विधानसभा भवन पर खालिस्तानी झंडे लगाने पर बोले CM, हिम्मत है तो रात के अंधेरे में नहीं दिन में सामने आएं

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धर्मशाला: खालिस्तानी समर्थक हो या सिख फॉर जस्टिस या SFJ चीफ पन्नू पिछले कुछ समय से लगातार हिमाचल प्रदेश में राजनीतिक दखल दे रहे हैं। फिर चाहे पन्नू की धमकियां हो या धार्मिक यात्रा के दौरान झंडा फहराना या अभी ताजा ताजा मामले में प्रदेश की शीतकालीन राजधानी धर्मशाला के तपोवन स्थित हिमाचल भवन परिसर के बाहर खालिस्तान के झंडे लगाने की घटना। सभी घटनाओं ने खबरों में जगह बनाई ताज़ा मामले में सीएम जयराम ठाकुर ने घटना की निंदा करते हुए इसे कायरता पूर्ण बताया है। सीएम जयराम ने कहा कि यदि हिम्मत है तो रात के अंधेरे में नहीं, दिन के उजाले में सामने आएं। इस घटना की त्वरित जांच की जाएगी और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। उन्होंने कहा कि इस मामले में प्राथमिकी दर्ज हुई है। सीसीटीवी फुटेज की जांच की जा रही है। हम दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेंगे। राज्य के लोगों से शांति बनाए रखने का आग्रह करता हूं। हम जल्द ही अन्य राज्यों के साथ अपनी सीमाओं पर सुरक्षा की समीक्षा करेंगे।

अपने ट्वीट में सीएम जयराम ने लिखा- धर्मशाला विधानसभा परिसर के गेट पर रात के अंधेरे में खालिस्तान के झंडे लगाने वाली कायरतापूर्ण घटना की मैं निंदा करता हूं। इस विधानसभा में केवल शीतकालीन सत्र ही होता है इसलिए यहां अधिक सुरक्षा व्यवस्था की आवश्यकता उसी दौरान रहती है। इसी का फायदा उठाकर यह कायरतापूर्ण घटना को अंजाम दिया गया है, लेकिन हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे।इस घटना की त्वरित जांच की जाएगी और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी।मैं उन लोगों को कहना चाहूंगा कि यदि हिम्मत है तो रात के अंधेरे में नहीं, दिन के उजाले में सामने आएं।
इसी का फायदा उठाकर यह कायरतापूर्ण घटना को अंजाम दिया गया है, लेकिन हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे। इस घटना की त्वरित जांच की जाएगी और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाएगी।

मुख्यमंत्री इसे कार्य पूर्ण बता रहे हैं और खालिस्तानी समर्थकों को चुनौती भी दे रहे हैं मगर सवाल अभी भी यह है कि आखिर प्रदेश के दूसरे विधानसभा में कोई सीसीटीवी कैमरा स्थापित क्यों नहीं किया गया क्या कारण है कि इस विधानसभा भवन में कोई गार्ड भी तैनात नहीं था ऐसे में प्रशासन पर भी सवाल उठना लाजमी है कि आखिर कैसे इन शरारती तत्वों ने खालिस्तान के झंडे लोकतंत्र के मंदिर माने जाने वाले विधानसभा के दीवारों पर टांग दिए।