महाविद्यालयों की संयुक्त पहल | 50+ अंतरराष्ट्रीय–राष्ट्रीय वक्ता | 7-दिवसीय कार्यशाला + 3-दिवसीय सम्मेलन

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आदर्श हिमाचल ब्यूरों

शिमला । हिमाचल प्रदेश की उच्च शिक्षा प्रणाली में 2025 का वर्ष एक ऐतिहासिक अध्याय के रूप में दर्ज होगा, जहां राज्य के सात प्रमुख सरकारी महाविद्यालयों—राजकीय महाविद्यालय नेरवा, जीडीसी चौपाल, जीडीसी कंडाघाट, जीडीसी निरमंड, जीडीसी संगड़ाह, ठाकुर पीजी कॉलेज ऑफ एजुकेशन धलियारा और केडीसी जीडीसी ज्वालामुखी/जैसिंहपुर—द्वारा 10-दिवसीय प्री-कॉन्फ्रेंस + इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस सीरीज़ 2025 का सफल आयोजन किया गया।

 

कार्यक्रम को हिमालयन राइज़ MSME (पंजीकृत) तथा हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला के मनोविज्ञान विभाग के तकनीकी सहयोग से सम्पन्न किया गया। इस आयोजन में 50 से अधिक अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय वक्ताओं ने भाग लिया, हजारों छात्रों ने ऑनलाइन और ऑफलाइन माध्यम से जुड़कर वैश्विक शिक्षा एवं नवाचार का प्रत्यक्ष अनुभव प्राप्त किया।

 

भाग–1 : प्री-कॉन्फ्रेंस इंटरनेशनल वर्कशॉप 2025 (7 दिन)

“सीख बिना सीमा, नवाचार बिना रुकावट और शिक्षा बिना भेदभाव के”— इसी संदेश के साथ कार्यशाला का समापन हुआ

प्री-कॉन्फ्रेंस वर्कशॉप 2025 का नेतृत्व मुख्य समन्वयक डॉ. बी. एस. चौहान ने किया, जिन्होंने प्रत्येक सत्र में विद्यार्थियों को डिजिटल साक्षरता, साइबर मनोविज्ञान, अंतरराष्ट्रीय शोध, जनरेशन-अल्फ़ा की मानसिकता, वैश्विक रोजगार, उद्यमिता और सांस्कृतिक समझ से परिचित करवाया।

प्रथम दिवस – वैश्विक तकनीक और साइबर मनोविज्ञान

प्रो. (डॉ.) अतुल ठाकुर, NUIST चाइना: AI और वैश्विक शोध नेटवर्क

डॉ. एपरना वोल्लुरू, इटली: न्यूरो–टेक्नोलॉजी और मानव-मशीन इंटरफेस

प्रो. (डॉ.) राकेश क्रिप्लानी, नागपुर: साइबर सुरक्षा, डिजिटल व्यवहार, और भावनात्मक संतुलन

