आदर्श हिमाचल ब्यूरो
आनी/कुल्लू। हाल ही में आनी में सरल संस्कृत सम्भाषण वर्ग के बाद अब संस्कृत बालकेन्द्र शुरू हुआ । संस्कृत बालकेन्द्र में प्राथमिक स्तर के बच्चों समेत नर्सरी केजी के बच्चे खेल खेल में संस्कृत सीख रहे हैं । आनी स्थित राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय कक्षा +2 में शास्त्री पद पर सेवारत अध्यापक हीरालाल शर्मा (कमल) ने बताया कि आने वाले समय में आनी क्षेत्र में भी संस्कृतमय वातावर्ण बने. इस दिशा में राजकीय-कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय आनी द्वारा निरन्तर प्रयास किए जा रहे हैं।
उन्होंने बताया कि अपनी संस्कृति और भारतीय परम्पराओं को जीवित रखने के लिए आज आवश्यकता है संस्कृत भाषा को संरक्षण प्रदान करने की । आज युवा पीढ़ी कहीं न कहीं अपनी संस्कृति से दरकिनार होती नजर आती है। ऐसे में युवा पीढी को संस्कृत अध्यापन के माध्यम से भी सही दिशा दी जा सकती है। अध्यापक हीरा लाल ने कहा कि संस्कृत भाषा में वह सामर्थ्य है जो भटके हुए को भी रास्ता दिखा सकती है।
संस्कृत ज्ञान के साथ साथ संस्कारों का भी भण्डार है और वर्तमान में हर व्यक्ति को इस भण्डार की आवश्यकता है और यह आवश्यकता संस्कृत का अध्ययन कर दैनिक जीवन में प्रयोग करने से अवश्य पूरी हो सकती है। उन्होंने कहा कि इस ओर सरकार भी अहम फैसले ले रही है । वह संस्कृत को द्वितीया राज भाषा बनाने का हो या तृतीय कक्षा से संस्कृत विषय को अनिवार्य करने का हो।