अल्याणा के भुपिंद्र सिंह दुग्ध उत्पादन से कमा रहे हैं हर माह एक लाख रुपये

0
22

आदर्श हिमाचल ब्यूरों

सरकाघाट| पशुपालन विभाग द्वारा चलाए जा रहे त्वरित नस्ल सुधार कार्यक्रम के अंतर्गत लिंग वर्गीकृत वीर्य तकनीक ने दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में नई क्रांति ला दी है, इस तकनीक के माध्यम से मादा पशुओं की जन्म दर में आई वृद्धि से पशुपालकों को सीधा लाभ मिल रहा है। सरकाघाट उपमंडल के गांव अल्याणा निवासी भुपिंद्र सिंह इस योजना के सफल उदाहरण बनकर उभरे हैं। उन्होंने बताया कि वे वर्तमान में 22 गायों का पालन कर रहे हैं, जिनमें गिर, साहिवाल, साहिवाल क्रॉस और जर्सी क्रॉस नस्लें शामिल हैं और सरकाघाट उपमंडल पशु चिकित्सालय से अपनी 8 गायों को लिंग वर्गीकृत वीर्य से कृत्रिम गर्भाधान कराया, जिसमें से 6 गायों ने बछियों को जन्म दिया।

इस दौरान भुपिंद्र सिंह ने बताया कि उनके फार्म से प्रतिदिन 100 किलोग्राम से अधिक दूध का उत्पादन हो रहा है, जिसे वह स्थानीय बाजार में विक्रय कर प्रतिमाह एक लाख रुपये से अधिक की आय अर्जित कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस फार्म पर एक व्यक्ति को स्थायी रोजगार भी मिला है, भुपिंद्र ने प्रदेश सरकार और मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू का आभार व्यक्त करते हुए अन्य पशुपालकों से इस योजना का लाभ उठाने की अपील की है। उपमंडलीय पशु चिकित्सक डॉ. राजिंदर सिंह जस्वाल ने बताया कि इस तकनीक के अंतर्गत वीर्य से “वाई” क्रोमोसोम को अलग कर केवल “एक्स” क्रोमोसोम का उपयोग किया जाता है, जिससे 90 से 95 प्रतिशत तक बछिया जन्म की संभावना रहती है, इन विभाग द्वारा इस तकनीक के अंतर्गत मात्र 250 रुपये में दो बार टीकाकरण की सुविधा उपलब्ध करवाई जाती है यदि दोनों बार भी बछड़ा पैदा हो, तो पशुपालक को पूर्ण या अंशतः राशि वापस की जाती है। अब तक सरकाघाट उपमंडल में 603 गायों को यह टीका लगाया जा चुका है। विभाग द्वारा नियमित टीकाकरण, कृमिनाशन, स्वास्थ्य परीक्षण, नैदानिक जांच व उपचार जैसी सेवाएं भी निःशुल्क उपलब्ध करवाई जा रही हैं, जिससे पशुओं की उत्पादकता और स्वास्थ्य में निरंतर सुधार देखा जा रहा है। लिंग वर्गीकृत वीर्य तकनीक जहां पशुपालकों की आय में बढ़ोतरी कर रही है, वहीं निराश्रित पशुओं की समस्या के समाधान की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम साबित हो रही है।