दूसरा दिवस – मीडिया, शासन और अर्थव्यवस्था

डॉ. सुरेंद्र सिंह: भारत की बदलती अर्थव्यवस्था और युवाओं के अवसर

डॉ. पवन शर्मा, संसद टीवी: मीडिया सत्यापन और डिजिटल पत्रकारिता

डॉ. लभ सिंह, पूर्व सलाहकार, GOI: 5G, साइबर सिक्योरिटी और टेलीकॉम करियर

तीसरा दिवस – युवा नेतृत्व, वित्त साक्षरता और वैश्विक नौकरियाँ

श्रेया शर्मा, छात्रा व युवा प्रेरक: टॉपर की रणनीतियाँ

डॉ. राजन देवी नेगी: वित्तीय प्रबंधन, बैंकिंग, निवेश

दिल्लीप आचार्य, अफ्रीका विशेषज्ञ: अफ्रीकी देशों में नौकरी बाजार

लाइजा सरकार, एचपीयू: पूर्वोत्तर भारत की संस्कृति

चौथा दिवस – संस्कृति, खेल, उद्यमिता और वैज्ञानिक शोध

निष्ठा शर्मा: राजस्थान की कला व लोक संस्कृति

प्रियंका भारद्वाज: घुड़सवारी और टेंट पेगिंग

संगीता मेहता, CSCA: जीवन संघर्ष एवं नेतृत्व की प्रेरणा

डॉ. हिमेश शर्मा: ग्रामीण उद्यमिता

डॉ. पवन कुमार, HFRI: हिमालयी पारिस्थितिकी और अनुसंधान

पाँचवाँ दिवस – भारत–जर्मनी ज्ञान आदान-प्रदान

अंकिता, GISMA जर्मनी: वैश्विक exposure

एम. नवीन साहू: AI जीनोमिक्स और डिजिटल स्वास्थ्य

डॉ. शालू सेहगल: इनोवेशन और research frontiers

डॉ. तुलिका मेहता: स्टार्टअप इकोसिस्टम

डॉ. पीटर गसेलर, जर्मनी: स्वास्थ्य और शिक्षा प्रणाली

छठा दिवस – नेतृत्व, फिनटेक, पर्यटन और वैश्विक दृष्टि

अंचल धर्माइक, CSCA: संघर्ष से सफलता तक

डॉ. शालू सेहगल: फिनटेक और डिजिटल वित्त

डॉ. गसेलर: महिला सशक्तिकरण और childcare

शलभ तंवर: हिमालयी पर्यटन

• सातवाँ दिवस – मनोविज्ञान, दीर्घायु विज्ञान और वस्त्र-इंजीनियरिंग

मुस्कान भट: जेन-अल्फ़ा mindset

डॉ. नवीन साहू और अभिनेता अभिनव सरदार: longevity science

प्रो. विवेक शर्मा और टीम: स्मार्ट फैब्रिक और रक्षा वस्त्र तकनीक

भाग–2 : अंतरराष्ट्रीय बहुविषयी सम्मेलन 2025 (16–18 नवंबर)

तीन दिनों का अकादमिक उत्सव: विज्ञान, समाज, संस्कृति और तकनीक का अद्भुत संगम

पहला दिन : 16 नवंबर 2025 — GDC कंडाघाट में भव्य उद्घाटन

मुख्य अतिथि डॉ. लभ सिंह द्वारा दीप प्रज्ज्वलन से कार्यक्रम का आरंभ हुआ।
डॉ. मदन मंकॉटिया ने स्वागत करते हुए कहा कि यह सम्मेलन ग्रामीण–पर्वतीय क्षेत्रों के युवाओं को विश्वस्तरीय exposure दिलाने का माध्यम बनेगा।

इस दिन डॉ. बी. एस. चौहान, डॉ. जितेन्द्र कुमार, डॉ. वाधवा, डॉ. बनियाल, डॉ. पवन राणा सहित विशेषज्ञों ने विभिन्न विषयों पर प्रभावशाली व्याख्यान दिए।

अंत में “Inborn Talents” पर विशेष कार्यशाला और पुरस्कार वितरण कार्यक्रम हुआ।

दूसरा दिन : 17 नवंबर 2025 — GC Nerwa में तकनीकी सत्र एवं अंतरराष्ट्रीय निबंध प्रतियोगिता

डॉ. एच. एल. शर्मा ने उद्घाटन वक्तव्य देते हुए कहा –
“Global Knowledge + Local Innovation = भविष्य का सशक्त हिमाचल”

प्रमुख वक्ता:

डॉ. पवन राणा — कीटनाशकों का पर्यावरण व स्वास्थ्य पर प्रभाव

डॉ. कृष्ण लाल — जीवनशैली विकार एवं तनाव प्रबंधन

शोध प्रस्तुति सत्र:

हिमाचल के विभिन्न महाविद्यालयों के शोधकर्ताओं ने AI, ग्रीन एनर्जी, शिक्षा प्रबंधन, डिजिटल हेल्थ व समाज विज्ञान पर अपने शोध प्रस्तुत किए।

विशेष संबोधन:

कर्नल (डॉ.) सुभाष चंद्र ने “ऊर्जा एवं ब्रह्मांड” विषय पर अत्यंत प्रेरक चर्चा की।

तीसरा दिन : 18 नवंबर 2025 — समापन समारोह + दो विशेष कार्यशालाएँ

समापन सत्र का संचालन GC Nerwa द्वारा किया गया।
डॉ. विकास सुमन ने विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की।
छात्रों व शिक्षकों ने फीडबैक देते हुए बताया कि यह कार्यक्रम उनके जीवन की “टर्निंग प्वाइंट लर्निंग” रहा।

