शिमला के ऊपरी क्षेत्र में 102 व 108 एंबुलेंस सेवा बने मौत के सौदागर

सेवा में लगे एंबुलेंस में न तो सही टायर है और न ही डोर हेंडल, मुरम्मत के नाम पर दौड़ाये जा रहे हैं खाली कागजी घोड़े

लोगों ने इस सेवाओं को गहराई से जाँच कर जल्द दुरस्त करने की सरकार से उठाई है मांग

 

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आदर्श हिमाचल ब्यूरो 

 

शिमला। हिमाचल प्रदेश  में 102 एवं  108 एंबुलेंस सेवा के माध्यम से लोगों को बेहतर एवं जल्द स्वास्थ्य सुविधाएं देने का सरकार द्वारा  प्रयास किया जा रहा है। बाकायदा सरकार की ओर से इस सेवा में लगे वाहनों की समय -समय पर जांच हो  कमेटियां  बनाने के संबंधित क्षेत्र के स्वास्थ्य संस्थानों को निर्देश दिए है। चेक लिस्ट बनाकर दर्शाया गया हैकि किन बातो को ध्यान में रखकर जाँच करनी है।  लोगो का आरोप हैकि संबंधित क्षेत्र के स्वास्थ्य संस्थानों एवं  एंबुलेंस सेवा संचालक संस्था की जुगलबंदी के चलते वाहनों  की मरम्मत पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। जिससे मरीज को आपात स्थिति में जान जोखिम में डालकर इन सेवाओं में लगे वाहनों में सफर करना पड़ रहा है।

 

इन वाहनों में सेवाएं दे रहे हैं पायलट व अन्य स्टाफ भी  वाहनों की कंडम हालत को देखते हुए  रोगी को बचाने के लिए मजबूरन सेवाएं दे रहे हैं। सेवाओं में लगे कर्मचारियों को अगर  मुंह खोलते हैं तो उन्हें नौकरी से निकाले  जाने का खतरा लगातार बना  रहता है। वे वाहनों के मुरमत के नाम पर बनाये जा रहे फर्जी बिलो का खुलासा भी रोजगार छिन्जाने के नाम पर नहीं कर सकते। लोगों ने  सरकार से मांग की हैकि तुरंत नेशनल रूरल हेल्थ मिशन के निर्देशक को निर्देश दे कर ऐसे वाहनों की सूची बनाई जाए और और संस्था को दिए  जाने वाले भुगतान को भी तुरंत रोका जाए। ताकि सेवाएं जवाब देने के सरकारी प्रयासों को जमीन पर उतारा  जाए।

 

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समाज सेवी  पवन नेगी पहाड़ियों ने बताया कि जो 102 एवं 10 स्वास्थ्य सेवाओं में एनजीओ के माध्यम से एम्बुलेंसीज हिमाचल  में चल रही है। यह सरासर मरीजों के जीवन से खिलवाड़ कर रहे है। इन गाड़ियों में टायरों में धागे निकल चुके हैं ,फिर भी लंबी दूरी तक मरीजों को लेकर जा रहे हैं।   इन  एम्बुलेंस गाड़ियों के छोटे से  छोटे मुरम्मत से जुड़े काम  भी नहीं  हो रहे है। गाड़ियों में डोर  हेंडल तक  टूट चुके है , स्टेचर जाम है, फरंट ग्लास भी कई गाड़ियों के टूटे है ।  ऐसे भी गाड़ियां हैं  जो एक-एक साल से पास ही नहीं हुई है। और अस्थाई नंबर पर चल रही है। अगर भविष्य में कोई दुर्घटना हो जाती है तो   कौन जिम्मेदार होगा।

शाहधार पंचायत के पूर्व उपप्रधान  रूप सिंह ने बताया कि अस्पताल में  उन्हें एंबुलेंस की आवश्यकता पड़ी ,जब एंबुलेंस को देखा तो कोई एंबुलेंस धक्का स्टार्ट   है तो  कुछ के  डोर  खोलने के लिए हैंडल भी नहीं है।  रामपुर में 108 और 102 एंबुलेंस सेवा की स्थिति  अत्यंत नाजुक हो गई है।  एक गाड़ी ऐसी भी है जो 1 साल से पास ही नहीं हुई है। एम्बुलेंस के टायरों से दागे निकल रहे है लेकिन फिर भी चलाया जा रहा है। स्वास्थ्य संस्थानों की ओर से भी इन की निर्देशानुसार जाँच नहीं की जा रही है। वे सरकार से मांग करते हैं कि जल्द से जल्द  इस पर कार्रवाई करें।

खंड चिकित्सा अधिकारी  रामपुर आर  के नेगी ने बताया कि 102 ए 108 की जो शिकायत आ रही है, इसके बारे में  सुनिश्चित करेंगे कि हर महीने उनकी जांच सही तरीके से हो और चेकलिस्ट  के हिसाब से  औपचारिकताएं होनी चाहिए। वह  यह सुनिश्चित करेंगे की एम्बुलेंस में टायर एवं मुरम्मत समय समय पर हो ताकि मरीजों के जीवन से खिलवाड़ न हो सरकार का प्रयास है की दूर दराज तक लोगो को बेहतर और जवाबदेही सेवाएं मिले।