भारतीय किसान यूनियन अध्यक्ष का बड़ा बयान, कहा केंद्र सरकार का बजट किसानों से आंदोलन में मिली हार का बदला

शिमला: हिमाचल प्रदेश भारतीय किसान यूनियन अध्यक्ष अनेंदर सिंह नॉटी ने केंद्र सरकार के बजट पर सवाल खड़े करते हुए निंदा करते हुए कहा कि केंद्र सरकार का बजट इस बार कहीं ना कहीं किसानों से आंदोलन में मिली हार का बदला लेने वाला लगता है. सरकार ने फसलों की सरकारी खरीद के लिए दिए जाने वाले बजट को पिछले वर्ष की तुलना में कम किया है जबकि इसी वर्ष 6 नए राज्यों में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान की सरकारी खरीद शुरू की गई थी ऐसे में बजट बढ़ना चाहिए था ना की घटना.

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उन्होंने कहा कि सरकार का यह बयान कि गेहूं और धान की खरीद के लिए 163000 करोड़ पर किसानों को सीधे भुगतान के लिए रखे गए हैं गलत तथ्य है क्योंकि सरकार खरीदने के बाद इसको आगे विभिन्न एजेंसियों और खरीदारों को बेचती है और सरकार का एक एक पैसा वसूल हो जाता है इसलिए इसमें किसानों के लिए कोई नया फायदा नहीं है. अगर सरकारी खरीद पर सरकार को घाटा होता है तो वह सरकार की अपनी भंडारण की कमियों के कारण होता है जहां अनाज सही वितरण न होने के कारण गल सड़ जाता है.

उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर हिमाचल प्रदेश के किसानों के लिए एक भी रुपए का फायदा नहीं दिया गया है. हिमाचल के किसानों के लिए केंद्रीय बजट तथा हिमाचल प्रदेश सरकार दोनों में निराशा पहुंचाई है, एक और जहां मुख्यमंत्री ने 2022 की शुरुआत में कर्मचारियों के लिए अनेक घोषणाएं की वहीं किसानों और मजदूरों के लिए भी एक भी शब्द और एक भी रुपए की घोषणा नहीं की गई. शायद हिमाचल सरकार और मुख्यमंत्री किसानों और मजदूरों को हिमाचल प्रदेश का हिस्सा नहीं मानते.

पिछले वर्ष में मौसमी बर्फबारी आंधी तूफान से हिमाचल प्रदेश के किसानों और बागवानों का अरबों रुपए का नुकसान हुआ था, जिसके एवज में अभी तक एक रुपया सरकार द्वारा राहत के तौर पर नहीं दिया गया है. भारतीय किसान यूनियन लंबे समय से एक मांग करती रही है हिमाचल के ऊपरी क्षेत्रों में किसानों के लिए ट्रैक्टर का उतना उपयोग नहीं है लेकिन हर किसान को यूटिलिटी व पिकअप वैन अपने खाद बीज तथा फसल के दुलान के लिए रखनी पड़ती है जिसको आज तक सरकार ने ना तो प्राइवेट रजिस्ट्रेशन के दायरे में लाया है और ना ही इस पर कोई सब्सिडी का प्रावधान है. पहाड़ी क्षेत्रों में किसानों के लिए पिकअप पर कमर्शियल टैक्स बंद किया जाए तथा इस पर ट्रैक्टर की तर्ज पर ही सब्सिडी दी जाए.

उन्होंने कहा कि भारतीय किसान यूनियन एक लंबे शोध के आधार पर भांग और अफीम की खेती को औषधीय और औद्योगिक उपयोग के लिए कानूनी दर्जा देने की मांग करती रही है हालांकि हिमाचल प्रदेश की कैबिनेट ने 2 दिन पहले भांग की खेती को सरकारी कानूनी मान्यता देने की तरफ कदम बढ़ाया है जिसका हम स्वागत करते हैं लेकिन इसको सही से धरातल पर उतारना भी सरकार का दायित्व है क्योंकि उत्तराखंड सहित कई दूसरे देश भी भांग के औषधीय गुणों को देखते हुए इसकी खेती तथा उपयोग को कानूनी दर्जा दे चुके हैं. इसके साथ-साथ मध्य प्रदेश उत्तर प्रदेश राजस्थान की तर्ज पर अफीम की खेती पर भी हिमाचल में इजाजत देनी चाहिए ताकि किसानों की आर्थिकी में सुधार हो.

उन्होंने बताया कि 2022 तक किसानों की आय दुगनी करने का वायदा हवा हवाई ही साबित हुआ है इसलिए हिमाचल सरकार को किसानों के लिए किसी अच्छे पैकेज की घोषणा करनी चाहिए वरना 2022 के चुनाव में एक बार फिर नो वोट फॉर बीजेपी अभियान प्रदेश के किसान चलाएंगे जिसके नतीजे चारों उपचुनाव में हिमाचल सरकार और भारतीय जनता पार्टी देख चुकी है.