचार पूजन किया जाता है। इसके पश्चात् इस दिन चावल, दही आदि वस्तुओं का दान करना बेहद पुण्यकारी माना गया है। वामन द्वादशी का व्रत रखने वाले जातक को संध्या के समय भगवान वामन का विधि विधान से पूजन करना चाहिए । भगवान वामन को लगे भोग का प्रसाद कुटुंब के सभी लोगों को अवश्य ग्रहण करना चाहिए। इससे उनकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होंगी।
वामन द्वादशी व्रत का महत्व
वामन द्वादशी का व्रत जातक के शत्रुओं का नाश करने वाला होता है। ऐसा माना जाता है कि यदि इस दिन श्रावण नक्षत्र हो, तो इस व्रत का महत्व कई गुना अधिक हो जाता है। भक्तों को इस दिन उपवास रखकर भगवान वामन की स्वर्ण प्रतिमा बनवा कर पंचोपचार करना चाहिए, और विधि-विधान से भगवान विष्णु के इस स्वरूप का पूजन करना चाहिए। इस व्रत के फलस्वरूप श्री हर अपने भक्तों को जीवन में संपूर्ण सुख व वैभव प्रदान करते हैं, और मरणोपरांत अपने निज धाम वैकुंठ धाम जाने का वरदान देते हैं।
वामन द्वादशी से जुड़ी पौराणिक कथा
श्रीमद्भागवत पुराण में वर्णित वामन अवतार से जुड़ी एक कथा के अनुसार जब देव दैत्यों से युद्ध में पराजित होने लगते हैं, और दैत्य अमरावती पर आक्रमण करते हैं, उस समय देवराज इंद्र भगवान विष्णु से सहायता की विनती करते हैं। विष्णु जी इंद्र को सहायता करने का वचन देते हैं एवं कहते हैं कि असुरों का विनाश करने के लिए वो माता अदिति के गर्भ से वामन रूप में जन्म लेंगे। इंद्र को दिए गए वचन के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को भगवान विष्णु, ऋषि कश्यप की पत्नी अदिति के गर्भ से वामन अवतार में जन्म लेते हैं।
. वामन अवतार और बलि प्रसंग
भगवान वामन के उपनयन संस्कार से भी जुड़ी एक कथा प्रचलित है, इसके अनुसार जब कश्यप ऋषि उनका उपनयन संस्कार करते हैं, तो उस समय महर्षि पुलह ने यज्ञोपवीत, मरीचि ने पलाश दण्ड, अगस्त्य ने मृगचर्म, सूर्य ने छत्र, आंगिरस ने वस्त्र, भृगु ने खड़ाऊं, अदिति ने कोपीन, सरस्वती ने रुद्राक्ष माला एवं कुबेर ने वामन देव को भिक्षा पात्र भेंट किया। इसके पश्चात् भगवान वामन पिता से अनुमति लेकर राजा बलि के पास पहुंचे, जो उस समय नर्मदा नदी के उत्तर तट पर अंतिम अश्वमेध यज्ञ कर रहे थे।
वामन देव ने ब्राह्मण का वेश धारण कर राजा बलि से भिक्षा मांगी। उन्होंने भिक्षा में तीन पग भूमि की मांग की। इस पर राजा बलि ने बिना अधिक विचार किए वामन देव को तीन पग भूमि दान में देने का वचन दे दिया। इसके पश्चात भगवान वामन ने एक पग में स्वर्ग, व दूसरे पग में पृथ्वी को नाप लिया, और अभी भी तीसरा प रखना शेष था। यह देखकर राजा बलि अत्यंत आश्चर्यचकित हुए, किंतु वो अपने वचन पर अडिग रहे। ऐसे में उन्होंने भगवान के आगे अपना सिर रख दिया। भगवान वामन ने जैसे ही राजा के सिर पर अपना पग रखा, वैसे ही वो परलोक सिधार गए। राजा बलि की वचनबद्धता को देखकर भगवान वामन अत्यंत प्रसन्न हुए, और उन्हें पाताल लोक का स्वामी बना दिया। इसके अलावा उन्होंने देवताओं की सहायता कर उन्हें पुनः स्वर्ग पर अधिकार दिलाया।
. वामन द्वादशी के दिन अवश्य करें ये उपाय
वामन द्वादशी के अवसर पर भगवान वामन को शहद का भोग अर्पित करें, और प्रतिदिन इसका सेवन करें। कहते हैं कि इस शहद का सेवन करने से मनुष्य को असाध्य रोगों से मुक्ति मिलती है, और जीवन पर्यंत निरोगी रहने का वरदान प्राप्त होता है।
यदि आप गृह क्लेश से परेशान हैं, या फिर नकारात्मक ऊर्जा से ग्रसित हैं तो इससे छुटकारा पाने के लिए वामन द्वादशी के दिन भगवान वामन के समक्ष कांसे के पात्र में घी का दीप प्रज्जवलित करें।
व्यापार या नौकरी में सफलता प्राप्त करने के लिए वामन देव को नारियल पर यज्ञोपवीत लपेटकर चढ़ाएं। ऐसा करने से शीघ्र ही आपको व्यावसायिक क्षेत्र में सफलता प्राप्त होगी।
तो भक्तों, ये थी वामन द्वादशी से जुड़ी संपूर्ण जानकारी। हमारी कामना है कि आपका ये व्रत सफल हो, और श्री हरि की कृपा आजीवन आप पर बनी रहे।