आदर्श हिमाचल ब्यूरो
शिमला। द्रोपदियों का देश है यह
गत का अब भी परिवेश है यह
घूम रहा दुशासन गली-गली
बदले हुए बस भेष है वह
जल मरने को हैं सतियां
हरण होने को सीताएं हैं
जो यम से भी लड़ जाएं
फिर भी स्त्रियां यहां हैं अबला
कहने को बस मांएं हैं
बना दी गईं लांछनों से पत्थर
कोई पुरुष राम बन आएगा
दिख रहे सभी दुर्योधन से
जो धोए केश रक्त से उसका
भीम कहां है?