अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, बिलासपुर में चिकित्सा छात्रों एवं कर्मचारियों के लिए नशा-विरोधी जागरूकता कार्यक्रम आयोजित

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आदर्श हिमाचल ब्यूरों 

बिलासपुर । अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, बिलासपुर (हिमाचल प्रदेश) में आज नशीले पदार्थों (विशेषकर चिट्टा) के दुरुपयोग के विरुद्ध संस्थान के चिकित्सा छात्रों एवं कर्मचारियों को जागरूक करने के उद्देश्य से एक विशेष जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन संस्थान के सभागार में किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य भावी चिकित्सकों एवं स्वास्थ्यकर्मियों में नशा-मुक्त जीवनशैली को प्रोत्साहित करना तथा समाज में नशा-विरोधी संदेश को सुदृढ़ करना था।

 

कार्यक्रम में अतिथि वक्ता के रूप में श्री अशोक तिवारी, पुलिस महानिदेशक, हिमाचल प्रदेश तथा डॉ. आकृति शर्मा, भारतीय पुलिस सेवा, कमांडेंट, प्रथम भारतीय रिज़र्व बटालियन, बंगराह, जिला ऊना, हिमाचल प्रदेश उपस्थित रहे।

 

कार्यक्रम के प्रारंभ में संस्थान के कार्यकारी निदेशक, लेफ्टिनेंट जनरल (डॉ.) दलजीत सिंह (सेवानिवृत्त) द्वारा दोनों अतिथि वक्ताओं को पारंपरिक हिमाचली शॉल, टोपी एवं स्मृति-चिह्न भेंट कर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर अपने स्वागत एवं धन्यवाद संबोधन में कार्यकारी निदेशक महोदय ने कहा कि अत्यंत व्यस्त कार्यसूची के बावजूद माननीय अतिथियों का एम्स बिलासपुर पधारकर प्रशिक्षु चिकित्सा छात्रों एवं संस्थान के कर्मचारियों को नशे के दुष्प्रभावों के प्रति जागरूक करना सराहनीय एवं प्रेरणादायी है। उन्होंने इसके लिए संस्थान की ओर से दोनों गणमान्य अतिथियों के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त किया।

 

अपने संबोधन में  पुलिस महानिदेशक, हिमाचल प्रदेश ने चिट्टा जैसे घातक नशीले पदार्थों के कारण समाज में उत्पन्न हो रही गंभीर चुनौतियों पर प्रकाश डालते हुए युवाओं से नशे से दूर रहने का आह्वान किया।  तिवारी ने प्रशिक्षु छात्रों से चिकित्सा क्षेत्र में अपेक्षित संवेदनशीलता की आवश्यकता और महत्ता पर बल देते हुए यह आह्वन भी किया कि एक चिकित्सक का पेशा चुनौतीपूर्ण और कठिनाइयों से भरा है और वह अपनी व्यक्तिगत मनोस्थिति और समस्याओं के बावजूद मरीजों के उपचार में तन्मयता से लगा रहता है। अतः आप भी प्यार और संवेदनशीलता से इस पेशे की महत्ता को बरकरार रखें और देश के विकास में अपना योगदान दें। वहीं, डॉ. आकृति शर्मा, ने चिकित्सा छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि भावी चिकित्सक होने के नाते उनसे समाज में अनुकरणीय, जिम्मेदार एवं संवेदनशील आचरण की अपेक्षा की जाती है तथा नशे के विरुद्ध जागरूकता फैलाने में उनकी भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है।

 

 

कार्यकारी निदेशक ने अपने वक्तव्य में यह भी स्पष्ट किया कि समाज से नशा रूपी इस बुराई को जड़ से समाप्त करने के लिए एम्स बिलासपुर पूरी दृढ़ता के साथ इस संघर्ष में खड़ा है तथा भविष्य में भी इस प्रकार के जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से नशा-मुक्त समाज के निर्माण हेतु निरंतर प्रयास करता रहेगा।

 

 

उक्त कार्यक्रम में संस्थान के सभी वरिष्ठ अधिकारी, अधिष्ठाता (शैक्षणिक) डॉ. रूपाली पारलेवार, कुलसचिव, संकाय सदस्य, चिकित्सक, नर्सिंग अधिकारी एवं बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएँ उपस्थित रहे। कार्यक्रम का समापन नशामुक्त समाज के संकल्प के साथ किया गया।
यह कार्यक्रम एम्स बिलासपुर की सामाजिक प्रतिबद्धता, जनहितकारी दृष्टिकोण एवं युवाओं के सर्वांगीण विकास के प्रति संस्थान की संवेदनशीलता को दर्शाता है।