कुलपति प्रो. (डॉ.) महावीर सिंह का विशेष संबोधन

समापन समारोह में मुख्य अतिथि प्रो. (डॉ.) महावीर सिंह, कुलपति, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला, ने कहा कि आधुनिक भारत का भविष्य बहुविषयक शिक्षा, कौशल-आधारित शिक्षण, डिजिटल दक्षता, अनुसंधान संस्कृति पर आधारित होगा।

उन्होंने आयोजन में शामिल सभी महाविद्यालयों के छात्रों और नेरवा क्षेत्र के स्थानीय विद्यालयों के विद्यार्थियों को विशेष रूप से HPU के नवस्थापित ज्ञान केंद्रों का भ्रमण करने हेतु आमंत्रित किया:

AI & Data Science

Green Energy Innovation Center

Disaster Management Center

Art, Culture & Heritage Study Center

Indian Knowledge System (IKS) Center

उन्होंने सभी महाविद्यालयों के HODs से अनुरोध किया कि वे विश्वविद्यालय के निदेशकों से संपर्क स्थापित कर विशेष विज़िट, प्रशिक्षण, कार्यशालाएँ और इंटर्नशिप सुनिश्चित करें।
उन्होंने कहा कि “गांवों और पहाड़ों के बच्चे यदि सही दिशा पाएं तो वे विश्व को नई दिशा दे सकते हैं।”

विशेष कार्यशाला – 1

अपस्किलिंग एवं भविष्य की क्षमताएँ – डॉ. बी. एस. चौहान**

यह सत्र सम्मेलन की प्रमुख उपलब्धियों में से एक रहा।
डॉ. चौहान ने विद्यार्थियों को Future Readiness Index, Career Competency Matrix और Personal Talent Graph के द्वारा यह दिखाया कि कैसे वे अपने भीतर छिपी प्रतिभाओं की पहचान कर सकते हैं।
सत्र में AI, डिजिटल रिसर्च, साइबर साइकॉलजी, नेतृत्व कौशल, संचार दक्षता, भावनात्मक बुद्धिमत्ता (EQ) और समस्या-समाधान (Problem Solving) के व्यावहारिक मॉडल सिखाए गए।
उन्होंने कहा कि डिजिटल युग “सीखने की गति” को तय कर रहा है और ग्रामीण व पर्वतीय क्षेत्र के छात्र भी सही मार्गदर्शन के साथ विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बन सकते हैं।

विशेष कार्यशाला – 2

ब्रेन पावर और न्यूरो–दक्षता – डॉ. जितेन्द्र कुमार**

इस कार्यशाला में छात्रों को बताया गया कि मस्तिष्क की पाँच तरंगें—डेल्टा, थीटा, अल्फा, बीटा और गामा—हमारी स्मरण शक्ति, ध्यान, सीखने की क्षमता और भावनाओं के नियमन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
डॉ. जितेन्द्र ने Brain Clock Method, Focus Cycle, Neuro Boost Exercises, Cognitive Mapping और Emotional Detox Meditation जैसी तकनीकों का लाइव प्रदर्शन किया।

उन्होंने कहा कि अच्छी नींद, पौष्टिक आहार, डिजिटल अनुशासन और योग–ध्यान से मस्तिष्क को कई गुना अधिक कार्यक्षम बनाया जा सकता है।
छात्रों ने बताया कि यह कार्यशाला उनके लिए “जीवन-रूपांतरण अनुभव” साबित हुई।

स्कूलों और महाविद्यालयों की भागीदारी

उत्कृष्ट GSSS नेरवा, हिमालयन पब्लिक स्कूल, एसडी पब्लिक स्कूल, जाखू पब्लिक स्कूल, हिमाद्री पब्लिक स्कूल, नेरवा पब्लिक स्कूल के छात्रों और शिक्षकों ने सक्रिय भागीदारी की।
सत्र में प्रो. रविंद्र जग्गी, श्री दिनेश स्टाटा और कई छात्रों ने अपने अनुभव साझा किए।

अंतिम संदेश

10-दिवसीय यह आयोजन हिमाचल प्रदेश की उच्च शिक्षा में समन्वय, अनुसंधान, नवाचार और वैश्विक दृष्टि का नया अध्याय बनकर उभरा।

यह साबित करता है कि—
“हिमाचल के युवा केवल भारत का नहीं, विश्व का भविष्य लिखने की क्षमता रखते हैं।”