पदमश्री नेकराम ने दिया लोगों को नौ अनाज खेती का मंत्र

 बोले.... मोटे अनाज को प्रयोग में लाने से खत्म होगी अस्पतालों की भीड़

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पदमश्री नेकराम ने दिया लोगों को नौ अनाज खेती का मंत्र
पदमश्री नेकराम ने दिया लोगों को नौ अनाज खेती का मंत्र
आदर्श हिमाचल ब्यूरो 
शिमला। हिमाचल मिटेल ग्रुप की ओर से आयोजित वर्चुअल बैठक आयोजित की गई। बैठक में अनेक क्षेत्रों से जुड़े लोगों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ डी.के.सदाना ने की।

बैठक में हिमाचल के करसोग से संबंध रखने वाले पदमश्री नेकराम शर्मा ने लोगों को 9 अनाज उगाने का मंत्र दिया। उन्होंने कहा कि किसानों को प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए आगे आना होगा। इससे हमारी सेहत भी सही रहेगी। साथ ही अस्पतालों में लगने वाली भीड़ भी कम होगी। 

उन्होंने कहा कि पहले के समय में बाथू, कौणी, चीणा, औगला, थापरा, तिल, अलसी की खेती करते थे, जिससे लोगों की बीमारी भी दूर भागती थी। उन्होंने हिमाचल के पूर्व राज्यपाल आचार्य देवव्रत की मुख्य रूप से तारीफ की, जिन्होंने हिमाचल में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया।
बैठक में मुख्य रूप से डॉ. डीके सदाना, डॉ. सुवर्चा चौहान, वैद्य राजेश कपूर, डॉ. पीके लाल, अनूप कुमार, राकेश ठाकुर, सोम कृष्ण, रामलोक, जगजीत जंडू, वैद्य हेमंत शर्मा, ललित शर्मा, रीना कुमारी, डॉ रविंद्र कौंडल, देवेंद्र चौहान, ललित कालिया, पदमश्री नेकराम, विमला, पंकज राणा, बंसीलाल, सुखदेव, पवन कुमार आदि लोगों ने मुख्य रूप से बैठक में हिस्सा लिया और अपने विचार रखे।

बैठक में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से सेवानिवृत हुईं डॉ. सुवर्चा चौहान ने कहा कि मोटे अनाज की खेती करने से सभी बीमारी ठीक होती है। उन्होंने यह बदलाव अपने अंदर महसूस किया है। केरल से मुख्य रूप से बैठक में जुड़े पीके लाल ने कहा कि इस तरह की खेती को मुख्य रूप से बढ़ावा दिया जाना चाहिए। केरल के कुछ शहरों में वे इस तरह का प्रचार पहले ही कर रहे हैं। लोग इस तरफ रुचि भी ले रहे हैं।

सोलन से वैद्य राजेश कपूर ने कहा कि मोटे अनाज जैसे बाजरे में अधिक मात्रा में फाइबर और ट्रिप्टोफैन (एमिनो एसिड) पाया जाता है। जब मुख्य भोजन में मिलेट का सेवन करते हैं तो फाइबर और ट्रिप्टोफैन के कारण वह धीमी गति से पचता है। इसके कारण पेट लम्बे समय तक भरा हुआ महसूस होता है, जिससे ज्यादा खाने से बच जाते हैं और मोटापा या वजन घटाने में मदद मिलती है।

मंडी से जुड़ी बिमला कुमारी ने कहा कि पारंपरिक बीजों के बारे में वे लोगों के अंदर जागरूकता लाने का कार्य कर रही हैं। इसके लिए उन्होंने गांवों में अनेक ग्रुप बनाए हैं जो समय समय पर लोगों को इसकी जानकारी भी दे रहे है।

चंबा से अनूप कुमार ने कहा कि वे स्वंयसेवी संस्थाओं की मदद से इस कार्य में लगे हैं। साथ ही लोगों में प्राकृतिक खेती की अलख भी जगा रहे हैं। मंडी जिला के करसोग क्षेत्र से संबंधित कला चौहान ने कहा कि उन्होंने करीब 3 बीघा क्षेत्र में प्राकृतिक खेती शुरू की है। वे लोगों को बीज बचाओ खेती बचाओ अभियान में जुटे हैं। इसके लिए क्षेत्र में 60 ग्रुप भी बने हैं, जो यह कार्य कर भी रहे हैं।